लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं। इसकी वजह से देश पर बीमारियों का संकट गहराता रहता है। राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़े बताते हैं कि न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों में आज भी आधे से ज्यादा बच्चे (51%) अविकसित और सामान्य से कम वजन (49%) के हैं। देश में इन आंकड़ों का इजाफा करने में उत्तर प्रदेश को शीर्ष पर माना गया है। हालांकि 2022 तक कुपोषण पर काबू पाने का लक्ष्य प्रदेश सरकार का भी है। इसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी चिंतित रहते हैं और नियोनेटल प्रोसीजर भी काफी संवेदनशील होता है जिसको लेकर बहुत सावधानी की जरूरत होती है। इसमें कई सारी प्रक्रियाएं होती हैं।
डॉ आकाश पंडिता (एसोसिएट डायरेक्टर एंड हेड नियोनेटोलॉजी, मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ) ने बताया कि नियोनेटल प्रोसीजर में एनआईसीयू प्रक्रिया आती है, जिसे बहुत सावधानीपूर्वक करना होता है और इस दौरान कई सारी मेडिकल समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इस वर्कशॉप में इन प्रसीजर और उसके विभिन्न प्रकारों पर ट्रेनिंग दी जायेगी। हम मेदांता में इस वर्कशॉप को हर साल करते हैं और इस साल हमारे पास लगभग 40 से 50 विभिन्न देशों जैसे- ऑस्ट्रेलिया, यूके और कई शहरों से स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने भाग लेंगे। उन्होंने कहाकि नियोनेटल केयर में हमे आज मिलकर आगे बढ़ना होगा और किसी एक सेंटर पर इसको लेकर प्रगति नहीं हो सकती इसलिए हम सबको मिलकर आगे आना होगा। हम चाहते हैं कि हर छोटे-बड़े सेंटर को भी मदद मिल सके, वे इस प्रोसीजर को लेकर ट्रेंड हो सके और इसलिए हमने डेमी उपकरण मंगवाए हैं जिससे उन्हें सही से एक वास्तविक अनुभव में ट्रेनिंग मिल सके।
26 और 27 अगस्त को होने वाले इस वर्कशॉप में नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में लोगों की जागरूकता में कमी और नवजात शिशु चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के विषयों पर ट्रेनिंग के साथ चर्चा की जायेगी। इस सम्मेलन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शोधकर्ता और कई गणमान्य नेताओं सहित मुख्य अतिथि के रूप में यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और डॉ मेदांता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर भी शामिल होंगे। इसमें कई जगहों से आये हर छोटे-बड़े सेंटर से चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी जायेगी और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी की जायेगी।