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मेदांता अस्पताल : महिलाओं को ब्रेस्ट सेल्फ एग्ज़ामिनेशन के लिए करेगा सशक्त

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महिलाओं को ब्रेस्ट हेल्थ के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मेदांता अस्पताल में ‘आओ। देखो। सीखो।’ कियोस्क को महापौर सुषमा खर्कवाल ने लॉन्च किया। इस अवसर पर मेदांता के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर भी मौजूद रहे। यहां पहली बार महिलाएं ब्रेस्ट सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन (ख़ुद से जांच) का हाथों-हाथ अभ्यास कर सकेंगी। मेदांता कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा देशभर में शुरू किया गया यह अभियान ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता कार्यक्रमों में एक नया बदलाव ला रहा है। पहले यह जानकारी केवल मौखिक और ऑडियो-विज़ुअल माध्यमों से दी जाती थी। अब मेदांता का लक्ष्य है कि इस पहल के जरिए देशभर में 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाया जाए। 

ये ख़ास कियोस्क ‘जानता है मेदांता’ आंदोलन का हिस्सा हैं, जो कैंसर के खिलाफ जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए चलाया जा रहा है। ‘जानता है मेदांता’ केवल एक टैगलाइन नहीं है, बल्कि कैंसर से जंग में गहरी समझ को दिखाता है। यह याद दिलाता है कि मेदांता केवल मरीज को ही नहीं, बल्कि उनके परिवार को भी मुश्किल सफर में साथ लेकर चलता है।

मेदांता के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने कहा, “‘आओ। देखो। सीखो।’ कियोस्क कॉर्पोरेट दफ्तर, रेज़िडेंट वेलफ़ेयर एसोसिएशन और सामुदायिक स्थलों पर लगाए जाएंगे। यहां महिलाओं को एक सुरक्षित, सम्मानजनक और निजता के लिए जरूरी माहौल मिलेगा। जहां वे मेदांता की प्रशिक्षित नर्सिंग टीम की मदद से लाइफ-साइज़ सिम्युलेटर पर ब्रेस्ट सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन की सही तकनीक सीख सकेंगी। यह पहल ब्रेस्ट हेल्थ से जुड़ी झिझक को तोड़ने और शुरुआती पहचान को बढ़ावा देने का काम करेगी।’

हर कियोस्क को तीन हिस्सों में बांटा गया है

– आओ: यहां महिलाओं को आसान संदेशों और विज़ुअल माध्यमों से बताया जाएगा कि स्व-परीक्षण क्यों ज़रूरी है।

– देखो: इंटरैक्टिव सत्र, विशेषज्ञों के वीडियो और एजूकेशनल मैटेरियल से महिलाओं को जागरूक और सक्षम बनाया जाएगा ताकि वे हर महीने खुद जांच करें।

– सीखो: महिलाओं के लिए निजी और सम्मानजनक वातावरण में लाइफ-साइज़ ब्रेस्ट सिम्युलेटर पर नर्सिंग टीम के मार्गदर्शन में सही तकनीक सीखने का अवसर।

मेदांता में कैंसर केयर, एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा, “समय पर स्क्रीनिंग और खुद से अपनी जांच पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है, जबकि यही ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती पहचान और लाखों जिंदगियां बचाने का सबसे आसान तरीका है। ‘आओ। देखो। सीखो।’ पहल के माध्यम से हम जागरूकता को रोजमर्रा के व्यवहार में बदलना चाहते हैं और परिवारों को प्रेरित करना चाहते हैं कि वे इसे अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं।”

कैंसर केयर, एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट सर्जरी की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. रोमा प्रधान ने बताया कि दुनिया भर में हर मिनट 4 महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है और उनमें से एक महिला 5 साल के भीतर अपनी जान गंवा देती है। ये आंकड़े बताते हैं कि समय पर जागरूकता और शुरुआती पहचान कितनी ज़रूरी है। मेदांता के कियोस्क महिलाओं को संकोच और झिझक से बाहर आकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए प्रेरित करेंगे।