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महिंद्रा हॉलिडेज़ ने शुरू की एक क्रांतिकारी कौशल विकास और आजीविका पहल

मुंबई (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महिंद्रा हॉलिडेज़ एंड रिसॉर्ट्स इंडिया लिमिटेड ने देश भर में महिंद्रा समुदायों (कम्युनिटी) के बीच और रिसॉर्ट में एक क्रांतिकारी कौशल विकास और आजीविका सृजन कार्यक्रम शुरू करने के लिए द जॉब प्लस के साथ गठजोड़ किया है। यह पहल तेज़ी से विस्तृत होते आतिथ्य क्षेत्र के लिए भविष्य के लिए तैयार, समावेशी कार्यबल तैयार करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

यह कार्यक्रम स्थानीय युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल से सशक्त करेगा और आतिथ्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करेगा। महिंद्रा राइज़ दर्शन – ‘अधिक समतावादी दुनिया के लिए जागें’ के अनुरूप है और यह कार्यक्रम हमारे समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इसके अलावा, यह साझेदारी रणनीतिक रूप से वित्त वर्ष ‘30 तक अपनी कमरे की क्षमता को दोगुना कर 10,000 करने के एमएचआरआईएल के दीर्घकालिक दृष्टिकोण का समर्थन करती है। द जॉब प्लस के साथ सहयोग से रोज़गार के अवसर पैदा करने और इस महत्वपूर्ण विस्तार योजना को साकार करने के लिए आवश्यक दक्ष और कुशल कार्यबल तैयार करने में मदद मिलेगी।

महिंद्रा हॉलिडेज़ एंड रिसॉर्ट्स इंडिया लिमिटेड की सीएचआरओ तन्वी चोकसी ने कहा, “यह पहल रोज़गार के अलावा समावेश, सशक्तिकरण और सतत प्रगति से जुड़ी है। स्थानीय प्रतिभाओं को आगे बढ़ाकर, हम अपने राइज़ दृष्टिकोण को जी रहे हैं, जिसका अर्थ है कि हम दूसरों को आगे बढ़ने में मदद करने पर हम भी आगे बढ़ेंगे। यह साझेदारी हमारे विभिन्न रिसॉर्ट में सेवा उत्कृष्टता सुनिश्चित करते हुए समावेशी विकास के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है।”

द जॉब प्लस इस पहल को रिक्रूट, ट्रेन और डिप्लॉय (आरटीडी) मॉडल के तहत पर्यटन और आतिथ्य कौशल परिषद के सहयोग से लागू करेगी।

द जॉब प्लस के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी, नटवर नागर ने कहा, “महिंद्रा हॉलिडेज़ का समुदाय-संचालित विकास पर ज़ोर उद्योग आधारित कौशल के द जॉब प्लस के मिशन के अनुरूप है। यह साझेदारी आतिथ्य में संरचित करियर मार्ग बनाएगी, जिससे स्थानीय युवाओं को कौशल और सतत रोज़गार दोनों मिलेंगे।”

द जॉब प्लस की उपाध्यक्ष दिव्या कृष्णन ने कहा, “महिंद्रा हॉलिडेज़ के साथ साझेदारी करने से हमें उद्योग आधारित कौशल का वहां विस्तार करने का मौका मिलता है, जहां इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है और वह है स्थानीय समुदायों के बीच। इस तरह हम स्थायी रोज़गार को बढ़ावा देते हैं।”