Monday , September 29 2025

नारायण सेवा संस्थान : एक ही दिन में 223 दिव्यांगों को लगाए गए 273 कृत्रिम अंग

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके जीवन में आशा की किरण जगाने के उद्देश्य से नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने मेरठ में नारायण लिंब फ़िटमेंट कैम्प आयोजित किया। इस कैम्प में 223 दिव्यांगों को 273 कृत्रिम अंग निःशुल्क पहनाए गए। इनमें लगभग 20 प्रतिशत दिव्यांगों को मल्टीपल लिंब लगाए गए, जिससे उनका जीवन और अधिक सहज और आसान बन सका।

मेजरमेंट कैम्प से लेकर फ़िटमेंट तक

संस्थान ने 22 जून को मेरठ में एक नारायण लिंब मेजरमेंट कैम्प आयोजित किया था। इस दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान से आए 400 से अधिक दिव्यांगों ने भाग लिया। संस्थान की अनुभवी तकनीकी टीम ने सभी का स्क्रीनिंग कर 223 दिव्यांगों का चयन किया और उनके कृत्रिम हाथ-पैरों का माप लिया। इसके बाद उदयपुर स्थित फेब्रिकेशन यूनिट में जर्मन टेक्नोलॉजी से कृत्रिम अंग तैयार किए गए। पुनः मेरठ में फ़िटमेंट कैम्प आयोजित कर इन्हें प्रदान किया गया।

वर्षों से सतत सेवा

नारायण सेवा संस्थान कई वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों में निःशुल्क लिंब फ़िटमेंट कैम्प आयोजित करता आ रहा है। सेवा और समर्पण की इस यात्रा में हर माह लगभग 1600 दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने योग्य बनाया जा रहा है।

संस्थान का मिशन

नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा, “हमारा प्रयास है कि देश-दुनिया के किसी भी भू-भाग का दिव्यांग क्यों न हो, उसे निराशा और दुख से निकालकर आत्मविश्वास और सम्मानजनक जीवन प्रदान किया जाए। अब तक 40 हजार से अधिक दिव्यांगों के जीवन में नई राह और नई खुशियाँ लाने का सौभाग्य हमें मिला है। आने वाले समय में अहमदाबाद, देहरादून और लखनऊ सहित कई राज्यों में ऐसे कैम्प आयोजित किए जाएंगे।”

कृत्रिम अंगों की विशेषताएँ

संस्थान द्वारा तैयार किए गए ये कृत्रिम अंग वजन में हल्के, टिकाऊ और सटीक माप वाले हैं। इनका उपयोग दिव्यांगों के लिए सरल और आरामदायक है तथा ये लंबे समय तक साथ देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नारायण सेवा संस्थान इन्हें पूर्णत: निःशुल्क उपलब्ध कराता है और इनकी मरम्मत व रखरखाव की सुविधा भी जीवनभर मुफ्त प्रदान करता है।

सेवा से समाज में सम्मान

नारायण सेवा संस्थान का यह प्रयास केवल कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिव्यांगों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने का एक सतत आंदोलन है। मेरठ कैम्प की सफलता ने यह साबित कर दिया कि सेवा और समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।