लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। मां जैसी ममता की एक मजबूत मिसाल उस वक्त सामने आई, जब 51-वर्षीय साधना देवी ने अपने 31-वर्षीय दामाद, कमलेश को जीवन देने के लिए अपनी किडनी दान कर दी। कमलेश किडनी फेल्योर के अंतिम चरण से जूझ रहे थे। यह किडनी प्रत्यारोपण मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किया गया और उत्तर प्रदेश में एडवांस्ड किडनी केयर के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। क्योंकि यह सर्जरी अत्याधुनिक दा विंची एक्सआई रोबोट की मदद से हुई।
कमलेश लंबे समय से अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर के कारण गंभीर किडनी डैमेज से पीड़ित थे। तीन साल पहले क्रॉनिक किडनी रोग का पता चलने पर उन्होंने एक अन्य हॉस्पिटल में अपना इलाज शुरू करवाया, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। इसके बाद परिवार ने मैक्स हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डायरेक्टर – डॉ. वेंकटेश थम्मिशेट्टी से सलाह ली। हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते उनकी हालत गंभीर हो चुकी थी और किडनी तेजी से जवाब दे रही थी, ऐसे में तुरंत ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बचा था।

परिवार में कोई उपयुक्त डोनर नहीं मिला, तो 51-वर्षीय सास साधना देवी ने खुद आगे आकर किडनी दान करने की पेशकश की। साधना ने न सिर्फ अपने दामाद को किडनी दान की बल्कि अपनी बेटी का सुहाग बचाया।
हॉस्पिटल की ट्रांसप्लांट टीम ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए दा विंची एक्सआई रोबोट की मदद से रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया, जो अपनी सटीकता और बारीक सर्जिकल तकनीक के लिए जाना जाता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट और रोबोटिक यूरो-ऑन्कोलॉजी – डॉ. अदित्य के शर्मा ने बताया “इस मामले में डोनर की उम्र ज्यादा होने के बावजूद हमने बेहद सटीकता और न्यूनतम आघात के साथ सर्जरी की। डोनर को चौथे दिन ही काफी बेहतर हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, वहीं रिसीपिएंट की रिकवरी भी बेहतरीन रही और आठवें दिन उन्हें भी छुट्टी दे दी गई। यह आने वाले समय की झलक है जब रोबोटिक ट्रांसप्लांट सर्जरी और भी सुरक्षित, सहज और मरीज के अनुकूल होगी।”

मैक्स अस्पताल के डायरेक्टर यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट और रोबोटिक यूरो-ऑन्कोलॉजी – डॉ. राहुल यादव, ने बताया “रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट ने हमें बेहद नाजुक प्रक्रियाएं बहुत छोटे चीरे के साथ करने की सुविधा दी। इसमें 3D में स्पष्ट दृश्य और उपकरणों पर अधिक नियंत्रण मिलता है, जो जटिल सर्जरी में अहम साबित होता है। इससे खून बहने की संभावना कम होती है, जरूरी ऊतकों की सुरक्षा होती है और नई किडनी जल्दी से सही तरीके से काम करने लगती है। डोनर और रिसीपिएंट दोनों की तेज और आरामदायक रिकवरी इस बात का विश्वास और मजबूत करती है कि रोबोटिक ट्रांसप्लांट ही भविष्य है। दा विंची एक्सआई सिस्टम के साथ हम अब उत्तर प्रदेश में ही विश्वस्तरीय ट्रांसप्लांट परिणाम दे पा रहे हैं।”
मैक्स अस्पताल के एसोसिएट डायरेक्टर नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. वेंकटेश थम्मिशेट्टी, ने कहा, “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यूपी के मरीजों को जटिल ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए अब बड़े शहरों की यात्रा न करनी पड़े। लखनऊ में रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट उपलब्ध होने से हम मरीजों को उनके ही क्षेत्र में विश्वस्तरीय विशेषज्ञता दे पा रहे हैं। यह प्रगति पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के हजारों मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, जिन्हें समय पर एडवांस्ड इलाज की जरूरत होती है।”
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