लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आंचलिक विज्ञान नगरी में आयोजित लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान श्रृंखला के अन्तर्गत रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन्स सेन्टर के वैज्ञानिक एवं हेड अर्थ रिसोर्सेज ने चन्द्रमा का वैज्ञानिक अन्वेषण विषय पर एक विशेष व्याख्यान दिया। जिसमें चन्द्रमा की उत्पत्ति एवं उद्वविकास की परिकल्पनाओं के बारे में बताया कि आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पूर्व एक छोटे ग्रह के पृथ्वी से टकराने से चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई। कुछ समय बाद चन्द्रमा पर उल्कापिण्डों की बमबारी हुई, जिससे बड़े-बड़े केटर्स और पहाड़ बने। विगत लगभग 3.2 अरब वर्षों से चन्द्रमा की सतह में बड़े बदलाव नहीं हुए है। वर्तमान में उल्कापिन्डो विशेष कर सूक्ष्म उल्कापिंडों के टकराने से ही चन्द्रमा की सतह का अपक्षय हो रहा है।


डा. उनियाल ने बताया कि चन्द्रमा का सेलेनियन समिट नामक पठार सबसे ऊंचा है जिसकी ऊंचाई 10 हजार मीटर से अधिक है और वह पृथ्वी की एवरेस्ट चोटी से भी ऊंचा है। चन्द्रमा की सतह पर एक महीन कणों की पाउडर जैसी रिगोलिथ की परत है जिसमें नूकीले कठोर रगड़ पैदा करने वाले कण भी है। चन्द्रमा के ध्रुवीय क्रेटर्स की सूर्य की रोशनी कभी नहीं पड़ती है जिससे इनकी गहराई में जल के जमी अवस्था में होने की सम्भावना है। इस अवसर पर आंचलिक विज्ञान नगरी के कोऑर्डिनेटर मोईनुद्दीन अन्सारी ने भारत के चन्द्र मिशन पर अपने विचार प्रकट किये। कार्यक्रम में आंचलिक विज्ञान नगरी के क्यूरेटरस तथा अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में बच्चो के लिए साईस क्विज तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर फिल्म शो का भी आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ के विभिन्न स्कूलों के 200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान किये गये।
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