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प्रखर स्‍त्री चेतना के वाहक कवि थे मैथिलीशरण गुप्‍त : पं. शंकर प्रसाद अग्निहोत्री


  • राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का 139 वां जयंती समारोह सम्पन्न
  • ‘स्त्री-संवेदना- गुप्त जी की काव्य-विरासत’ पर हुई कवि गोष्‍ठी

वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। “भारत भारती, जिसने उस पराधीनता के समय जन-जागरण का महती कार्य किया था, के रचयिता और पद्मभूषण से अलंकृत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपने काव्य में राष्ट्रीयता और गाँधीवादी विचारधारा के अतिरिक्त परित्यक्ता नारी पात्रों की मार्मिक विरह गाथा को अपने काव्य में प्रमुख स्थान दिया है। महाकाव्य साकेत में उर्मिला के अतिरिक्त ‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँख में पानी’ का कटाक्ष करती हुई यशोधरा और विष्णुप्रिया का हृदय-स्पर्शी वर्णन मिलता है। गुप्त जी प्रखर स्त्री चेतना के वाहक कवि थे। ऐसे विचार कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि शंकरप्रसाद अग्निहोत्री ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किये।

राष्ट्रकवि स्मृति समिति, वर्धा द्वारा 2 अगस्त को सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सरोजिनी नायडू सभागार में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का 139वें जयंती समारोह के निमित्त एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि वर्धा के महाकाली शिक्षण संस्था के संस्थापक अध्यक्ष शिक्षा-महर्षि शंकरप्रसाद अग्निहोत्री के अतिरिक्त, अध्यक्ष डॉ. हेमचन्द्र वैद्य, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा, कस्तूरबा आरोग्य मण्डल के अध्यक्ष पीएल तापड़िया, सचिव डॉ. बीएस गर्ग तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में मुंबई से पधारी प्रख्यात हिन्दी-मराठी साहित्यकार तथा आकाशवाणी मुंबई की पूर्व सहायक केंद्र निदेशक कांचन प्रकाश संगीत, राष्ट्रकवि स्मृति समिति के संयोजक डॉ. ओ. पी. गुप्त एवं विद्यार्थी साहित्य परिषद म. गाँ. आयुर्विज्ञान संस्थान की प्रभारी अधिकारी डॉ मनीषा भलावी उपस्थित थे। 

महात्मा गांधी, माँ कस्तूरबा, डॉ सुशीला नायर और राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त को माल्यार्पण और दीप प्रज़्ज्वलन के पश्चात अभ्यागतों का स्वागत किया गया। डॉ. ओमप्रकाश गुप्त ने प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए बताया कि गत 27 वर्षों से यह समारोह आयोजित होता आ रहा है। हिंदी की विविध विधाओं में साहित्य का सृजन करते हुए हिन्दी काव्य में खड़ी बोली के प्रणेता, राष्ट्रवादी और मानवतावादी कवि ने अपने काव्य में गुप्त जी ने नारी के संत्रास, उसकी पीड़ा का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत किया है। ऊर्मिला और यशोधरा विरह की कविताएं पाठक को अंदर तक दहला देती है। इसके अतिरिक्त विष्णुप्रिया, शकुंतला, विधृता, हिडिंबा, और सैरंध्री में भी अद्भुत शब्दों में कविता मुखरित हुई है। इसीलिए कार्यक्रम के लिये  “स्त्री-संवेदना- गुप्त जी की काव्य-विरासत” विषय रखा गया था।

प्रति वर्ष की तरह पूर्व-आयोजित ‘हिंदी काव्य प्रतियोगिता” में विजयी चिकित्सा छात्रों ने काव्य पाठ किया, और उन्हें पुरस्कार दिया गया। डॉ. ओमप्रकाश गुप्त द्वारा रचित कविता-संग्रह ‘उत्ताल तरंगें; का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। 

पुस्तक के संबंध में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की ई-पत्रिका समय डॉट कॉम के संपादक डॉ. अमित विश्वास ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ‘उत्तल तरंगेंकेवल समुद्र की लहरें नहीं हैँ, अपितु मानव जीवन की गहराइयों से उठती हुई संवेदनात्मक तरंगें हैँ। यह सिर्फ एक किताब नहीं है, अपितु संवादना की एक नदी है जो पाठक को भीतर तक भिगोने की क्षमता रखती है। यह संग्रह मनुष्य और समाज, प्रकृति, परिवर्तन और आध्यात्मिकता तथा आत्मसंघर्ष के अनेक पहलुओं को समटे हुए है।

काव्य गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि कांचन, निरुपमा चतुर्वेदी, डॉ. आशा झा, डॉ. सुरेखा गोडबोले-दुबे, नीता बैस, डॉ. रामानुज अस्थाना और डॉ. अनवर सिद्दीकी ने स्त्री-संवेदना के अनेकों आयाम समेटे हुए अपनी श्रेष्ठ काव्यरचनाएं प्रस्तुत की। जिन्हें उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा। 

इस अवसर पर डॉ. रविंदर एवं डॉ. प्रतिभा नारंग, डॉ. एस सी एवं डॉ. सुधा जैन, डॉ. प्रशांत एवं श्रीमती अनु गुप्ता, रवींद्र बैस, मुरलीधर बेलखोड़े, डॉ. दिलीप गुप्ता, नरेंद्र दंढारे, चंद्रकांत दंढारे, गीता गुप्ता, जगदीश बिलैया, अशोक नोगरैया, आशा गुप्ता, कौशल मिश्र, तांब्रध्‍वज बोरकर, हिंदी विश्‍वविद्यालय के क़ादर नवाज़ ख़ान, डॉ. राजेश्‍वर सिंह, डॉ. मनोज राय, डॉ. परिमल प्रियदर्शी, डॉ. मुन्‍नालाल गुप्‍ता, डॉ. अंजनी राय, बी.एस. मिरगे, आनंद भारती उपस्थित थे। इसके अलावा महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उत्साहपूर्वक शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपमा गुप्ता ने किया।