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खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज : दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज में शारीरिक शिक्षा विभाग के सौजन्य से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शनिवार को समापन हो गया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिन की शुरुआत मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजीव चौधरी (रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर) के उद्बोधन के साथ हुई। उन्होंने अपने उद्बोधन में प्रयोगात्मक शोध के लिए उपयुक्त शोध प्रारूप की चर्चा की। उन्होंने बताया कि सह संबंध अध्ययन के आधार पर कार्य-करण संबंधों को स्थापित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने प्रयोगात्मक शोध के लिए उपयुक्त सहप्रसरण विश्लेषण (ANCOVA) विधि की चर्चा भी की।

सम्मेलन के द्वितीय दिन प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. तारिक मोहम्मद (शारीरिक शिक्षा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ) तथा सह अध्यक्षता डॉ. साक्षी कनौजिया (शारीरिक शिक्षा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय) द्वारा की गई। सम्मेलन के ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता प्रो. सीमा कौशिक (शारीरिक शिक्षा विभाग लक्ष्मीबाई कॉलेज ,दिल्ली) तथा सह अध्यक्षता प्रो. सीमा सिंह (शारीरिक शिक्षा विभाग, आईपी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय) द्वारा की गई। इस सत्र में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से 50 से अधिक शोध पत्र पढ़े गए।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजेश मिश्रा (पूर्व प्रोफेसर एवं विभाग अध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय), एवं प्रोफेसर राकेश चंद्रा (दर्शनशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ) रहे। प्रोफेसर राजेश मिश्रा ने अपने व्याख्यान में बताया कि अनुसंधान में बहुलवाद के सिद्धांत को महत्व और रिसर्च की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिए  त्रिकोडीकरण पर बल दिया जाना चाहिए। अनुसंधान में हमें मिक्स मेथड अप्रोच अपनानी चाहिए ताकि शोध को विश्वसनीय वैध बनाया जा सके।  

प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने अपने उद्बोधन में वर्तमान युग में फेमिनिस्ट रिसर्च की भूमिका को महत्व दिया। उनके अनुसार यह मानवता की विविधता को दर्शाता है। वर्तमान समय में जो शोध हो रहे हैं वह पूरी तरीके से ऑथेंटिक नहीं है, क्योंकि लोग अपनी सुविधा अनुसार सत्य संकलन करते हैं। इन सबसे उठकर हमें विशुद्ध रिसर्च की तरफ जाना चाहिए। कार्यक्रम में लुआक्टा अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय भी उपस्थित रहे।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की संयोजक प्रो. चेतना सामंत तोमर ने दो दिवसीय सेमिनार में दोनो दिनों में हुए व्याख्यानों एवम पढ़े गए शोध पत्रों (120) की चर्चा की। सम्मेलन की सह संयोजक डॉ. पारुल सिंह ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश और विदेश से जुड़े प्रतिभागियों की संख्या 300 से अधिक थी। प्राचार्य प्रो. अंशु केडिया द्वारा आज के कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों एवं शोध छात्रों का सम्मेलन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।