मुंबई (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। वॉटर, सीवेज़, सॉलिड वेस्ट और रिसाईक्लिंग टेक्नोलॉजी के लिए देश के सबसे बड़े ट्रेड फेयर, आईएफएटी इंडिया 2025 का आयोजन 14 अक्टूबर से 16 अक्टूबर के बीच बॉम्बे एग्ज़िबिशन सेंटर (एनईएससीओ), मुंबई में हो रहा है। आईएएफटी इंडिया 2025 के आयोजक मेसे मुंशेन इंडिया हैं। पर्यावरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर के बढ़ते दबाव के बीच यह अभी तक का सबसे बड़ा आयोजन है, जिसमें पूरे विश्व के इनोवेटर्स, घरेलू खरीददार और नीति निर्माता हिस्सा ले रहे हैं।
45,000 वर्गमीटर में फैले इस साल के ट्रेड फेयर में 30 से अधिक देशों के 500 से अधिक संस्थान व्यापारिक प्रदर्शनियाँ लगा रहे हैं। इन्हें देखने के लिए 50 से अधिक देशों के 28,000 से अधिक ट्रेड विज़िटर्स के आने की उम्मीद है। ट्रेड फेयर में कैनेडा, नीदरलैंड्स, जर्मनी, साउथ कोरिया, हंगरी और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के पवेलियन दिखाई देंगे।
भूपिंदर सिंह, प्रेसिडेंट आईएमईए (इंडिया, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका), मेसे मुंशेन और सीईओ, मेसे मुंशेन इंडिया ने कहा, ‘‘भारत एक ऐसे मोड़ पर आ गया है, जब अपशिष्ट और जल समाधान कोई विकल्प नहीं, बल्कि सस्टेनेबल आर्थिक विकास के सबसे महत्वपूर्ण पहलू बन गए हैं। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, निवेश के अवसरों और व्यापारिक नेटवर्किंग के लिए आईएफएटी एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म बन गया है। इस साल इसके लिए मिली रिकॉर्ड प्रतिभागिता के साथ हमें उम्मीद है कि यहाँ पर बड़े वैश्विक गठबंधन होंगे।’’
सौदे संभव बनाने वाला प्लेटफॉर्म
आयोजकों को उम्मीद है कि इस साल के ट्रेड फेयर में खरीददारों और विक्रेताओं के बीच 2000 से अधिक केंद्रित मुलाकातें होंगी। समाधान प्रदाताओं को नगरपालिका प्राधिकरणों, ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर्स और कॉर्पोरेट प्रोक्योरमेंट के प्रमुखों से संपर्क करने का अवसर मिलेगा। यहाँ पर एफ्लुएंट ट्रीटमेंट, स्लज मैनेजमेंट, वेस्ट-टू-एनर्जी और रिसाईक्लिंग ऑटोमेशन में 15,000 से अधिक समाधान प्रदर्शित किए जाएंगे।

इस ट्रेड फेयर को कॉर्पोरेट्स अपने ईएसजी लक्ष्यों के अंतर्गत एक खरीद केंद्र के रूप में देख रहे हैं। उद्योग के विश्लेषकों का अनुमान है कि सॉलिड वेस्ट एवं एफ्लुएंट ट्रीटमेंट में अनुपालन पर केंद्रित निवेश अगले पाँच सालों में बढ़कर 35,000 करोड़ रुपये 40,000 करोड़ रुपये तक पहुँच जाएगा।
कॉन्फ्रेंस और विशेष पवेलियन
तीन दिन चलने वाली इस कॉन्फ्रेंस में 40 से अधिक टेक्निकल सत्र आयोजित होंगे। इनमें 400 से अधिक वक्ता हिस्सा लेंगे, जिनमें नीति निर्माता, फाईनेंसर और ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी एक्सपर्ट शामिल होंगे। इन सत्रों में ईएसजी फाईनेंसिंग, शहरी वेस्ट मैनेजमेंट में पीपीपी मॉडल और औद्योगिक डिकार्बोनाईज़ेशन पर बातचीत की जाएगी।
उभरते हुए क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए समर्पित पवेलियन होंगे, जिनमें बायो-एनर्जी, स्वान पवेलियन, स्टार्ट-अप पवेलियन, एसएमई ज़ोन और इंटरनेशनल वेस्ट पवेलियन आदि शामिल हैं। इस ट्रेड फेयर का उद्घाटन दिया मिर्जा द्वारा किया जाएगा, जिन्होंने आईएफएटी इंडिया को ‘‘ज्यादा हरित, स्वच्छ और जिम्मेदार भारत की ओर एक पहल’’ माना है।
यह क्यों जरूरी है
सीपीसीबी के अनुसार भारत में प्रतिदिन 160,000 टन मुनिसिपल सॉलिड वेस्ट और 72,000 एमएलडी सीवेज निकलता है, जिसमें से केवल 28 प्रतिशत ही ट्रीट हो पाता है। मेट्रो शहरों के लैंडफिल लगभग पूरी क्षमता तक भर चुके हैं। इसलिए आईएफएटी इंडिया को वेस्ट-टू-वैल्थ, बायोएनर्जी और ईएसजी केंद्रित अनुपालन के समाधानों के लिए टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और निवेशकों के बीच एक डील-मेकिंग प्लेटफॉर्म के रूप में देखा जा रहा है।
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