लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जानकीपुरम सेक्टर जे में राधासखी फाउंडेशन द्वारा आयोजित विशेष चिकित्सा शिविर ने एनीमिया (रक्ताल्पता) से पीड़ित लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं। इस शिविर का नेतृत्व फाउंडेशन के निदेशक अभिषेक सिंह और सीईओ डॉ. प्रीति ने किया, जिसमें डॉ. नीरज सिंह और उनकी चिकित्सा टीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिविर में 20 से अधिक बच्चों और 100 से अधिक वयस्कों की एनीमिया जांच की गई, जिसमें हीमोग्लोबिन स्तर की जांच, पोषण परामर्श, और निःशुल्क दवाइयां प्रदान की गईं। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में एनीमिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए डॉ. नीरज सिंह ने संतुलित आहार, आयरन युक्त खाद्य पदार्थों, और विटामिन सप्लीमेंट्स के महत्व पर जोर दिया।
एनीमिया से संबंधित अन्य जटिलताओं को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त, महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के लिए सैनिटरी उत्पाद प्रदान किए गए। अभिषेक सिंह और डॉ. प्रीति ने स्थानीय लोगों से उनकी स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा की और भविष्य में नियमित स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने का आश्वासन दिया। यह शिविर उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी रहा, जिन्हें चिकित्सा सुविधाओं तक सीमित पहुंच है।

डा. नीरज सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं में एनीमिया का मुख्य कारण माँ में आयरन की कमी, समयपूर्व जन्म, जन्म के दौरान रक्तस्राव, रक्त समूह असंगति या आनुवंशिक बीमारियाँ जैसे थैलेसीमिया हैं।
किशोरियों में एनीमिया का कारण मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, आयरन और विटामिन B12 की कमी, कुपोषण और खराब आहार है।
जबकि किशोर लड़कों में एनीमिया का कारण तेजी से वृद्धि के कारण आयरन की बढ़ी माँग, कुपोषण, परजीवी संक्रमण (जैसे हुकवर्म) और खराब खानपान है।
उन्होंने बताया कि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं खुद की सेहत पर ध्यान नहीं दे रही हैं। भारी मासिक धर्म, गर्भावस्था/प्रसव में रक्त हानि, आयरन और फोलिक एसिड की कमी और पुरानी बीमारियों के कारण महिलाएं एनीमिया का शिकार हो रही हैं।
- सामान्य कारण: कुपोषण, संतुलित आहार की कमी, और सामाजिक-आर्थिक कारक।
- संक्रमण: मलेरिया, हुकवर्म जैसे परजीवी रक्त कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।
- आनुवंशिक कारक: थैलेसीमिया या सिकल सेल एनीमिया सभी आयु समूहों में हो सकता है।
- जीवनशैली: जंक फूड का अधिक सेवन और पौष्टिक भोजन की अनदेखी।
- गर्भावस्था: महिलाओं में आयरन और पोषक तत्वों की बढ़ी आवश्यकता।
- रोकथाम: पौष्टिक आहार, आयरन सप्लीमेंट, और नियमित स्वास्थ्य जाँच।
इस पहल ने न केवल एनीमिया के प्रति जागरूकता फैलाई, बल्कि समुदाय में स्वस्थ जीवनशैली को भी प्रोत्साहित किया। स्थानीय निवासियों ने इस प्रयास की सराहना की और इसे सामुदायिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना। राधासखी फाउंडेशन का यह आयोजन स्वास्थ्य समानता और जागरूकता को बढ़ावा देने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।