इंडो-जैपनीज मीटिंग में हृदय रोग इलाज पर मंथन करेंगे जापान-कनाडा के चिकित्सक

  • हर वर्ष 600 से अधिक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय चिकित्सकों को मिलता है विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
  • जटिल हृदय रोग उपचार में चिकित्सकीय आत्मनिर्भरता और सहयोग का सशक्त उदाहरण

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। हमारा खान-पान और रहन-सहन दिल को लगातार कमजोर कर रहा है। ऐसे में हृदय से जुड़ी बीमारियों के आधुनिक इलाज की जरूरत महसूस हुई। इस जरूरत को पूरा करता है इंडो-जापानीज़ सीटीओ क्लब। जहां भारत और जापान के शीर्ष हृदय रोग विशेषज्ञ प्रतिवर्ष मीटिंग के माध्यम से विभिन्न केस और उनके इलाज पर अपना अनुभव साझा करते हैं। इससे बड़ी संख्या में हृदय रोग चिकित्सक वरिष्ठ डॉक्टर्स के अनुभव का लाभ उठाते हैं। 30 मई से 1 जून 2025 तक सालाना मीटिंग लखनऊ में होगी।

इस वर्ष क्रॉनिक टोटल ऑक्लूज़न (CTO) को कैसे खोला जाए, इसी विषय पर चर्चा होगी और इससे जुड़े केसेज पर डॉक्टर्स विस्तार से चर्चा करेंगे। इसमें भारत के साथ-साथ जापान, नेपाल और श्रीलंका समेत विभिन्न देशों से भी डॉक्टर्स भाग लेने आएंगे। औसतन प्रति वर्ष इस मीटिंग को 600 से 700 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के डॉक्टर्स अटेंड करते हैं। इस साल भी अब तक 600 से ज़्यादा डॉक्टर्स रजिस्टर कर चुके हैं। यह एक ऐसी विशेषज्ञता है जिसमें बेहतर होने से दिल की नस के बंद होने पर भी बायपास सर्जरी से बचा जा सकता है और जीवन रक्षा की जा सकती है।

जापानी चिकित्सक इस क्षेत्र में लीडर रहे हैं। यह क्लब वर्ष 2013 से चल रहा है। कोविड के कारण दो वर्ष क्लब की मीटिंग स्थगित रही। हालांकि, उसके बाद से यह लगातार जारी है। इस वर्ष की मीटिंग में जापान से डॉ. मसाहिसा यामाने, डॉ. केन्या नासु, डॉ. शंशुके मात्सुनो और डॉ. वातारु नागामात्सु, तथा कनाडा से डॉ. संजोग कालरा अपने अनुभव साझा करेंगे। कोर्स डायरेक्टर्स में डॉ. पी.के. गोयल (लखनऊ), डॉ. एन. प्रताप कुमार (तिरुवनंतपुरम), डॉ. सूर्य प्रकाश राव (हैदराबाद) और डॉ. ए.वी. गणेश कुमार (मुंबई) भी इसमें शामिल रहेंगे।

आईजेसीटीओ के कोर्स डायरेक्टर लखनऊ के डॉ. पी.के. गोयल ने बताया कि अगर हृदय की नस पूरी तरह बंद है, तो कई बार ऐंजियोप्लास्टी मुमकिन नहीं होती है। इसलिए बायपास सर्जरी करनी पड़ती है। लेकिन सीटीओ की इंटरवेंशन तकनीक से हम बंद नस को भी खोल सकते हैं। जिन डॉक्टर्स की इसमें एक्सपर्टीज़ होती है वो ऐंजियोप्लास्टी से ही बंद नस को खोल सकते हैं। इसमें बायपास सर्जरी करने की ज़रूरत नहीं होती है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय डॉक्टर्स को इस क्षेत्र में बहुत उच्च स्तर की विशेषज्ञता प्राप्त है। इसी विशेषज्ञता को फैलाने के लिए हमने इसकी शुरुआत की ताकि और डॉक्टर्स इस तकनीक में दक्ष हों और जब किसी जटिल स्थिति में परेशानी का सामना करें तो हमसे बेझिझक संपर्क भी कर सकें। इस तरह हम सभी मिलकर अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचा सकते हैं।