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जटिल स्थिति में दोनों किडनियों की सफल सर्जरी, स्वस्थ होकर लौटी महिला 

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। किडनी में ट्यूमर एक खतरनाक स्थिति होती है और जब यह दोनों किडनियों में हो तथा आकार बड़ा हो, तो मामला अत्यंत गंभीर हो जाता है। ऐसा ही एक मामला 47 वर्षीय महिला मरीज के साथ सामने आया, जिनकी दोनों किडनियों में ट्यूमर था। शुरुआती जांच में एक किडनी में 8 सेमी और दूसरी में 4 सेमी का ट्यूमर पाया गया। अन्य अस्पतालों में उन्हें किडनी निकालने की सलाह दी गई थी, जिससे उन्हें आजीवन केवल एक किडनी के सहारे जीना पड़ता।

जब मरीज मेदांता, लखनऊ पहुंचीं, तो यहां यूरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने उनकी स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया। इस विषय में डॉ. रोहित कपूर, यूरोलॉजी विभाग, मेदांता हॉस्पिटल ने बताया कि मरीज की एक किडनी में 8 सेमी और दूसरी में 4 सेमी का ट्यूमर था। जब मरीज यहां आईं, तो उनका सीटी स्कैन कर ट्यूमर की स्थिति, स्थान और जटिलता का आकलन किया गया।

यदि किसी व्यक्ति में किडनी ट्यूमर की आशंका होती है, तो ऐसे मरीजों में सीटी स्कैन कराना आवश्यक होता है। जिससे ट्यूमर की पुष्टि, उसकी स्थिति और जटिलता की जानकारी मिलती है। हमारे इस मरीज के मामले में जटिलता स्कोरिंग के अनुसार दाहिने गुर्दे में ट्यूमर का स्कोर 10× था, जो कि अत्यंत जटिल श्रेणी में आता है। यही कारण था कि अन्य अस्पतालों ने किडनी निकालने की सलाह दी थी। लेकिन हमने सभी पहलुओं पर विचार कर रोबोटिक तकनीक के ज़रिए किडनी को बचाते हुए ट्यूमर निकालने का निर्णय लिया।

सर्जरी से पहले मरीज को सभी संभावित जटिलताओं के बारे में विस्तार से बताया गया। किडनी की संवेदनशीलता और दोनों में ट्यूमर होने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पहले एक किडनी के ट्यूमर को निकाला गया। जब वह किडनी ठीक से कार्य करने लगी, तब दूसरी किडनी से भी ट्यूमर को हटाया गया। आज मरीज की दोनों किडनियां पूरी तरह स्वस्थ और कार्यशील हैं।

डॉ. कपूर ने बताया कि हमारे पास तीन प्रकार की सर्जरी के विकल्प होते हैं – ओपन, लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक। ओपन सर्जरी में बड़ा चीरा होता है लेकिन सटीकता अधिक होती है, वहीं लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में चीरा छोटा होता है परंतु मूवमेंट सीमित रहते हैं। रोबोटिक सर्जरी में छोटा चीरा और 270 डिग्री मूवमेंट के साथ अत्यधिक सटीकता मिलती है, जिससे जटिल से जटिल सर्जरी भी आसानी से संभव हो पाती है।

उन्होंने आमजन को किडनी की सेहत को लेकर सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि आज की जीवनशैली, हवा और अनाज में बढ़ते पॉल्यूटेंट और टॉक्सिन्स के कारण किडनी कैंसर का खतरा उन लोगों में भी बढ़ रहा है, जिन्होंने कभी तंबाकू या शराब का सेवन नहीं किया। इसलिए 25 वर्ष की आयु के बाद हर व्यक्ति को वर्ष में एक बार फुल बॉडी चेकअप और अल्ट्रासाउंड अवश्य कराना चाहिए।

आज के समय में रोबोटिक सर्जरी के विकास के कारण हम जटिल से जटिल और बड़े ट्यूमर को भी किडनी को बचाते हुए निकालने का प्रयास कर सकते हैं, जबकि पहले ऐसे मामलों में पूरा गुर्दा निकाल दिया जाता था। गुर्दा बचाने का लाभ यह है कि भविष्य में किडनी फेल्योर जैसी समस्याओं से बचाव किया जा सकता है, जिससे मरीज एक स्वस्थ और सामान्य जीवनशैली जी सकता है।