लखनऊ। मानव ने विज्ञान में बहुत प्रगति की, बहुत से अविष्कार किए, फिर भी वह इंसानी भावनाओं को काबू नहीं कर पाया है। इसी तथ्य को रोचक कहानी में लपेटकर हास्य नाटक “पागल बीवी का महबूब” में यहां क्रियेटिव फिल्म एंड टीवी एकेडमी के कलाकारों ने शुक्रवार शाम वाल्मीकि रंगशाला गोमतीनगर के मंच पर प्रस्तुत किया। जीशान हैदर जैदी के लिखे इस नाटक को तनवीर हुसैन रिजवी व नईम खान के निर्देशन में प्रस्तुत कर ये संदेश भी दिया गया कि असल प्रेम का इस दुनियावी तरक्की में लोप हो चुका है।
प्रस्तुत नाटक की कहानी के अनुसार नई नई खोज करने को उत्सुक साइंटिस्ट डा. सायनाइड अपनी कोशिशों से कुछ ऐसी टेबलेट्स बना डालता है, जिसे फाजिल मियां की तेजतर्रार और लड़ाकू बेगम गटक जाती हैं। उन टेबलेट्स का ऐसा असर होता है कि बेगम के भीतर जैसे सारे पुराने आशिकों की रूहें उनके दिमाग में समा जाती हैं। अपने को शीरी समझते हुए वह फरहाद को पुकारने लगती हैं। जो उनके लिए दूध की नहर खोद सके। फाजिल मियां अपनी बेगम की ये ख्वाहिश पूरी करने के लिए कमर कस लेते हैं। यहीं से मुसीबतों की शुरुआत हो जाती है। ठेकेदार आकर एक से एक आइडिया पेश करते हैं। उन्हें भगाते हैं तो पड़ोसी आकर परेशान करने लगते हैं। इन्कम टैक्स वाले भी सूंघते हुए पहुंच जाते हैं। हेल्थ डिपार्टमेन्ट वाले अलग धमकियां दे रहे हैं। फाजिल मियां अब उस दिन को कोस रहे हैं जब उन्होंने नहर खोदने की हामी भरी थी। यहां तो एक नाली खोदना दुश्वार हो रहा है। आखिरकार आजिज आकर वह दोबारा डा. सायनाइड के पास पहुंचते हैं। एक दूसरी दवा की खुराक बेगम के दिल से सारी मोहब्बतें गायब करके फिर से उन्हें लड़ाका तबीयत बना देती है। लेकिन अब फाजिल मियां को सुकून है।
नाटक में फाजिल की भूमिका शाहरुख ने, रशीदा की इरम खान ने, टीटू की भूमिका मो. अफज़ल ने, रूबी की हिना ने, डा.सायनाइड की मो.शकील ने और अन्य भूमिकाएं शाहबाज़ रईस, अल्तमश आज़मी, डॉ.अबरार, वजाहत खान, शाहिद, सोनू त्रिपाठी और विजय गुप्ता ने निभायीं। पार्श्व पक्ष में एम हफीज, जीशान खान, मुनीर खान, प्रकाशचंद्र बाजपेई, सोनी त्रिपाठी, उपेंद्र सोनी, सादिक खान, चौधरी, जिया इमाम, नूरी खान और इशरत आफरीन के साथ कलाकारों का सहयोग रहा।