Wednesday , January 15 2025

लेख/स्तम्भ

विधानसभा चुनावों में उलटफेर के साथ होगा 2024 का अंत

– अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार) लोकसभा चुनाव के परिणामों को अभी गिनती के दिन ही बीते हैं कि देश में एकबार फिर चुनावी माहौल अपने चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है। चुनाव आयोग द्वारा जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सियासी …

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2024 में अच्छे मॉनसून के बावजूद अभी बहुत कुछ करने की ज़रूरत

(हेमंत सिक्का) 2024 का बजट राजकोषीय व्यय को विकास के साथ संतुलित करता है और देश के विकास के लिए सुधारों की अगली लहर की दिशा तय करता है। यह विकसित भारत और मुख्य रूप से कृषि अर्थव्यवस्था के उच्च विकास को बनाए रखने के लिए सभी प्रमुख तत्वों की …

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भारतीयता की अनुभूति है कृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व (ऋचा सिंह) त्योहार किसी भी देश एवं उसकी संस्कृति के संवाहक होते हैं। त्योहारों के कारण ही हमें अपनी प्राचीन गौरवशाली संस्कृति को जानने एवं समझने का अवसर प्राप्त होता है। यदि त्योहार नहीं होते, तो हमें अपने देवी-देवताओं एवं महापुरुषों तथा उनके जीवन के संबंध …

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भारतीय कृषि का अमृतकाल : शिवराज सिंह चौहान

कृषि विकास और किसान कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अन्न के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता के जीवन में सुख-समृद्धि लाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। किसान की आय बढ़ाने के लिए हमने छह सूत्रीय रणनीति बनाई है। उत्पादन …

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मातृभूमि और हम

आजादी हमारी हमसे कहीं खो ना जाएपास का पड़ोसी ऐसे बीज बो ना जाएपुरखों की कमाई कहीं हाथ से न जाएदूर से ललचाने वाली चीज हो ना जायप्राणों से भी प्यारी है धरोहर हमारीघर-घर में इस बात को बताओ साथियों आजादी……………………दुश्मन वो हमारा अभिमानी हो ना जाएलाल खून ठंडा श्वेत …

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सपनों से दूर करती यह कैसी पढ़ाई…

अतुल मलिकराम (लेखक एवं राजनीतिक रणनीतिकार) भारत के हलचल और महत्वाकांक्षाओं से भरे एक शहर में, आन्या रहती है। आन्या 20-22 साल की एक होनहार बालिका है, जिसने हाल ही में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद अब वह एक अच्छी-सी नौकरी चाहती है। पढ़ाई पूरी …

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चंद रुपयों का सौदा…., सामान सस्ता या हम?

मजबूरों को मजबूर करने का यह कैसा चलन? आजकल की दिखावे की दुनिया में यह देखना वाकई निराशाजनक है कि मानव स्वभाव कितना उथला हो सकता है। हम अक्सर वास्तविक मायने रखने वाली चीजों के बजाए चमक-दमक वाली चीजों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। दिखावे का यह जुनून हमारे …

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साहित्य में मनभावन सावन

-डॉ. सौरभ मालवीयवर्षा ऋतु कवियों की प्रिय ऋतु मानी जाती है। इस ऋतु में सावन मास का महत्व सर्वाधिक है। ज्येष्ठ एवं आषाढ़ की भयंकर ग्रीष्म ऋतु के पश्चात सावन का आगमन होता है। सावन के आते ही नीले आकाश पर काली घटाएं छा जाती हैं। जब वर्षा की बूंदें …

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पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होने का समय

-डॉ. सौरभ मालवीय पर्यावरण समस्या और समाधान भारत सहित विश्व के अधिकांश देश पर्यावरण संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ग्रीष्मकाल में भयंकर गर्मी पड़ रही है। प्रत्येक वर्ष निरंतर बढ़ता तापमान पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। देश में गर्मी के कारण प्रत्येक वर्ष हजारों लोग दम तोड़ रहे …

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मॉरीशस और फीजी : विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से

समीक्षक-डॉ. सुभाषिनी लता कुमार प्रलेक, मुंबई ने अभी-अभी एक पुस्तक प्रकाशित की है। उसका शीर्षक है ‘मॉरीशस और फीजी: विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से’। इसके लेखक हैं कृपाशंकर चौबे जो हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में सुप्रतिष्ठित हैं। यह पुस्तक 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन और …

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