मुंबई (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत ने वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी दिशा में मल्टी-स्टेट मलेरिया एलिमिनेशन प्रोग्राम EMBED (एलिमिनेशन ऑफ मॉस्किटो बोर्न इंडिमिक डिजीजेज) ने महाराष्ट्र समेत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मलेरिया एवं डेंगू के प्रसार पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाया है।
कार्यक्रम के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष समारोह आयोजित किया गया। जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, स्वास्थ्य संस्थानों के प्रतिनिधि और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के अधिकारी उपस्थित रहे। जीसीपीएल इन राज्यों में इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सहयोग दे रही है।
EMBED कार्यक्रम के दस वर्षों की उपलब्धियों को आगे बढ़ाते हुए, एक तकनीक आधारित नई पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत दो अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म कम्युनिटी हेल्थ वॉलंटियर ऐप और सप्लाई चेन ऐप लॉन्च किए गए हैं। जिनका उद्देश्य मलेरिया उन्मूलन की प्रक्रिया को तेज़, सटीक और अधिक प्रभावी बनाना है। कम्युनिटी हेल्थ वॉलंटियर ऐप स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवकों को लार्वा व बुखार के सर्वेक्षण को डिजिटल रूप से करने में सक्षम बनाता है। यह ऐप रीयल-टाइम डेटा कैप्चर, डैशबोर्ड, जियो-ट्रैकिंग और ऑटोमैटेड रिमाइंडर जैसी उन्नत सुविधाओं से लैस है, जो हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में उपलब्ध हैं।
वहीं, सप्लाई चेन ऐप दवाओं और डायग्नोस्टिक किट्स के वितरण की पूरी प्रक्रिया को पूर्णतः डिजिटल बना देता है। पहले जो मैनुअल प्रणाली देरी और डेटा की कमी से प्रभावित होती थी, अब उसकी जगह रीयल-टाइम डैशबोर्ड, जियो-ट्रैकिंग और ऑटोमेटेड अलर्ट्स ने ले ली है। इससे अधिकारी अब इन्वेंटरी की निगरानी, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रैकिंग के साथ ही गांव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर कमी की त्वरित पूर्ति कर सकते हैं। जिससे मलेरिया रोकथाम के सभी आवश्यक साधन समय पर और सुचारू रूप से उपलब्ध हो सकें।

‘EMBED’, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की प्रमुख सीएसआर पहल है, जो भारत में मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक रणनीतिक कार्यक्रम है। यह व्यापक और लक्षित पहल महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य विभागों के सहयोग से लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद खामियों को दूर करते हुए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी), व्यवहार परिवर्तन संचार (बीसीसी) तथा स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से मलेरिया और डेंगू की पॉजिटिविटी दर और संबंधित मौतों में महत्वपूर्ण कमी लाना है।
‘EMBED’ कार्यक्रम फैमिली हेल्थ इंडिया और सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (PATH सहयोगी संस्था) के साथ साझेदारी में वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। तब से अब तक यह कार्यक्रम 32 जिलों के 27 लाख से अधिक परिवारों तक पहुंच चुका है, जिनमें 8,000 से अधिक झुग्गी बस्तियां और 14,000 गांव शामिल हैं। अब तक यह कार्यक्रम तीन राज्यों में आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिए पर रहने वाले 2.8 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुका है।
महाराष्ट्र में, EMBED को वर्ष 2023 में राज्य स्वास्थ्य विभाग और जीसीपीएल द्वारा अपनाया गया। यह कार्यक्रम ठाणे, पालघर और मुंबई जिलों में शुरू किया गया, जहां मच्छर जनित बीमारियों, विशेषकर डेंगू का खतरा अधिक है। आज यह परियोजना 1,536 झुग्गियों को कवर कर रही है, 2.8 लाख घरों तक पहुंची है, 13.6 लाख आबादी को प्रभावित कर रही है और इसके तहत 110 आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है।

इस यात्रा पर विचार व्यक्त करते हुए सुधीर सितापति (प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड) ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में ‘EMBED’ के माध्यम से हमारे सीएसआर प्रयासों ने दृश्यमान परिवर्तन लाया है। मैं आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्यकर्मियों और स्थानीय स्वयंसेवकों सहित पूरे इकोसिस्टम को बधाई देता हूं, जिन्होंने इसे संभव बनाया।”
महाराष्ट्र के ग्रामीण जिलों गढ़चिरोली, गोंदिया और चंद्रपुर में भी EMBED लागू है। यह 1,502 गांवों, 2.03 लाख घरों और 10 लाख जनसंख्या तक पहुंच रहा है। 325 आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से यह परियोजना समुदायों को सशक्त बनाने, लोगों को मलेरिया के प्रसार, लक्षणों और रोकथाम के बारे में शिक्षित करने पर केंद्रित है।
स्थानीय समुदाय सक्रिय रूप से अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में मच्छर प्रजनन स्थलों की पहचान और समाप्ति में भाग ले रहे हैं, जिससे रोग प्रसार का खतरा कम हुआ है। यह परियोजना आशा कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण पर भी बल देती है ताकि वे समय पर निदान और पूर्ण उपचार सुनिश्चित कर सकें।
गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप की “गुड एंड ग्रीन” फिलॉसफी के अनुरूप, जीसीपीएल द्वारा समर्थित EMBED मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम ने स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत किया है और यह अन्य राज्यों के लिए मलेरिया-मुक्त भारत की दिशा में एक अनुकरणीय मॉडल बन गया है।
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