लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत का प्रमुख डिफेंस ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम्स आर्गेनाइजेशन ‘आईजी ड्रोंस’ ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक उल्लेखनीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर में एडवांस्ड ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग और R&D फैसिलिटी स्थापित किया जाएगा।
आईजी ड्रोन्स ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी युद्ध तत्परता साबित की है। इस ऑपरेशन में आईजी ड्रोंस के स्वदेशी कामिकेज़ FPV ड्रोनों को सटीक हमलों के लिए तैनात किया गया और भारत सरकार की PIB विज्ञप्ति द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त हुई। इससे एक फ्रंटलाइन डिफेंस पार्टनर के रूप में कंपनी की भूमिका और मज़बूत हुई। यूक्रेन से लेकर पश्चिम एशिया तक के हालिया लड़ाइयों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे कम लागत वाले, हाई इंपैक्ट वाले FPV और कामिकेज़ ड्रोन युद्ध की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। भारत की बड़ी सीमाएँ और उभरते खतरे स्वदेशी ड्रोन उत्पादन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बहुत जरूरी चीज बनाते हैं।
यह उपलब्धि भारत के आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य में एक बड़ा क्षण है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि क्रिटिकल ड्रोन टेक्नोलॉजी में भारत किसी और बाहरी कंपनी पर निर्भर न हो। इस समझौते के तहत उत्तर प्रदेश सरकार एप्रूवल & परमिशन (अनुमोदन और अनुमति) से लेकर राज्य और सेंट्रल इंसेंटिव्स (केंद्रीय प्रोत्साहनों) तक पहुंच को सक्षम करने के लिए व्यापक समर्थन प्रदान करेगी। इससे उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस और डिफेंस इनोवेशन के लिए एक रणनीतिक केंद्र बन जाएगा।
आईजी ड्रोंस के सीईओ और फाउंडर बोधिसत्व संघप्रिया ने कहा, “यह MoU मात्र एक समझौता नहीं है बल्कि यह भारत को डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने की प्रतिबद्धता है। हमारी नई फैसिलिटी इनोवेशन, मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार के हब के रूप में काम करेगी। इससे हमारी आर्मी और सहयोगी संस्थाओं को नए जमाने के स्वदेशी ड्रोन उपलब्ध होंगे। FPV स्ट्राइकर ड्रोन इस मिशन का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो भारत में बना, भारत के लिए बना, दुनिया के लिए तैयार है। भारत-चीन सीमा पर इसके फ्रंटलाइन ट्रायल्स की सफलता इस बात को साबित करती है कि भारत को महत्वपूर्ण तकनीकों के लिए बाहरी देशों की मदद लेने की ज़रूरत नहीं है। हम पूरी तरह से भारतीय इनोवेशन द्वारा संचालित ‘आकाश में संप्रभुता’ का निर्माण कर रहे हैं।
आईजी ड्रोंस के R&D – सीनियर VP मेजर जनरल आरसी पढ़ी ने बताया, “विश्व स्तर पर स्वदेशी FPV ड्रोंस की मांग बढ़ रही है और भारत को इस मौके को भुनाने की ज़रूरत है। हमारी आगामी फैसिलिटी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादन का विस्तार किया जाए और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय अवसरों का भी लाभ उठाया जाए। यह ड्रोन केवल एक मशीन नहीं है, बल्कि यह सामरिक शक्ति को बढ़ाने वाला जरिया है। भारत में बड़े पैमाने पर ऐसे सिस्टम्स का उत्पादन करके हम अपनी सेनाओं के लिए आत्मनिर्भरता, लागत-प्रभावशीलता और ऑपरेशनल सुपीरियरिटी (परिचालन श्रेष्ठता) सुनिश्चित करते हैं।”
आईजी ड्रोन्स अपने आर्मर्ड (बख्तरबंद) FPV स्ट्राइकर ड्रोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन बढ़ा रहा है। कंपनी का लक्ष्य सालाना 1,00,000 ड्रोन का उत्पादन करना है। पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन, विकसित और परीक्षण किया गया स्ट्राइकर ड्रोन टैक्टिकल ड्रोन वॉरफेयर में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। इसे रैपिड डिप्लॉयमेंट (तेज़ तैनाती), सटीक निशाना लगाने और मुश्किल स्थितियों के लिए डिज़ाइन किया गया है। वैश्विक ड्रोन बाज़ार के 2030 तक 55 अरब अमेरिकी डॉलर को पार करने का अनुमान है। इसमें से आधे से ज़्यादा बढ़ोत्तरी आर्मी की वजह से होगी। यूक्रेन से लेकर पश्चिम एशिया तक के हालिया युद्ध यह साबित करते हैं कि कैसे कम लागत वाले, हाई इंपैक्ट वाले FPV और कामिकेज़ ड्रोन आधुनिक युद्ध के तरीके को बदल रहे हैं। भारत की बड़ी सीमाएँ और उभरते खतरे स्वदेशी ड्रोन उत्पादन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बहुत जरूरी चीज बनाते हैं।
यह समझौता ज्ञापन (MoU) उत्तर प्रदेश को भारत में डिफेंस इनोवेशन के डेवलपमेंट का एक अहम केंद्र बनाता है। इससे आईजी ड्रोंस को पूरे देश में अपना मैन्युफैक्चरिंग काम बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि इससे अब आधुनिक रक्षा उपकरण विदेशों से खरीदे नहीं जायेंगे, बल्कि भारत में ही बनाए जाएंगे जो भारत के लिए और पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध होंगे।