आदरणीय महात्माजी, व बाबा विनोबा के प्रकृति चिंतन, के संबंध में लिखा हुआ काम ही है परंतु संतों का क्रियात्मक निसर्ग संरक्षण अद्भुत है जो कि यहां वर्धा जिले की गांधीजी व बाबा विनोबा की विचारवादी संस्था परिसर में आज भी नजर आता है। मगनवाड़ी हो या एमगिरी हो सेवाग्राम …
Read More »लेख/स्तम्भ
काश
निधि श्रीवास्तव काश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि चाहिए मुझे भी एक हिस्सातुम्हारे घर का नहींतुम्हारे दिल काजहां बसते हैंहर रिश्ते नातेसिवाय मेरे..काश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि इन नीरव सी आंखों मेंबसते हैं कुछ भाव मेरेहृदय में पनपते हैंकुछ अहसास मेरेकाश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि …
Read More »सामाजिक न्याय की योद्धा अनुप्रिया
कुछ सवाल एक नहीं, अनेक बार उठते रहे हैं, जैसे स्वतंत्रता के बाद दलित स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भुला दिया गया, जिन्हें याद रखा गया, उनकी पहचान भी मिटाने की कोशिश की जा रही है। दलित पिछड़े समाज को आज भी देश के कई हिस्सों में अछूत की नजर …
Read More »और सब बढ़िया…..!
सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर ही जीवन की गाड़ी चलती है। जीवन में जितना सुख आता है उतना ही दुःख भी आता है। फिर भी हम सुख का स्वागत तो खुले दिल से करते हैं लेकिन दुःख का नहीं….। जबकि हम भी …
Read More »आसान नहीं है एक स्त्री के लिए दीवाली की सफाई
(संध्या श्रीवास्तव) यूं ही लोग नहीं कहतेआसान नहीं है दीवाली की सफाईतन मन दोनों ही महसूस करते हैंएक कसक एक दर्दहर साल की तरह इस साल भीजब करने बैठी दीवाली की सफाईकोने कोने से निकाल करएक एक सामान को लगी झाड़नेसबसे पहले नजर आया वो बक्साजिसमें मम्मी पापा ने सहेज …
Read More »अश्लीलता की बाढ़ में बर्बाद होती युवा पीढ़ी
सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता, देश के लिए नई चुनौती खड़ी कर रही है… भारतीय संस्कृति में सदाचार, चरित्र निर्माण, विनम्रता, प्रेम, दया, त्याग, और आदर-सम्मान जैसे सद्गुणों को हमेशा से ही प्रमुखता दी गई है। इसके बावजूद, समाज में बढ़ते अपराध और नैतिक पतन की ख़बरें …
Read More »फायदेमंद गरीबी
-अतुल मलिकराम (लेखक और राजनीतिक रणनीतिकार) एक समय था जब स्वयं को गरीब बताना हीन भावना को जन्म देता था लेकिन अब स्वयं को गरीब दर्शाना फायदेमंद हो गया है…. स्वतंत्रता के बाद देश में जातिगत भेदभाव और गरीबी से उत्थान के लिए छात्रवृत्ति, अनुदान और विभिन्न योजनाओं इत्यादि के …
Read More »नवरात्रि का संदेश : नारी सशक्तीकरण
-डॉ. सौरभ मालवीय भारतीय पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। इनसे हमें ज्ञात होता है कि हमारी प्राचीन संस्कृति कितनी विशाल, संपन्न एवं समृद्ध है। यदि नवरात्रि की बात करें तो यह पर्व भी भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है। विगत कुछ दशकों से देश में महिला सशक्तीकरण …
Read More »पाली (राजस्थान) में ‘मीडिया गुरु सम्मान’ से अलंकृत हुए पत्रकारिता के ‘संजय’
– दामोदर सिंह राजावत 29 सितंबर 2024 का दिन पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखने जा रहा है। राजस्थान के पाली मारवाड़ में आयोजित एक भव्य समारोह में, प्रो.(डॉ.) संजय द्विवेदी को “मीडिया गुरु सम्मान” से अलंकृत किया जा रहा है। यह सम्मान उनकी अब तक …
Read More »अंत्योदय से समृद्ध होगा भारत
-डॉ. सौरभ मालवीय देश की समृद्धि के लिए अंत्योदय अत्यंत आवश्यक है। अंत्योदय का अर्थ है- समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय। दूसरे शब्दों में- समाज के सबसे निचले स्तर के लोगों का विकास करना ही अंत्योदय है। अंत्योदय के बिना देश उन्नति नहीं कर सकता, क्योंकि जब तक देश …
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