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तनाएरा ने प्रमाणिकता और विरासत को बढ़ावा देने के लिए उठाया एक और कदम

  • राष्ट्रीय हैण्डलूम दिवस पर प्रोडक्ट्स में की जीआई टैगिंग की शुरुआत
  • ब्राण्ड कारीगरों को सशक्त बनाते हुए भारत की समृद्ध टेक्सटाईल धरोहर को संरक्षित बनाने के प्रयास जारी रखे हुए है  

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। देश राष्ट्रीय हैण्डलूम दिवस के आयोजन की तैयारियां में जुटा है। इस बीच टाटा की प्रोडक्ट तनाएरा ने अपने प्रोडक्ट्स पर जीआई टैगिंग की शुरूआत कर देश की बेजोड़ टेक्सटाईल धरोहर को सुरक्षित रखने की प्रतिबद्धता को और मजबूत बना लिया है। इस पहल के साथ तनाएरा देश के कुछ पहले साड़ी ब्राण्ड्स में शामिल हो गई है, जो बनारसी, चंदेरी और माहेश्वरी जैसे मुख्य क्लस्टर्स में जीआई-सर्टिफाईड हैण्डलूम साड़ियां लेकर आती है।

यह पहल लूम पर काम करने वाले कारीगरों के लिए ब्राण्ड की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जो कई पीढ़ियों से अपनी कारीगरी को नया आयाम देते आए हैं और फैब्रिक के हर पीस में परम्परा बुनते हैं। यह कदम प्रमाणिकता एवं नैतिक कारीगरी के लिए तनाएरा के समर्पण की पुष्टि करता है, जिसका उद्देश्य उन उपभोक्ताओं एवं समुदायों के साथ गहरे रिश्ते बनाना है जो भारत की समृद्ध बुनाई की परम्परा को जीवंत बनाए रखे हुए हैं।

तनाएरा शुरूआत से ही प्रमाणिकता को महत्व देती आई है। सिल्क के लिए हैण्डलूम मार्क से लेकर ज़री सर्टिफिकेशन तक इनका हर प्रोडक्ट इसी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। अब जीआई टेगिंग की पेशकश ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं के भरोसे को और मजबूत बनाएगी, ब्राण्ड का उद्देश्य देश के सर्वश्रेष्ठ कारीगरी को एक ही छत के नीचे लाना है।

इस पहल के तहत तनाएरा जीआई सर्टिफिकेशन को सुगम बनाने के लिए वेंडर पार्टनर्स एवं कारीगर समूहों के साथ मिलकर काम करेगी। उन्हें दस्तावेजों के लिए ज़रूरी सहयोग, कानूनी मार्गदर्शन एवं हर ज़रूरी सहायता प्रदान करेगी। आज परिधानों में डिज़ाइन की बात करें तो हाथ की कारीगरी का महत्व कम हो रहा है, इसके बजाए मशीनां के काम पर ज़ोर बढ़ा है, ऐसे में तनाएरा का यह प्रयास हाथ की कारीगरी की खूबसूरती, भव्यता एवं परम्परा को बनाए रखने, इसे संरक्षित रखने के ब्राण्ड के इरादे को दर्शाता है।

तनाएरा हैण्डलूम रीटेल के लिए सर्टिफाईड एवं पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाती है। हैण्डलूम मार्क, सिल्क मार्क, ज़री सर्टिफिकेशन, खादी सर्टिफिकेट और पश्मिना सर्टिफिकेशन जैसे प्रयास ब्राण्ड के इसी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। अब जीआई टैगिंग के साथ, ब्राण्ड के सर्टिफिकेशन्स सुनिश्चित करते हैं कि ब्राण्ड का हर प्रोडक्ट उन कारीगरों से आया है जो सदियों से इस कारीगरी की धरोहर को संरक्षित बनाए रखे हुए हैं।

इस उपलब्धि पर बात करते हुए अंबुज नारायण (सीईओ, तनाएरा) ने कहा, ‘‘नेशनल हैण्डलूम दिवस के मौके पर हमें गर्व है कि हमने भारत की बुनाई की परम्परा को सुरक्षित रखने तथा अपने कारीगर समुदाय को समर्थन प्रदान करने के लिए एक और कदम बढ़ाया है। कारीगर समुदायों के सहयोग से सर्टिफाईड बुनाई तथा जीआई-टैग्ड प्रोडक्ट लाकर हम ऐसी पारदर्शी आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण कराना चाहते हैं। जो न सिर्फ कारीगरों को सशक्त बनाए बल्कि उपभोक्ताओं को भी सोच-समझ कर सजग विकल्प चुनने में मदद करे। इस पहल के माध्यम से हमने अपने प्रोडक्ट्स में खूबसूरती के दायरे से आगे बढ़कर प्रमाणिकता को भी शामिल किया है, हम देश की समृद्ध संस्कृति एवं कारीगरी को धरोहर को बड़े पैमाने पर दुनिया के समक्ष लाने के लिए प्रयासरत हैं।’

बुनकर समुदायों के साथ सक्रिय साझेदारी के द्वारा ब्राण्ड उस पारम्परिक ज्ञान को संरक्षित रखने के लिए प्रयासरत है, जो भारतीय टेक्सटाईल्स को परिभाषित करता है। ब्राण्ड के इन प्रयासों से बुनकर समुदायों को उनकी पहचान मिलती है। जीआई-टैग्ड साड़ियां भारत की सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास एवं कारीगरी का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। ये साड़ियां न सिर्फ़ परम्परा की संरक्षक हैं बल्कि कई पीढ़ियां तक चलती हैं, ये आराम और सदाबहार सौंदर्य का अनूठा संयोजन हैं।

तनाएरा जीआई टैग्ड समुदायों के पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है, तकरीबन 10 अन्य क्षेत्रों से बुनाई का काम जारी है। हर नए प्रयास के साथ ब्राण्ड आधुनिक भारतीय महिलाओं के लिए प्रमाणित, क्षेत्र-विशिष्ट हैण्डलूम प्रोडक्ट्स को सुलभ बनाने तथा बुनकर समुदायों के कल्याण के दृष्टिकोण के और करीब आ जाती है। नेशनल हैण्डलूम दिवस के मौके पर तनाएरा हर धागे में बुनी कहानियों के साथ जुड़ने के लिए उपभोक्ताओं को आमंत्रित करती है।