Tuesday , October 7 2025

अपोलोमेडिक्स : रोबोटिक सर्जरी से महिलाओं को दिया दर्द-मुक्त नया जीवन

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की डॉ. नेहा नेगी (ऑब्स्टेट्रिक्स, गायनेकोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसिन, एडवांस्ड लैप्रोस्कोपिक एंड रोबोटिक सर्जन) ने उन महिलाओं के लिए नई उम्मीद जगाई है, जो वर्षों से गंभीर एंडोमेट्रियोसिस, एडेनोमायोसिस और फाइब्रॉइड के कारण दर्द और निराशा में जी रही थीं। डॉ. नेगी ने हाल ही में रोबोटिक सर्जरी की सटीकता का उपयोग करते हुए दो अत्यंत जटिल मामलों का सफलतापूर्वक इलाज किया। जो इस बीमारी के कारण बेहद दर्दभरी स्थिति में निराशाजनक जीवन जी रही थीं।

पहली मरीज लगभग 8–10 वर्षों से एंडोमेट्रियोसिस और संबंधित बीमारियों से पीड़ित थीं। इस दौरान उनकी लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टॉमी, ओपन फाइब्रॉइड सर्जरी, सी-सेक्शन तक हुआ और यहाँ तक कि गर्भाशय भी निकाला जा चुका था। गर्भाशय के हटने के बाद भी वे अपने डेली रूटीन के काम भी बिना दर्द के नहीं कर पा रही थीं, यहां तक की उन्हें फ्रेश होने या यूरिन पास होने पर असहनीय दर्द होता था।

उनकी पेल्विस का हिस्सा एंडोमेट्रियोसिस की वजह से पूरी तरह जम चुका था। यानी आंतें, मूत्रनलिका और अंडाशय आपस में बुरी तरह चिपक गए थे। कई अस्पतालों ने केस लेने से मना कर दिया, क्योंकि ऐसे में पारंपरिक सर्जरी लगभग असंभव थी। पारंपरिक सर्जरी की स्थिति में आंतों को बाहर निकालने की नौबत आ सकती थी और सर्जरी के दौरान पेशाब की नली या ब्लैडर को चोट पहुंचने का भी खतरा था। इसलिए अस्पतालों ने सर्जरी करने से इनकार कर दिया था। लंबे समय तक हार्मोनल इंजेक्शन और दवाओं पर रहने से वह डिप्रेशन तक की स्थिति में पहुँच गईं।

अपोलोमेडिक्स में डॉ. नेगी की टीम ने रोबोटिक सर्जरी के जरिये यह चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन किया। रोबोटिक प्रणाली की हाई मैग्नीफिकेशन कैपेसिटी और मिलीमीटर-स्तर की सटीकता ने डॉक्टरों को महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षित रखते हुए गहरे जमे हुए एंडोमेट्रियोसिस टिशूज और बार-बार बनने वाले सिस्ट हटाने में सफलता प्रदान की। सर्जरी के बाद मरीज न केवल पूरी तरह लक्षणमुक्त हैं बल्कि उनका सीए 125 स्तर भी सामान्य हो गया है।

डॉ. नेगी बताती हैं कि सीए 125 एक ब्लड टेस्ट है जो कई बार एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियों में बढ़ा हुआ दिखता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि कैंसर है। अक्सर मरीज अपनी उत्सुकता में रिपोर्ट देखकर जब गूगल सर्च करते हैं, तो वहां ज्यादा जानकारी कैंसर से जुड़ी ही मिलती है, जिससे उनका डर बढ़ जाता है। यह सही नहीं है, क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस में भी यह स्तर बढ़ सकता है। सर्जरी के बाद इसका स्तर सामान्य हो गया। गूगल सर्च पर मिली जानकारी से डरने के बजाय उचित जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना ही सही रास्ता है।

दूसरा मामला एक युवा अविवाहित महिला का था जो एंडोमेट्रियोसिस, एडेनोमायोसिस और सात -आठ फाइब्रॉइड विकसित हो चुके थे। उनका गर्भाशय का आकार इतना बढ़ गया था कि वह नाभि तक पहुँच गया था।

डॉ. नेगी ने बताया, “कई अस्पतालों ने उन्हें गर्भाशय हटाने की सलाह दी थी क्योंकि इतनी बड़ी संख्या और आकार के फाइब्रॉइड और एडेनोमायोसिस में गर्भाशय को बचाना बेहद मुश्किल माना जाता है।”

मरीज के भविष्य की मातृत्व क्षमता को बचाने के लिए, डॉ. नेगी ने रोबोटिक मायोमेक्टोमी (फाइब्रॉइड हटाने की सर्जरी) का विकल्प चुना। रोबोटिक तकनीक का मुख्य लाभ यह था कि यह सामान्य और असामान्य ऊतकों के बीच अंतर को स्पष्ट करता है, जिससे रक्तस्राव को कम करने में मदद मिलती है। इस सर्जरी में रक्त की हानि बहुत कम हुई और सफलतापूर्वक सभी फाइब्रॉइड और एडेनोमायोमा हटाए गए।

डॉ. नेहा नेगी कहती हैं, “रोबोटिक तकनीक उन मामलों में वरदान है, जहाँ पेल्विस पूरी तरह चिपकी हुई हो और पारंपरिक लेप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी असंभव हो। इसकी 10 गुना मैग्नीफाइंग कपैसिटी और रिस्ट मूवमेंट की सुविधा हमें मिलीमीटर तक के स्तर पर सटीकता देती है। इससे हम महत्वपूर्ण अंगों को बचाते हुए जटिल रोगग्रस्त टिश्यूज़ हटा सकते हैं और मरीजों को तुरंत और स्थायी राहत दिला सकते हैं।”

अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के एमडी एवं सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “डॉ. नेहा नेगी और उनकी टीम की यह उपलब्धि आधुनिक चिकित्सा की शक्ति और हमारे संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इन सर्जरीज ने यह साबित कर दिया है कि जिन मरीजों ने सालों तक दर्द और निराशा में जीवन बिताया, वे भी अब सामान्य जीवन जी सकती हैं। अपोलोमेडिक्स हमेशा विश्वस्तरीय इलाज के लिए नवीनतम तकनीक उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है।”

यह सफलता उन हजारों महिलाओं के लिए एक शक्तिशाली संदेश है जो एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉइड जैसी जटिल स्त्री रोग संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं। रोबोटिक तकनीक के माध्यम से न केवल वर्षों पुराने दर्द से छुटकारा दिलाया जा सकता है और मातृत्व क्षमता को बचाया जा सकता है, बल्कि सर्जरी के बाद सीए 125 जैसे महत्वपूर्ण मार्कर का सामान्य होना यह भी सिद्ध करता है कि रोग की जड़ को ही पूरी तरह से खत्म किया गया है। जिससे भविष्य में गंभीर जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है। अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई ये सर्जरी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि भारत में स्त्री रोग संबंधी जटिलताओं के उपचार के लिए एक नया मानक स्थापित करती हैं।