नवंबर 14 को पता चलेगा किसके संकल्प और प्रण में है दम
मृत्युंजय दीक्षित
बिहार में विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने भी अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है। दोनों ही गठबंधनों ने अपना संकल्प पूरा करने का वादा किया है। भाजपा गठबंधन ने अपने संकल्प पत्र में 25 प्रमुख संकल्प लिए हैं जिन्हें सरकार बनने के बाद अगले पांच वर्षों में पूरा किया जाएगा। भाजपा गठबंधन का संकल्प पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार प्राथमिकताओं गरीब, किसान, युवा और महिला उत्थान को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
एनडीए का संकल्प पत्र केंद्रीय बजट में बिहार के लिए की गई घोषणाओें को आगे बढ़ाने वाला है। संकल्प पत्र में 1990 से 2005 तक लालू राज में बिहार की स्थिति, 2005 से 2025 के मध्य बिहार में हुए बदलावों हुआ और किस प्रकार जंगल राज को छोड़कर बिहार तीव्रता से विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है इसका तुलनात्मक विवरण दिया गया है। एनडीए गठबंध के संकल्प पत्र में यह भी बताया गया है कि एनडीए सरकार में बिहार में अब तक कितने किलोमीटर सड़कों, पुलों व रेलवे लाइन के बिछने तथा विद्युतीकरण होने का कार्य हो चुका है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की 75 लाख महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए डालकर पहले ही उनका दिल जीतने का काम कर चुके हैं, संकल्प पत्र मे इसी अभियान को और गति देने का वादा किया गया है। एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में अपना रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करके यह बताने का प्रयास किया है कि उसके संकल्प सच्चे हैं और उन पर भरोसा किया सकता है।
एनडीए गठबंधन के संकल्प पत्र में विकास के संकल्प के साथ सनातन हिंदू समाज पर भी पर्याप्त घ्यान दिया गया है। बिहार की चुनावी जनसभाओें में छठ मईया कि चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पूजा को यूनेस्को की सूची में डलवाने के लिए प्रयास करने की बात कही है। संकल्प पत्र में बिहार को आध्यात्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाने का संकल्प लिया गया है, जिसमें मां जानकी मंदिर, विष्णुपद मंदिर एवं महाबोधि कॉरिडोर का निर्माण व रामायण,जैन, बौद्ध एवं गंगा सर्किट का विकास सहित एक लाख ग्रीन होम स्टे स्थापित करने के लिए को-लेटरल फ्री ऋण की सुविधा देने का संकल्प लिया गया है । यही नहीं बिहार को कला, संस्कृति और सिनेमा का नया केंद्र बनाने का भी संकल्प लिया गया है।
एनडीए गठबंधन के संकल्प पत्र में युवाओं को नौकरी एवं रोजगार प्रदान करने, कौशल जनगणना कराकर कौशल आधारित रोजगार देने सहित हर जिले में मेगा स्किल सेंटर से बिहार को ग्लोबल स्किंलिंग सेंटर के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया गया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना से महिलाओं को 2 लाख रुपए तक की सहायता राशि देकर 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया गया है। अति पिछड़ा वर्ग को आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का भी संकल्प लिया गया है। बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम से किसान सम्मान निधि की शुरूआत करने का संकल्प, मत्स्य -दुग्ध मिशन योजना से किसानों को समृद्ध करने का संकल्प लिया गया है।
बिहार में सात एक्सप्रेस वे, 3,600 किमी रेलवे ट्रैक का आधुनिकीकरण, अमृत भारत एक्सप्रेस व नमो रैपिड रेल सेवा का विस्तार करने का संकल्प व्यक्त किया गया है। हर जिले में मेडिकल सिटी और मेडिकल कालेज बनाने का संकल्प लिया गया है। पटना, दरभंगा, पूर्णिया, भागलपुर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और चार नए शहरों में मेट्रो रेल चलाने का वादा किया गया है। किसान सम्मान निधि तथा मछली किसानों की सहायता दोगुनी करके 9,000 रुपए करने सहित हर संभाग में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय व ईडब्लूएस छात्रों के लिए के लिए भी कई वादों की झड़ी लगाई गई है। गरीबों के लिए 50 लाख नए घर व मुफ्त राशन देने सहित आयुष्मान योजना का विस्तार करने का संकल्प करने के साथ ही बिहार को बाढ़ मुक्त बनाने का भी संकल्प लिया गया है।
एनडीए के संकल्प पत्र और महागठबंधन के तेजस्वी के प्रण का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि दोनों ने ही युवाओं को नौकरी देने का वादा किया हे। तेजस्वी यादव का कहना है कि वह बिहार के हर परिवार को कम से कम एक सरकारी नौकरी अवश्य देंगे जबकि नीतीश कुमार पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि आने वाले 5 साल में वह 1 करोड़ युवाओ को नौकरी देंगे। विधवा और बुजुर्ग पेंशन की बात की जाए तो तेजस्वी यादव ने अपने प्रण में 1500 रुपए देने की बात कही है जबकि नीतीश कुमार ने इस पेंशन को पहले से ही 1000 रुपए कर दिया है। दोनों ही गठबंधनों ने बिहार की जनता को फ्री बिजली देने का वादा किया है। तेजस्वी प्रण में रोजगार, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तीकरण और किसानों के हितों को प्राथमिकता देने का प्रण लिया है। तेजस्वी ने जो सबसे बड़ा प्रण किया है वह है बिहार के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी हर हालत में दी जाएगी और उसके लिए विधानसभा में कानून भी लाया जाएगा।
बिहार के विधानसभा महासमर में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने ही अपने अपने घोषणापत्रों के माध्यम से जनता को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोक दी है। दोनों ने ही अपने खास मतदाता वर्ग को लुभाने के लिए योजनाओ के विस्तार की बहार ला दी है। महिला मतदाता एनडीए के लिए हमेशा ट्रंप कार्ड रही हैं, इस वर्ग को साधने के लिए करीब एक करोड़ महिलाओं को करोड़पति दीदी बनाने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा, यही नहीं जीविका दीदी और आशा कार्यकर्ता जैसी सफल योजनाओं का विस्तार किया जाएगा। गरीब वर्गों को केजी से पीजी तक निशुल्क शिक्षा तक कि घोषणा की गयी है।
ज्ञातव्य है कि बिहार में वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने 66.7 प्रतिशत मतदान एनडीए गठबंधन के पक्ष में किया था। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि अब यह चुनाव कल्याणकारी, मुफ्तखोरी और विकास बनाम आक्रामक रोजगार गारंटी और स्थायीकरण के बीच सिमट गया है यद्यपि धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण पर भी बल दिया जा रहा है। जनता को किसके संकल्प या प्राण भाते हैं यह तो परिणाम ही बताएँगे।
(लेखक मृत्युंजय दीक्षित स्तंभकार है और ये उनके निजी विचार हैं)
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