- उत्तर प्रदेश ईवी चार्जिंग स्टेशन हेतु अपस्ट्रीम अवस्थापना लागत पर सब्सिडी देने वाला देश का पहला राज्य बना
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने और सेवा प्रदाताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने चार्जिंग स्टेशनों की अपस्ट्रीम अवस्थापना लागत को ईवी सब्सिडी ढांचे में सम्मिलित करने को स्वीकृति प्रदान की है। यह महत्वपूर्ण निर्णय मई 2025 में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय प्राधिकृत इलेक्ट्रिक वाहन समिति (HLEEVC) की बैठक में लिया गया।
भारत में पहली बार, पात्र नियत पूंजी निवेश—जिसके आधार पर प्रति यूनिट ₹10 लाख तक पूंजी अनुदान (कैपिटल सब्सिडी) मिलती है। अब नीति अवधि के दौरान अपस्ट्रीम अवस्थापना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) लागत को भी कवर करेगा। यह सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों (PCS) की क्षमता और व्यावसायिक व्यवहार्यता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रदेश में इस नीति के क्रियान्वयन के लिए इन्वेस्ट यूपी नोडल एजेंसी है।
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण एवं गतिशीलता नीति–2022 में किए गए इस संशोधन से चार्ज पॉइंट ऑपरेटर्स की एक प्रमुख समस्या का समाधान होगा। पूर्व में अपस्ट्रीम लागत को पात्र निवेश में शामिल नहीं किए जाने के कारण वे न्यूनतम ₹25 लाख की निवेश सीमा पूरी नहीं कर पा रहे थे और सब्सिडी से वंचित रह जाते थे।

नीति के अंतर्गत राज्य में चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करने वाले ऑपरेटरों को आकर्षक प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। उन्हें एक बार (एकल) पूंजी अनुदान दिया जाता है। जिसमें भवन निर्माण, सिविल वर्क्स, चार्जर, अपस्ट्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर (मीटर तक और मीटर के पीछे), बैटरी उपकरण, यूटिलिटीज, उपकरण और अन्य संबंधित परिसंपत्तियों (भूमि लागत को छोड़कर) पर हुए निवेश की 20% राशि, अधिकतम ₹10 लाख प्रति इकाई तक सब्सिडी के रूप में दी जाती है।
यह निर्णय उत्तर प्रदेश को भारत का अग्रणी ईवी विनिर्माण और गतिशीलता केंद्र बनाने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है। वर्तमान में यह नीति सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन इकाइयों को 20% पूंजी सब्सिडी का समर्थन करती है। बशर्ते प्रत्येक यूनिट में ₹25 लाख या उससे अधिक का निवेश किया गया हो।
इस प्रगतिशील समावेश के साथ, उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य बन गया है। जिसने ईवी चार्जिंग स्टेशनों में अपस्ट्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सब्सिडी प्रदान करने का प्रावधान किया है। जिससे निवेश-हितैषी माहौल तैयार होगा और राज्य में ईवी अपनाने की गति को और बल मिलेगा।
भारत के तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार उत्तर प्रदेश में अब तक 12,72,206 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। विकास की इस गति को बनाए रखने के लिए, 450 से अधिक चार्जिंग स्टेशनों को GIS डैशबोर्ड पर जोड़ा जा रहा है, 740+ ईवी बसें प्रमुख मार्गों पर तैनात की गई हैं और 15 शहरों में 116 ग्रीन रूट्स की पहचान की गई है, जिन पर अगले चरण में ईवी बसें चलाई जाएंगी।
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