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कठोरता, प्रखरता और कर्मठता के प्रतीक थे मदन दास – भैयाजी जोशी

-मदन दास के निधन को सबके लिए वेदनापूर्ण बताया

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी ने कहा कि मदन दास का जाना हम सबके लिए वेदनापूर्ण है। उनका जीवन पुरुषार्थी था। वह कठोरता, प्रखरता व कर्मठता के प्रतीक थे। मंगलवार को भैयाजी जोशी निरालानगर स्थित माधव सभागार में संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह रहे मदन दास देवी की श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे।

भैयाजी जोशी ने कहा कि वैचारिक स्पष्टता के कारण मदन दास कभी परिस्थितियों से समझौता नहीं किये। उनकी वाणी, शैली, वैचारिक स्पष्टता हम सबको प्रभावित करती है। उनका जीवन अत्यंत पारदर्शी था। वह कठोर थे और प्रमाणिक भी थे। उनका अंतःकरण निर्मल था। उनके अन्दर व्यक्तियों को पढ़ने की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने अपने जीवन में किसी की उपेक्षा नहीं की। उन्होंने लाखों छात्रों एवं स्वयंसेवकों को योग्य बनाए। मेरा संबंध उनके साथ 30-32 वर्षों से रहा है, लेकिन उनके चेहरे पर हमने कभी निराशा और वेदना नहीं देखी।

उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति जन्म लेता है, उस समय ही उसे जाने की तिथि भी तय हो जाती है। मदन दास का जीवन साधनामय था। कई सफलताओं के क्षण उनके जीवन में हैं। एक सार्थक जीवन हम सबके बीच नहीं रहा। उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में व्यक्ति का जीवन शुद्धता से भरा होना चाहिए, उनके जीवन में हमने उस शुद्धता को देखा है।

भैयाजी जोशी ने बताया कि मदन दास सहजता के प्रतीक थे। वह जिसको भी जानते थे उसके सुख-दुःख में पहुंचते थे। आज देशभर में हजारों कार्यकर्ता ऐसे हैं, जिसे वह अपना मानते थे, कार्यकर्ता भी उन्हें अपना मानता था। वह हजारों कार्यकर्ताओं को फिसलने से बचाते थे। वह कहते थे कि सामूहिकता एवं सामूहिक निर्णय से ही लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने श्रद्धांजलि सभा में कहा, आजीवन संघ में विभिन्न दायित्वों पर रहने के बाद भी साधारण जीवन उनका जीना हम सबके लिए प्रेरणादायी है। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल ने कहा कि मदन दास देवी के सानिध्य से अपार ऊर्जा मिलती थी। वह कार्यकर्ताओं के निरन्तर विकास की चिंता करते थे। वह असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोज कांत ने कहा कि उनका सादगी पूर्ण जीवन सबको आकर्षित करता था। उनका अनौपचारिक संवाद सबको प्रभावित करता था। वह अत्यंत परिश्रमी व संयमित रहते थे। वह सामूहिक निर्णय में विश्वास करते थे। वह अक्सर पूछते थे कि जो हम कार्य कर रहे हैं, उसमें आनंद आता है कि नहीं। जो आनंदमय कार्य करेगा, वही सही निर्माण कर सकता है। वह गुणवत्ता पूर्ण कार्य में विश्वास करते थे। उन्होंने विद्यार्थी परिषद को कई सूत्रवत मंत्र दिए।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजशरण शाही ने कहा कि मदन दास देवी संगठन के शिल्पी थे। वह विद्यार्थी परिषद के 1970-1992 तक राष्ट्रीय संगठन मंत्री के दायित्व का निर्वहन किये। उनका कार्यकर्ताओं से आत्मीय लगाव था। वह लाखों कार्यकर्ताओं के प्रेरणापुंज हैं।

महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद महाराज ने कहा कि संघ के विविध क्षेत्रों में रहकर जो प्रचारक कार्य करते हैं, उनका जीवन बड़ी कठिनाइयों से बीतता है, लेकिन कभी व्यक्त नहीं करते हैं, उसमें से एक आदर्श जीवन मदनदास जी का था। विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि मदनदास जी तत्वनिष्ठ थे। संजय मिश्रा ने कहा कि उनकी प्रेरणाएं हम सबको संबल प्रदान करेंगी।

श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वात रंजन, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक कौशल, पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, विभाग संघचालक जय कृष्ण सिन्हा, विभाग प्रचारक अनिल, प्रशान्त अटल, प्रशान्त भाटिया समेत बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।