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यूपी में 17 खतरनाक माने जाने वाले औद्योगिक कार्यों में महिलाओं को मिलेगा मौका

  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को गति देने के लिए इन्वेस्ट यूपी द्वारा उद्योग संघों एवं विभागों के साथ समन्वय बैठक आयोजित

 

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को और बेहतर बनाने की दिशा में इन्वेस्ट यूपी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण परामर्श एवं समन्वय बैठक आयोजित की गई। जिसमें पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, एसोचैम, फिक्की, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स और लघु उद्योग भारती सहित प्रमुख उद्योग संघों तथा फायर सर्विस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विद्युत एवं श्रम विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य औद्योगिक विकास को गति देने एवं अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए सहयोगात्मक रणनीतियों पर विचार करना था।

बैठक में विशेष रूप से निवेश मित्र 3.0 को एक उन्नत सिंगल-विंडो पोर्टल के रूप स्थापित करने पर चर्चा हुई। इसका उद्देश्य औद्योगिक अनुमोदनों, निरीक्षणों और सेवाओं की डिलीवरी में स्वचालन, पारदर्शिता और बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित करना है।

बैठक में यह जानकारी दी गई कि राज्य में औद्योगिक कार्यों को सरल बनाने के लिए फैक्ट्री लाइसेंस की वैधता 10 वर्ष तक बढ़ाई जा रही है और अनुपालन करने वाली इकाइयों के लिए ऑटो-नवीनीकरण की सुविधा भी दी जा रही है। इन उपायों से प्रतिवर्ष 6,700 से अधिक आवेदन और 1,500 नवीनीकरण की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे उद्यमियों पर नियामक बोझ में उल्लेखनीय कमी आएगी।

समावेशी औद्योगिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने उत्तर प्रदेश फैक्ट्री नियमावली, 1950 के तहत 17 खतरनाक माने जाने वाले कार्यों में महिलाओं को कार्य करने की अनुमति दी गयी है। इनमें मिट्टी के बर्तन निर्माण (अनुसूची XV), कालीन निर्माण (XXVII), पीतल के बर्तन (XXVIII), और ताले निर्माण जैसे पारंपरिक उद्योग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रोलाइटिक प्लेटिंग, बैटरी मरम्मत, कांच निर्माण एवं सीसा, क्रोमियम, बेंजीन जैसे रासायनिक पदार्थों से संबंधित क्षेत्रों में भी ढील देने के प्रस्ताव है, जिससे सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा।

बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान के तहत 45 विभागों में 1,000 से अधिक सुधार, 524 डिजिटाइज़्ड सेवाएं और 200 से अधिक जनहित गारंटी अधिनियम के अंतर्गत सेवाएं उद्यमियों को प्रदान की जा रही हैं, जिनकी निगरानी सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से की जा रही है। उत्तर प्रदेश ने सेवा समय-सीमा को 80% तक कम किया है, साथ ही विभागों में दस्तावेजों की मांग को आधा किया गया है, जिससे निवेश प्रक्रिया पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल और तेज हो गई है।

बैठक में कई प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिनमें भारत कुमार (लघु उद्योग भारती), डी.एस. वर्मा (IIA), अतुल श्रीवास्तव (PHDCCI), शैलेन्द्र कुमार (FICCI), मुकेश सिंह (IACC) तथा डी.पी. सिंह (ASSOCHAM) शामिल थे। इसके अलावा विभिन्न विभागों एवं उद्योग संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।