दुर्गुणों से निपटना ही दशानन का दहन हो
समाज में व्याप्त इन दस आधुनिक रावणीय वृतियों पर विजय पाना ही असली विजयादशमी है। जब हर व्यक्ति इनसे लड़ेगा और समाधान अपनाएगा, तभी सच्चे अर्थों में रामराज्य का निर्माण होगा।
गरीबी
गरीबी केवल जेब खाली नहीं करती, यह आत्मविश्वास और सपनों को भी चूर-चूर कर देती है। पेट की भूख इंसान को अपनी क्षमताओं से दूर कर देती है। जब समाज का बड़ा हिस्सा निर्धनता में जीता है तो राष्ट्र की शक्ति आधी रह जाती है।
समाधान
शिक्षा, कौशल और आत्मनिर्भरता से ही सम्भव है। हमें दान नहीं, अवसर देना होगा। हाथ फैलाने की आदत नहीं, हाथों को काम देने का संकल्प लेना होगा। यदि हर सम्पन्न व्यक्ति एक गरीब परिवार को सशक्त बनाने का प्रण ले, तो गरीबी का यह रावण अवश्य परास्त होगा।
असमानता
असमानता केवल अमीर-गरीब की खाई नहीं है, यह दिलों को दूर भी करती है। जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के नाम पर बने भेदभाव समाज को खोखला करते हैं। जब इंसान इंसान को बराबरी की नजर से नहीं देखता, तब अन्याय पनपता है।
समाधान
न्यायपूर्ण सोच और समान अवसर असमानता की खाई को पाट सकते हैं। हर व्यक्ति की गरिमा और प्रतिभा को पहचानना ही वास्तविक प्रगति है। जब तक “मैं बड़ा, तू छोटा” का भाव रहेगा, तब तक समाज में विद्रोह और पीड़ा बनी रहेगी। समानता ही सच्चे रामराज्य की नींव है।
शोषण
शोषण वह जहर है जो इंसान की मेहनत और हक को चुपचाप निगल जाता है। जब किसी का श्रम मूल्यहीन कर दिया जाए, उसकी आवाज दबा दी जाए, उसका स्वाभिमान तोड़ दिया जाए, वहीं से शोषण जन्म लेता है। यह रावण इंसान को असहाय और समाज को असमान बना देता है।
समाधान
जागरूकता और न्याय से शोषण रूपी रावणीय सोच को समाप्त किया जा सकता है। हर हाथ का पसीना सम्मान पाए, स्त्री-पुरुष बराबरी से स्वीकारे जाएँ, और हर नागरिक को अधिकार मिले। शोषण तभी मिटेगा जब हम “साथ चलो” की संस्कृति अपनाएँ।
बीमारी
बीमारी केवल शरीर की कमजोरी नहीं, यह मन और आत्मा की ऊर्जा को भी चूस लेती है। अनेक लोग उपचार व जागरूकता के अभाव में पीड़ा सहते हैं। यह बीमारी रूपी रावण परिवार व समाज को लाचार बना देता है।
समाधान – स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, योग-आयुर्वेद, और स्वच्छ जीवनशैली को अपनाने में निहित है। बीमारी से बचना ही सबसे बड़ा इलाज है। जब समाज में स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा दोनों सुलभ होंगे, तब यह बीमारी रूपी रावण हार जाएगा। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही सशक्त राष्ट्र का आधार हैं।
अशिक्षा
अशिक्षा अंधकार है, जो इंसान को अपने अधिकारों और संभावनाओं से अनजान रखता है। यह समाज को अज्ञानता, गरीबी और अन्याय की जंजीरों में बाँध देती है। यह रावण पीढ़ियों को गुलामी की जंजीरों में दबाकर रखता है।
समाधान
सर्वसुलभ और मूल्यपरक शिक्षा तक सब की पहुंच। हमें केवल अक्षरज्ञान नहीं, बल्कि संस्कार और विवेक की शिक्षा देनी होगी। जब हर हाथ में किताब और हर मन में ज्ञान का दीपक होगा, तभी यह अंधकार मिटेगा। शिक्षा ही असली शक्ति और आजादी का आधार है।
