Friday , September 5 2025

एंबेड : तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर में दी ये जानकारी

प्रयागराज (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। फैमिली हेल्थ इंडिया गोदरेज एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से संचालित एम्बेड परियोजना अन्तर्गत तीन दिवसीय फील्ड कार्यकर्ताओं का मण्डल स्तरीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसमे परियोजना द्वारा आच्छादित नगरीय क्षेत्रों के विभिन्न 06 जनपदों के सभी जनपद प्रतिनिधियों के साथ ही जोनल प्रतिनिधियों एवं  बी.सी.सी.एफ. -व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता की सहभागिता रही।

उक्त प्रशिक्षण में जिलेवार मलेरिया, डेंगू की स्थिति के अनुसार ‘एम्बेड परियोजना‘ अन्तर्गत समस्त गतिविधियों की समीक्षा, आगामी संचरण काल के दृष्टिगत कार्ययोजना के अनुसार विस्तृत वार्ता एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु आवश्यक सुझाव एवं कार्यक्रम संबंधी दिशा निर्देश के अनुसार सहयोगात्मक पर्यवेक्षण को सुदृढ किये जाने हेतु बल दिया गया।  

प्रशिक्षण के प्रथम दिवस उद्घाटन के उपरांत अपने संबोधन में सह निदेशक सोम कुमार शर्मा ने डेंगू एवं मलेरिया के पूर्ण इलाज पर चर्चा करते हुए कहा कि मलेरिया की दवा की पहली खुराक सेवा प्रदाता द्वारा अपने सामने ही खिलानी चाहिए। साथ ही मरीज को जानकारी दे कि अपना इलाज पूर्ण अवश्य करें। गर्भवती महिला व पांच साल तक के बच्चों को मलेरिया का खतरा अधिक रहता है, उनको मच्छरदानी में सोने की सलाह दें। यदि किसी को बुखार है तो आशा के माध्यम से शीघ्र जांच अवश्य करवाये। टीकाकरण के दौरान उपस्थित सभी महिलाओं की मलेरिया की जांच आशा के माध्यम से होना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करें। 

जिला मलेरिया अधिकारी आनन्द कुमार सिंह ने कहा कि हर बुखार के रोगियों की जांच होनी चाहिए, साथ ही लेब टेक्निशियन के पास ही मलेरिया की दवा रहे और वे स्वयं अपने सामने इसकी पहली खुराक कराये। उन्होंने बताया कि हमारे देश को 2027 तक मलेरिया मुक्त करने का और 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। मलेरिया का उपचार संभव है, इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है। मलेरिया के लक्षणों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मलेरिया का संक्रमण होने पर बुखार, पसीना आना, शरीर मे दर्द और उल्टी आना इस रोग के प्रमुख लक्षण है।

एम्बेड परियोजना के तकनीकि सलाहकार डा. वित्रा जार्ज ने बताया कि विश्व के प्रायः सभी देश डेंगू से परेशान है। इस दिशा में निरन्तर प्रयास एवं सामुदायिक सहयोग से ही किसी क्षेत्र को मलेरिया एवं डेंगू से मुक्त रखा जा सकता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित मलेरिया मुक्त राष्ट्र श्रीलंका पर चर्चा करते हुए वहां के नागरिकों में नागरिकता की भावना को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बीसीसीएफ द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।

वरिष्ठ अधिवक्ता अरबिन्द भारद्वाज ने आमजन हेतु मच्छरों के जैविक नियंत्रण में सहयोगी गम्बूजिया मछली उत्पादन हेतु हैचरी निर्माण में सहयोग किये जाने पर बल दिया।  

क्षेत्रीय समन्वयक धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने मलेरिया निगरानी के महत्वपूर्ण सूंचकांक वार्षिक रक्त परीक्षण दर- ए.बी.ई.आर. (किसी क्षेत्र की कुल जनसंख्या के अनुपात में एक वर्श में लिये गये रक्त स्लाईड या ब्लड टेस्ट की संख्या को ए.बी.ई.आर. कहा जाता है।) की उपलब्धि प्राप्त करने के क्रम में समस्त जोनल समन्वयको से कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र/आरोग्य आयुष्मान मंदिर एवं आशा स्तर पर मलेरिया टेस्टिंग हेतु आर.डी.टी.किट की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने, सभी ज्वर रोगियों की मलेरिया जांच एवं इसकी रिपोर्टिंग तथा मलेरिया धनात्मक रोगियों का उपचार मलेरिया उपचार नीति-2013 के अनुरूप कराये जाने में सहयोग करें।

डॉ. राजेश कुमार सिंह (अपर मुख्य चिकित्साधिकारी/नोडल अधिकारी वेक्टर वॉर्न डिजीज) ने मच्छरों के जलीय जीवन चक्र के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मलेरिया का एनाफिलीज मच्छर गन्दें पानी में एवं डेंगू का एडीज मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पनपता है। मच्छर का जीवन चक्र सात दिनों तक पानी में और इसके बाद अगले 21 से 30 दिनों तक हवा में रहता है। इनके जलीय अवस्था में समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। नर मच्छर का जीवन सात से दस दिनों तक होता है। नर मच्छर अपना पोषण फूल पत्तियों से करता है वहीं मादा मच्छर अपना पोषण खून चूस कर करती है। उन्होंने बताया कि मच्छर बहुत तेजी से पनपते है, एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में 3 से 4 बार अण्डे देती है तथा एक बार में 200 से 250 अण्डे देती है।

सहायक मलेरिया अधिकारी शिवगोपाल सिंह ने मच्छर जनित बीमारी डेंगू, एवं मलेरिया, के लिए जिम्मेदार मच्छरों एवं इनसे बचने के उपाय पर चर्चा की। अकबर उस्मानी (प्रभारी नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक एनयूएचएम)  ने बताया कि हमें अपनी बात को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय मुद्दों पर आधारित संवाद एवं भाषा का उपयोग करना चाहिए।

कार्यक्रम समन्वयक एम्बेड सीमा पाण्डेय ने बताया कि डेंगू या मलेरिया को होने से रोका जा सकता है, यह स्वयं हमारे अपने हाथों में है। अनुरूप व्यवहार अपनाकर मच्छर जनित बीमारियो से बचाव किया जा सकता है। 

इस अवसर पर मुस्कान राजौरिया मानव संसाधन, संदीप रावत प्रशासनिक अधिकारी नई दिल्ली, मलेरिया निरीक्षक दीपिका, नीलम यादव, नसरीन, सोम्या, आयुश यादव, तरून श्रीवास्तव, आशीश यादव, पी0के0 गौतम, अरुण यादव, जोनल समन्वयक मो. इरशाद खान, आशा वर्मा, पिंकी, प्रियंका यादव, शशी मिश्रा, प्रीती, संजना, आरती, सामुदायिक सहयोगी रिया भारती, तेजस, पुष्पा निषाद, रितु मिश्रा, अनुशा गुप्ता उपस्थित रहीं।