Friday , February 7 2025

लेख/स्तम्भ

विश्व के लिए प्रेरक है भारतीय संविधान

-डॉ. सौरभ मालवीय भारत एक विशाल एवं विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है। यहां विभिन्न संप्रदायों, पंथों एवं जातियों आदि के लोग निवास करते हैं। उनके रीति-रिवाज, भाषाएं, रहन-सहन एवं खान-पान भी भिन्न-भिन्न हैं। तथापि वे आपस में मिलजुल कर प्रेमभाव से रहते हैं। वास्तव में यही भारत का मूल स्वभाव …

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भाषाई सौंदर्य की ब्यूटीशियन जैसी एक पुस्तक “मास्टरिंग ट्रांसफार्मेशन ऑफ सेंटेंस”

पुस्तक समीक्षा/ योगेन्द्र द्विवेदी हम जिस भाषा में भी बात करें, जिस तरह की बात होगी वैसी ही भाव-भंगिमाएं हमारे चेहरे पर आएंगी। हमारी आंगिक मुद्राएं भी भाषा को सम्प्रेषक्षित करेंगी। जब फेस एक्सप्रेशन और बॉडी लेंग्वेज भाषा के साथ इतना न्याय करते हैं तो शब्द और वाक्य न्यास में …

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युवा शक्ति का सशक्तिकरण : विकसित भारत युवा नेता संवाद 2025

(केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की कलम से) भारत अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष-2047 की ओर आगे बढ़ रहा है, ऐसे में हमारे युवा विकसित भारत के निर्माण के हमारे मिशन में सबसे आगे हैं। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक लाख …

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एक देश एक चुनाव : राष्ट्र की आवश्यकता

(केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की कलम से) ‘एक देश एक चुनाव’ पर बनी उच्च स्तरीय कमिटी की सिफारिशों को केन्द्रीय केबिनेट ने मंजूर कर लिया है। हमारी सरकार की इच्छा अगले पांच वर्षों में इसे सारे देश में लागू करने की है। यह कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्र की …

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श्रद्धांजलि

क्या लिखूं उस महान शख्सियत परजिसने खुद स्वर्णिम इतिहास रचाइरादे जिस के अटल सदावो शख्स रहा है अटल खड़ालेकर कलम की ताकत कोपत्रकारिता क्षेत्र चुनाभावो से भरा कवि ह्रदयन रोक सका मन के भावों कोपिरो शब्दो मे भावो कोकविताओ को आकार दियाजब रखा कदम सियासत मेफिर से एक नया इतिहास …

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बहुउद्देशीय पैक्स- ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बदलाव का कारक

डॉ. हेमा यादव, निदेशक, VAMNICOM भारत में लगभग 2,70,000 ग्राम पंचायतें हैं, फिर भी इनमें से कई स्थानीय निकाय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों से वंचित हैं। ऋण, आवश्यक सांमग्री, बाजार और रोजगार प्रदान करने में इन प्राथमिक-स्तर की सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को …

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सीरस वृक्ष : महत्‍व और महात्‍माजी

आदरणीय महात्माजी, व बाबा विनोबा के प्रकृति चिंतन, के संबंध में लिखा हुआ काम ही है परंतु संतों का क्रियात्मक निसर्ग संरक्षण अद्भुत है जो कि यहां वर्धा जिले की गांधीजी व बाबा विनोबा की विचारवादी संस्था परिसर में आज भी नजर आता है। मगनवाड़ी हो या एमगिरी हो सेवाग्राम …

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काश

निधि श्रीवास्तव काश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि चाहिए मुझे भी एक हिस्सातुम्हारे घर का नहींतुम्हारे दिल काजहां बसते हैंहर रिश्ते नातेसिवाय मेरे..काश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि इन नीरव सी आंखों मेंबसते हैं कुछ भाव मेरेहृदय में पनपते हैंकुछ अहसास मेरेकाश कि तुम मैं होतेतो जान पातेकि …

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सामाजिक न्याय की योद्धा अनुप्रिया

कुछ सवाल एक नहीं, अनेक बार उठते रहे हैं, जैसे स्वतंत्रता के बाद दलित स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भुला दिया गया, जिन्हें याद रखा गया, उनकी पहचान भी मिटाने की कोशिश की जा रही है। दलित पिछड़े समाज को आज भी देश के कई हिस्सों में अछूत की नजर …

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और सब बढ़िया…..!

सुख और दुःख, हमारे जीवन के दो पहिये हैं, दोनों की धुरी पर ही जीवन की गाड़ी चलती है। जीवन में जितना सुख आता है उतना ही दुःख भी आता है। फिर भी हम सुख का स्वागत तो खुले दिल से करते हैं लेकिन दुःख का नहीं….। जबकि हम भी …

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