कट्टरता
कट्टरता दिल और दिमाग को जकड़ लेती है। जब मनुष्य अपनी सोच को सत्य मानकर दूसरों पर थोपने लगे, तब घृणा और संघर्ष पनपते हैं। ये रावणीय सोच समाज की एकता को तोड़ती है और आज यह समाज में बड़ी तादाद में व्याप्त है।
समाधान
सहनशीलता और संवाद। धर्म का सार प्रेम है, न कि वैमनस्य। जब हम विविधता को शक्ति मानेंगे और भिन्नताओं में सौंदर्य देखेंगे, तभी कट्टरता का अंत होगा। खुले दिल और उदार दृष्टि से ही समाज आगे बढ़ सकता है।
हिंसा
हिंसा केवल खून बहाना नहीं है, यह इंसानियत की हत्या है; मानवता की हत्या है। यह घृणा को जन्म देती है और प्रेम को मार देती है। परिवार से लेकर समाज और राष्ट्र तक, हिंसा सबकुछ जला देती है।
समाधान
अहिंसा और करुणा। जब हम क्रोध पर संयम करना सीखेंगे और द्वेष की जगह सहानुभूति रखेंगे, तभी यह रावण मिटेगा। हिंसा कमजोरों का हथियार है, जबकि प्रेम और अहिंसा ही सच्चे वीर का आभूषण हैं।
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार केवल रिश्वत नहीं है बल्कि यह राष्ट्र और समाज के साथ यह विश्वासघात है। यह ईमानदारों को हताश और बेईमानों को साहसी बना देता है। यह रावणीय सोच व्यवस्था को खोखला करती है।
समाधान
पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा। जब हर नागरिक अपने स्तर पर ईमानदारी निभाएगा और हर संस्था जवाबदेह बनेगी, तब यह रावणीय सोच परास्त होगी। भ्रष्टाचार मिटाना सरकार का काम ही नहीं, हर व्यक्ति का कर्तव्य है। सत्य ही राष्ट्र की असली शक्ति है।
बेरोजगारी
बेरोजगारी केवल जेब खाली नहीं करती, यह आत्मसम्मान को भी कुचल देती है। जब युवा बेरोजगार होते हैं, तो उनकी ऊर्जा भटक जाती है और समाज में असुरक्षा बढ़ती है, नशे की आदत बढ़ती है। यह रावण सपनों को मार देता है।
समाधान
कौशल विकास, उद्यमिता और अवसरों का सृजन। युवाओं को नौकरी के लिए नहीं, रोजगार देने वाला बनाना होगा। जब हर हाथ को काम और हर मन को दिशा मिलेगी, तब राष्ट्र सशक्त होगा। बेरोजगारी पर विजय ही समृद्धि व सशक्ति का द्वार है।
प्रदूषण
प्रदूषण हमारी धरती, वायु और जल की हत्या कर रहा है। यह केवल प्रकृति को नहीं, आने वाली पीढ़ियों को भी विषाक्त बना रहा है। यह रावण हमारी सांसों और जीवन दोनों को खतरे में डाल रहा है।
समाधान
पर्यावरण के प्रति जागरूकता, पौधा रोपण, संरक्षण, संवर्द्धन और सतत जीवनशैली। हमें विकास के नाम पर विनाश नहीं करना, बल्कि संतुलन साधना है। जब हर नागरिक प्रकृति को अपनी माता मानेगा, तभी यह प्रदूषण रूपी रावण व रावणीय सोच मिटेगी। स्वच्छ पर्यावरण ही सच्ची समृद्धि है।
सच्ची विजयादशमी तब होगी जब हम अपने भीतर और समाज में छिपे इन आधुनिक रावणों को परास्त करेंगे। गरीबी से समृद्धि, अशिक्षा से ज्ञान, हिंसा से करुणा और भ्रष्टाचार से ईमानदारी का दीप जलाएँगे। यही रामराज्य का मार्ग और यही मानवता की विजय भी है।
लेखक
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश