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पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन 17 दिसंबर से, CRIH में हो रहे कई अनुसंधान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तत्वावधान में पारंपरिक चिकित्सा पर आधारित द्वितीय वैश्विक शिखर सम्मेलन 17 से 19 दिसंबर तक नई दिल्ली में आयोजित होगा। पारंपरिक चिकित्सा को सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार, वैश्विक सहयोग और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ एकीकृत करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच बनने जा रहा है।

इस बार सम्मेलन का केंद्रीय विषय “संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास” है। तीन दिवसीय आयोजन में विश्वभर से स्वास्थ्य विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, शोधकर्ता, आयुष क्षेत्र के प्रतिनिधि तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अधिकारी भाग लेंगे।

शिखर सम्मेलन में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों—जैसे आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, तिब्बती, हर्बल एवं अन्य स्थानीय चिकित्सा परंपराओं—को साक्ष्य आधारित अनुसंधान, गुणवत्ता मानकों, सुरक्षा, नवाचार और स्वास्थ्य प्रणाली में समन्वय से जोड़ने पर व्यापक विमर्श किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान उच्चस्तरीय मंत्रीस्तरीय बैठकें, प्लेनरी सत्र, तकनीकी चर्चाएँ तथा “Traditional Medicine Discovery Experience Expo” का आयोजन भी प्रस्तावित है। जिसमें विभिन्न देशों की चिकित्सा परंपराओं, शोध मॉडल, डिजिटल नवाचार और वैश्विक डेटा प्रस्तुत किए जाएंगे। इसी दौरान WHO द्वारा Global Traditional Medicine Library और Research Priorities Roadmap जैसी नई पहलें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं।

यह सम्मेलन WHO की Global Traditional Medicine Strategy 2025–2034 को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर नई पहचान, वैज्ञानिक मजबूती और स्वास्थ्य प्रणालियों में व्यापक स्वीकार्यता प्राप्त होगी।

सीमित संख्या में आमंत्रित प्रतिनिधियों के लिए यह सम्मेलन प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होगा, जबकि ऑनलाइन भागीदारी के लिए पूर्व पंजीकरण की सुविधा दी गई है। तीन दिन तक चलने वाला यह आयोजन दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका, महत्व और भविष्य को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।

मंगलवार को केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (सीआरआईएच) जानकीपुरम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. रेनु बाला (अनुसंधान अधिकारी, होम्योपैथी, वैज्ञानिक- 2), डॉ. अमित श्रीवास्तव (अनुसंधान अधिकारी, होम्योपैथी, वैज्ञानिक- 2), एवं वीपी सिंह प्रयोगशाला प्राविधिक ने सम्मेलन से जुड़ी जानकारी दी।

डॉ. रेनु बाला ने बताया कि 100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ, यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक, पूरक, एकीकृत और स्वदेशी औषधियों के साक्ष्य-आधारित, न्यायसंगत और सतत एकीकरण के लिए एक दशक लंबी रूपरेखा को आकार देगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान सितंबर 2023 में अपने नए परिसर सेक्टर 02, जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ में स्थानांतरित हुआ और प्रति दिन 85 रोगियों के साथ क्रियान्वयन शुरू किया था। जिसमें तेजी से वृद्धि हुई और वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 300 रोगियों को चिकित्सा लाभ मिल रहा है। 

डॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में संस्थान में विभिन्न बीमारियों के अध्ययन के लिए ठोस नैदानिक अनुसंधान प्रोटोकॉल पर आधारित कई अनुसंधान परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं। जिनमें हाइपोथायरायडिज्म, प्राइमरी डिसमेनोरिया, सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी, मल्टीमॉर्बिडिटी, प्रतिकूल औषधि घटनाएँ, मॉलस्कम कॉन्टैजियोसम, माइग्रेन, औषधियों का नैदानिक सत्यापन, विटामिन-डी की कमी तथा रोगी संतुष्टि सर्वेक्षण प्रमुख हैं। 

उन्होंने बताया कि अनेक नई शोध परियोजनाएँ शीघ्र ही प्रारंभ होने वाली हैं। जिनमें क्रॉनिक अर्टिकेरिया, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज, मधुमेह, हाइपरयूरिसेमिया, विटिलिगो, वार्ट्स, शीत लहर प्रकोप, न्यूरोकॉग्निटिव विकार एवं प्रारंभिक डिमेंशिया, एलर्जिक राइनाइटिस, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एवं मेलाज़्मा शामिल हैं। 

संस्थान द्वारा अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संगठनों, जैसे सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर), सीएसआईआर- केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ विश्वविद्यालय, जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (सीबीएमआर) आदि के साथ साक्ष्य-आधारित सहयोगात्मक अनुसंधान अध्ययन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। 

वीपी सिंह ने बताया कि संस्थान में हेमेटोलॉजी, पैथोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री एवं सिरोलॉजी से संबंधित लैब परीक्षणों की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। रोगियों के हित में एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी शीघ्र उपलब्ध होने वाली है। सभी सामान्य और आवश्यक दवाएं गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (जीएमपी) प्रमाणित दवा कंपनियों से खरीदी जाती हैं।