लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कई दंपतियों के लिए आईवीएफ का सबसे कठिन हिस्सा उसका निश्चित न होना है। हफ्तों तक इंजेक्शन, स्कैन और एग रिट्रीवल जैसी प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद भी कभी-कभी साइकिल सफल नहीं होती या पर्याप्त एम्ब्रियो नहीं मिलते। डॉ. सौम्या कुलश्रेष्ठ (फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिर्ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, लखनऊ) बताती हैं कि ऐसे में एम्ब्रियो पूलिंग एक बेहतर तरीका साबित हो सकती है।
एम्ब्रियो पूलिंग का मतलब है एक से अधिक स्टिमुलेशन साइकिल से एम्ब्रियो इकट्ठा करना, उन्हें फ्रीज़ करना और बाद में सबसे बेहतर एम्ब्रियो ट्रांसफर करना। एक सिंगल साइकिल में जो परिणाम मिलते हैं, उन पर निर्भर रहने के बजाय धीरे-धीरे एम्ब्रियो का एक ‘स्टॉक’ तैयार किया जाता है ताकि ट्रांसफर के समय सफलता की संभावना ज्यादा हो। यह तरीका हर एक के लिए ज़रूरी नहीं होता, लेकिन कुछ स्थितियों में फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट इसे सुझाते हैं।
कब की जाती है एम्ब्रियो पूलिंग?
लो ओवेरियन रिज़र्व: अगर महिला के पास अंडों की संख्या कम है, तो हर आईवीएफ साइकिल में सिर्फ 1-2 एम्ब्रियो या कभी-कभी एक भी नहीं मिलता। ऐसे में कई साइकिल के दौरान एम्ब्रियो इकट्ठा करने से स्वस्थ एम्ब्रियो मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
उम्र का असर: उम्र के साथ, खासकर 35 साल के बाद, अंडों की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे एम्ब्रियो में क्रोमोसोम सम्बंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ता है। अगर कई साइकिल में अधिक एम्ब्रियो एकत्र किए जाएं और उनका प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) किया जाए, तो स्वस्थ एम्ब्रियो मिलने की संभावना ज्यादा होती है।
आईवीएफ स्टिमुलेशन में कम प्रतिक्रिया: कुछ महिलाओं का शरीर काफी इंजेक्शन के बाद भी कम अंडे बनाता है। बार-बार वही प्रक्रिया दोहराने से निराशा हो सकती है। पूलिंग से बेहतर निर्णय और सफलता के चांस बढ़ सकते हैं।
बार-बार गर्भपात का इतिहास: ऐसे मामलों में एम्ब्रियो का जेनेटिक टेस्ट करके सिर्फ स्वस्थ एम्ब्रियो ट्रांसफर किए जा सकते हैं, जिससे दोबारा गर्भपात का जोखिम कम होता है।
लगातार असफल साइकिल्स का शारीरिक और मानसिक तनाव बहुत भारी हो सकता है। एम्ब्रियो पूलिंग से प्रक्रिया में एक स्ट्रक्चर और योजना आती है। भले ही इसमें समय थोड़ा ज्यादा लगता हो, लेकिन कई दंपति इसे अधिक प्रभावी मानते हैं।
हर आईवीएफ यात्रा में एम्ब्रियो पूलिंग ज़रूरी नहीं है, लेकिन विशेष चुनौतियों का सामना कर रहे दंपतियों के लिए यह एक बेहतर और रणनीतिक विकल्प साबित हो सकता है, जो अनिश्चितता को कम करते हुए गर्भधारण की संभावना बढ़ा सकता है।