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फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम पर राष्ट्रीय सेवा योजना के युवाओं का उन्मुखीकरण

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रदेश सरकार फ़ाइलेरिया उन्मूलन के लिए प्रत्येक स्तर पर हरसंभव प्रयास कर रही है। इसीलिए फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किये जाने वाले एमडीए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य कर रही है । इसी क्रम में मंगलवार को लखनऊ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल द्वारा युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना, उत्तर प्रदेश के 27 जनपदों के 54 कार्यक्रम अधिकारियों एवं 10 कार्यक्रम समन्वयकों का फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम पर उन्मुखीकरण किया गया।

एमडीए कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की भूमिका महत्वपूर्ण


राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्देश्य सेवा के माध्यम से शिक्षा है।इनका आदर्श वाक्य है “ नॉट मी, बट यू”। एक राष्ट्रीय सेवा योजना का स्वयंसेवी, स्वयं से पहले समुदाय को स्थान देता है। फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लिए ऐसे ही सेवा भाव की आवश्यकता है। इसीलिए, फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित होने वाले एमडीए कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
आज के कार्यक्रम में राज्य राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी डॉ. मंजू सिंह ने कहा कि सेवा ही हमारा मूलमंत्र, सेवा ही हमारा संकल्प है, हाथीपांव मुक्त भारत ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना की टीम गत अगस्त 2023 से सहयोग कर रही है। समुदाय में फ़ाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक कर रहें हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि एमडीए कार्यक्रम के दौरान सभी लाभार्थी स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं।

इस अवसर पर डॉ. वीके चौधरी (वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार) ने बताया कि भारत सरकार के फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में मुख्य रूप से 2 रणनीति है। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यानि फ़ाइलेरिया से बचाव के लिए 2 दवाओं डीईसी और अलबंडाज़ोल और 3 दवाओं डीईसी, अलबंडाज़ोल और आईवरमेकटिन फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही सेवन करवाना और मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं हाइड्रोसील के मरीजो का समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर फ़ाइलेरिया के परजीवी का प्रसार रोक दिया जाये तो फ़ाइलेरिया रोग का उन्मूलन सुनिश्चित होगा। पूरे प्रयास करें कि अपने आस-पास मच्छर पनपने ही न दें।

डॉ. एके चौधरी (संयुक्त निदेशक एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फ़ाइलेरिया) ने बताया कि इस रोग से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए साल में 2 चरणों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन आयोजित किये जाते हैं। इसी क्रम में प्रदेश सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 10 अगस्त से 27 जनपदों के 340 चिन्हित ब्लॉक में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा है। जिनमें से 17 जनपदों फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, कन्नौज, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, गाजीपुर और सुल्तानपुर के चिन्हित ब्लाक में दो दवा यानी डीईसी और अल्बेंडाजोल के साथ तथा 10 जनपदों लखीमपुर-खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, रायबरेली, कौशाम्बी, चंदौली और मिर्जापुर के चिन्हित ब्लाक में तीन दवा यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जा रहा है।

इस दौरान प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समुदाय के लगभग 7 करोड़ 68 लाख लाभार्थियों को बूथ एवं घर घर जा कर निःशुल्क फाइलेरिया रोधी दवाइयाँ खिलाई जायेगी। ये दवायें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हमें याद रखना है कि यह दवायें खाली पेट नहीं खानी हैं और सभी लाभार्थियों को स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवाओं का सेवन करना है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
सीफार की प्रतिनिधि राजकुमारी दरयाना ने फ़ाइलेरिया पीड़ित मरीजों द्वारा फाइलेरिया अभियान मे किए जा रहे सहयोग के बारे मे बताया। फाइलेरिय योद्धा शांति व कौशल किशोर द्वारा उनके अनुभवों को साझा करवाया। साथ ही, सीफार की ही ईशा सिंह ने बताया कि नुक्कड़ नाटक के माध्यम से फ़ाइलेरिया से जुड़े संदेशो को प्रभावशाली ढंग से लोगों तक कैसे पहुंचाया जाता है।
ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज की प्रतिनिधि जोया वाही ने सोशल मीडिया के बारे में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सोशल मीडिया किस प्रकार एक बेहतर भूमिका निभा सकता है। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल की प्रतिनिधि राजश्री दास ने प्रतिभागियों को समझाया कि अपने-अपने क्षेत्र में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से सम्बंधित गतिविधियों की प्लानिंग किस प्रकार करें।
कार्यक्रम के समापन पर प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि ध्रुव सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया |
कार्यक्रम में प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रदेश के राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि उपस्थित थे।