लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने लीवर ट्रांसप्लांट और हेपेटो-पैंक्रिएटो-बिलियरी (एचपीबी) सर्जरी के लिए एक विशेष “कॉम्प्रिहेंसिव लीवर डिजीज क्लिनिक” की शुरुआत की है। इस क्लिनिक में लिवर ट्रांसप्लांट टीम में डॉ. अभिषेक यादव (सीनियर डायरेक्टर और एचओडी- लीवर ट्रांसप्लांट एवं एचपीबी सर्जरी), डॉ. राजीव रंजन सिंह (डायरेक्टर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी), डॉ. जयेन्द्र शुक्ला (कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) और डॉ. उत्कर्ष श्रीवास्तव (कंसल्टेंट लीवर ट्रांसप्लांट एवं गैस्ट्रो सर्जन) शामिल हैं। अत्यंत कुशल डॉक्टर्स की टीम के निर्देशन में चलने वाली यह क्लीनिक गंभीर लीवर रोग और जटिल सर्जिकल निर्णयों के मामलों में मरीजों और उनके परिवारों के लिए भरोसेमंद मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

इस क्लिनिक की शुरुआत करते हुए डॉ. अभिषेक यादव ने कहा, “भारत में हर साल 2.5 से 3 लाख लोग लीवर रोग और लीवर सिरोसिस के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। लीवर रोग अब भारत में मृत्यु का 8वां सबसे आम कारण बन चुका है, जबकि 10 साल पहले यह 10वें स्थान पर था। भारत में सालाना केवल 2500–3000 लीवर ट्रांसप्लांट ही होते हैं, जो कि वास्तविक ज़रूरत का केवल 1–2 फीसदी ही है। फैटी लीवर डिजीज तेजी से बढ़ रही है और भारत की 30-35 फीसदी आबादी इससे प्रभावित है, कुछ क्षेत्रों में यह संख्या 50 फीसदी तक पहुँच चुकी है।
उत्तर प्रदेश की आबादी (जो कि भारत की लगभग 17 फीसदी आबादी का हिस्सा है) में करीब 50,000-60,000 लोग हर साल लीवर रोगों के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। लेकिन केवल 200-250 लीवर ट्रांसप्लांट ही सालाना हो पाते हैं और ये ज्यादातर एनसीआर क्षेत्र में होते हैं। पूरे राज्य में केवल चार लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर हैं, जबकि तमिलनाडु में 42, महाराष्ट्र में 36, दिल्ली एनसीआर में 35, कर्नाटक में 25 और केरल में 19 सेंटर हैं। ऐसे में ज्यादातर मरीजों को अन्य राज्यों का रुख करना पड़ता है, जिससे इलाज की लागत बढ़ जाती है और पोस्ट-ट्रांसप्लांट फॉलो-अप कठिन हो जाता है।
इस लीवर डिजीज क्लिनिक का उद्देश्य मरीजों और उनके परिवारों को हर जटिल लीवर समस्या में स्पष्ट और भरोसेमंद जानकारी देना है। चाहे वह लीवर ट्रांसप्लांट का निर्णय हो या जटिल पेट सम्बंधित सर्जरी, हमारा क्लिनिक मरीजों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन और समझ देने का काम करता है ताकि वे अपने इलाज के विकल्पों को आत्मविश्वास के साथ चुन सकें। यह क्लिनिक उत्तर प्रदेश ही नहीं बिहार, झारखण्ड और नेपाल के मरीजों के लिए एक स्थायी और भरोसेमंद संसाधन बनेगा।”
डॉ. मयंक सोमानी (एमडी एंड सीईओ अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल) ने कहा, “अपोलोमेडिक्स प्राइवेट सेक्टर में यूपी में लीवर ट्रांसप्लांट शुरू करने वाला पहला केंद्र है। हॉस्पिटल की अनुभवी विशेषज्ञों की टीम पूरी तरह से इन-हाउस है, 24×7 उपलब्ध है और इसके द्वारा किए गए ट्रांसप्लांट की सफलता दर 95 फीसदी से अधिक है। अपोलो का देशभर में 75 से अधिक अस्पतालों का नेटवर्क कॉम्प्रिहेंसिव लीवर डिजीज क्लिनिक और रिमोट कंसल्टेशन को हर कोने तक संभव बनाता है। डॉ. अभिषेक यादव इस क्लिनिक का नेतृत्व करेंगे। डॉ. यादव ने अब तक 2000 से अधिक सफल लीवर ट्रांसप्लांट और 4000 से अधिक जटिल एचपीबी एवं जीआई सर्जरी की हैं। उनके पास 19 वर्षों का समृद्ध क्लिनिकल अनुभव है। उन्होंने बुर्जील अस्पताल अबू धाबी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल नई दिल्ली, नारायणा हॉस्पिटल बेंगलुरु, केयर हॉस्पिटल हैदराबाद, वीपीएस लेकशोर हॉस्पिटल कोच्चि और ज्यूपिटर हॉस्पिटल मुंबई एवं पुणे जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया है। साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश में पहला कैडेवरिक मल्टीऑर्गन ट्रांसप्लांट, मध्य भारत में पहला लिविंग डोनर कंबाइंड लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट और 5 महीने के छोटे बच्चे का सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया है जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
लीवर रोग के मामलों में सही निर्णय और विशेषज्ञ सलाह जीवन बदल सकती है। हमारे कॉम्प्रिहेंसिव लीवर डिजीज क्लिनिक के ज़रिए हम मरीजों को न केवल उनका इलाज समझने में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें सुरक्षित और भरोसेमंद उपचार विकल्प भी सुझाएंगे।”
लखनऊ अब यूपी और आसपास के राज्यों के लिए तेजी से उभरता हुआ मेडिकल हब बन रहा है। ऐसे में अपोलोमेडिक्स का कॉम्प्रिहेंसिव लीवर डिजीज क्लिनिक मरीजों को जीवन-बचाने वाले निर्णय लेने में मददगार और भरोसेमंद संसाधन साबित होगा।