(मृत्युंजय दीक्षित)
इटावा के कथावाचक काण्ड को राजनीतिक रंग देकर उसमें स्वयं फंसते नजर आ रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बाबा बागेश्वर धाम आचार्य धीरेंद्र शास्त्ऱी पर ही हमला बोल दिया और उन पर कथा करने के लिए अंडर द टेबल 50 लाख रुपए लेने का आरोप लगाकर नया विवाद उत्पन्न करने का असफल प्रयास किया है। सपा मुखिया जब इटावा की घटना पर भारतीय जनता पार्टी को घेरने में सफल नहीं हुए तब उन्होंने हिंदू राष्ट्र का नारा देने वाले धीरेंद्र शास्त्ऱी जी पर बयान देकर सनसनी मचाने का प्रयास किया। वास्तव में अखिलेश यादव धीरेन्द्र शास्त्ऱी जी की आड़ में अपनी पीडीए राजनीति को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि वर्तमान समय में बाबा बागेश्वर धाम की लोकप्रियता चरम सीमा पर है। बाबा बागेश्वर के लाखों भक्त तथा प्रशंसक हैं, वे जहां भी कथा सुनाने जाते हैं वहां लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। उनके ऊपर सपा मुखिया ने सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत आरोप लगाए हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव घोर जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं और टीवी चैनलों पर अपने प्रवक्ताओं से बहस करवा रहे हैं कि क्या कथा कहना केवल एक जाति का ही अधिकार है? जब वह इस बहस में पिछड़ गए और फंसने लगे तब बाबा बागेश्वर पर हमलावर हो गये। बाबा बागेश्वर ने अखिलेश के आरोपों का उत्तर देते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि अगर दक्षिणा नहीं लेंगे तो कैंसर अस्पताल कैसे बनेगा ? उसमें गरीबों का निःशुल्क उपचार कैसे होगा? बाबा बागेश्वर धाम गरीब कन्याओं का विवाह कैसे संपन्न करवाएगा? बाबा बागेश्वर यदि हनुमानजी का आशीर्वाद लेकर लोगों की समस्या का समाधान करते हैं तो इससे लोगों को परेशानी क्यों हो रही है ?
ज्ञातव्य है कि बाबा बागेश्वर सोशल मीडिया पर भी एक सेलेब्रिटी की तरह हैं। उनके फेसबुक पर साढ़े 8 करोड़ सोशल मीडिया एक्स पर दो लाख तथा इंस्टाग्राम पर भी दो लाख से अधिक फालोअर्स हैं जबकि करोड़ों लोग उनके यूटयूब चैनल को नियमित रूप से देखते हैं।अपनी कथा व उपदेशों के माध्यम से वह जनमानस को हिन्दू एकता और र्श्त्रवाद का पाठ पढ़ाते हैं यही कारण है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव अन्य स्वार्थी नेता उनसे उन पर सामूहिक हमले करते हैं। विगत वर्ष जब बाबा बागेश्वर कथा करने के लिए बिहार गये थे तब वहां के विरोधी दलों के नेताओं ने उनको जेल मे डालने की बात तक कही थी।
बाबा बागेश्वर जी से उन सभी राजनैतिक दलों व नेताओं को समस्या उत्पन्न हो रही है जो जातिवाद व मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाह रहे हैं। बाबा बागेश्वर धाम जातिवाद को कैंसर के समकक्ष बताते हैं और हिंदू समाज को एक बनाए रखने के लिए काम करते हैं। हिन्दू एकता के लिए की गई उनकी पहली पदयात्रा बहुत सफल व लोकप्रिय रही थी, अब वह एक बार फिर नई दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा पर निकलने वाले हैं।
सच्चाई यह है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव का बाबा पर यह ताजा हमला उनकी हिंदू संत समाज व सनातन विरोधी मानसिकता को ही दर्शाता है। जो लोग अयोध्या, मथुरा व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के प्रबल विरोधी रहे हों, जिन लोगों ने अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों का नरसंहार किया हो, जिन्होंने कुम्भ का उपहास किया हो वो एक हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले युवा संत का विरोध ही करेंगे। जब महाराष्ट्र के पालघर में संतों को मुस्लिम भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था तब सपा मुखिया मौन हो गए थे।
सपा मुखिया ने केवल बाबा पर हमला नहीं किया है अपितु सभी कथावाचकों और संतो सहित सनातन धर्म व उसकी एकता पर किया है। सपा मुखिया को स्पष्ट रूप से रामायण ,महाभारत, भागवत कथा ,आरती, मंदिर, गौशालाओं ,गीता आदि सभी से नफरत है। सपा मुखिया को हर उस अच्छी चीज से नफरत है जिससे हिन्दू समाज का गौरव बढ़ता है। सपा के लोग प्रायः रामचरित मानस आदि ग्रंथों का अपमान करने से नहीं चूकते कभी फाड़ते हैं कभी जलाते हैं। है। सपा मुखिया गौशालाओं से बदबू आती है जैसी बातें कहकर भगवान श्रीकष्ण व समस्त यदुवंशी समाज का अपमान कर चुके हैं।
सपा मुखिया ने पहले कथावाचक घटना को राजनैतिक रंग देकर फिर बाबा बागेश्वर पर हमला करके एक बहुत ही निम्न राजनैतिक चाल चली है। उत्तर प्रदेश और बिहार ही नहीं वरन पूरे देश को यह समझना होगा। यह समय जातिवाद की राजनीति से ऊपर उठकर स्वार्थी राजनेताओं को पूरी तरह से घूल चटाने का समय।