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मनुष्यों को मानव-कर्म सिखाने के लिए हुआ था प्रभु श्रीराम का अवतार – स्वामी सुधीरानन्द

लखनऊ। श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, राम जी का नाम जैसा सरल है वैसा ही उनका कार्य, उनकी लीला भी सरल है। राम जी का अवतार मनुष्यों को मानव-कर्म सिखाने के लिए हुआ था। उक्त बातें कर्तव्या फाउंडेशन द्वारा अग्रवाल सभा छावनी के विशेष सहयोग से आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचक स्वामी सुधीरानन्द जी महाराज ने कही। उन्होंने कथा में श्रीराम के बाल लीला, गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या के उद्दार की कथा के प्रसंग के साथ-साथ गुरु और माता की महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहाकि भगवान् राम का चरित्र सर्वथा अनुकरणीय है, उनकी लीला का अनुकरण करें तो भगवान मिलेंगे। जो राम जी की मर्यादा का पालन करतें है उन्हें आनंद मिलता है। मनुष्य को थोड़ा सा धन-संपत्ति मिलते ही मर्यादा को भुलाने लगता है। राम जी का माता प्रेम, पिता प्रेम, भाई प्रेम, एक पत्नी व्रत आदि सभी कुछ जीवन में उतारने योग्य है। साधक का आदर्श कैसा होना चाहिए वह राम जी ने बताया है।

कर्तव्या फाउंडेशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि कर्तव्या फाउंडेशन समाज में कर्तव्यों की भावना जागृत हो इस धेय्य को लेकर कार्य करता है। कर्तव्यपूर्ती से अधिकार स्वतः ही हस्तगत हो जाते है। समाज में स्नेह, समता एवं सहयोग का वतावरण बनाने की दृष्टि से यह नौदिवसिय संगीतमय श्रीराम कथा 04 जुलाई तक चलेगी। कथा के चतुर्थ दिवस पर चेतन मेहरोत्रा, डॉ. जेवी घोष, विष्णु अग्रवाल, संजय वैश्य, कर्तव्या फाउंडेशन के महासचिव डॉ. हरनाम सिंह, राजेश सिंह, अग्रवाल सभा के सचिव श्रीमंदर अग्रवाल, सचिन अग्रवाल, दीपक जायसवाल, सिद्धार्थ, राजेन्द्र अग्रवाल, आज की यजमान अनुज अग्रवाल, दाऊ दयाल अग्रवाल सहित काफी संख्या में भक्तों ने कथा का श्रवण किया।