Friday , September 20 2024

तीन दिवसीय राज्य स्तरीय व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता प्रशिक्षण शिविर संपन्न

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा एम्बेड परियोजना अन्तर्गत तीन दिवसीय फील्ड कार्यकर्ताओं का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। जिसमे आठ जनपदों बरेली, बदायूं, लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, सोनभद्र एवम् मिर्जापुर के सभी 80 बीसीसीएफ व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता की सहभागिता रही। प्रशिक्षण का संयोजन एवम संचालन एंबेड एफएचआई के रीजनल कोऑर्डिनेटर धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने किया। 

प्रशिक्षण के प्रथम दिवस उद्घाटन के उपरांत अपने संबोधन में संयुक्त निदेशक डेंगू एवम् वीबीडी उत्तर प्रदेश डा. विकास सिंघल ने ग्रामीण क्षेत्रों में विलेज हेल्थ सेनिटेशन न्यूट्रीशन कमेटी को उपयोगी बनाए जाने एवम इसे और अधिक सुदृढ करने की आवश्कता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि बीसीसीएफ इस दिशा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मलेरिया के पूर्ण इलाज पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मलेरिया के दवा की पहली खुराक सेवा प्रदाता द्वारा अपने सामने ही खिलानी चाहिए। साथ ही मरीज को जानकारी दे कि अपना इलाज पूर्ण अवश्य करे।

उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला व पांच साल तक के बच्चो को मलेरिया का खतरा अधिक रहता है। उनको मच्छरदानी में सोने की सलाह दे। यदि किसी को बुखार है तो आशा के माध्यम से शीघ्र जांच अवश्य करवाये। टीकाकरण के दौरान उपस्थित सभी महिलाओं की मलेरिया की जांच आशा के माध्यम से होना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करें। 

वरिष्ठ मलेरिया इंस्पेक्टर समीउल्लाह खान ने कहा कि हर एक बुखार रोगियों की जांच होनी चाहिए। साथ ही लेैब टेक्निशियन के पास ही मलेरिया की दवा रहे और वे स्वयं अपने सामने इसकी पहली खुराक कराये। 

दूसरे दिन राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण दिवेदी ने बताया कि विश्व के प्रायः सभी देश डेंगू से परेशान है। इस दिशा में निरन्तर प्रयास एवं सामुदायिक सहयोग से ही किसी क्षेत्र को मलेरिया एवं डेंगू से मुक्त रखा जा सकता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित मलेरिया मुक्त राष्ट्र श्रीलंका पर अपने भ्रमण संस्मरण पर चर्चा करते वहां के नागरिकों में नागरिकता की भावना को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बीसीसीएफ द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए विभिन्न जागरूकता गतिविधियों को स्थानीय लोगो तक पहुचानें में मीडिया के विभिन्न साधनों का सहयोग लेना आवश्यक बताया। वरिष्ठ अधिवक्ता एवम् स्टेट लाॅ आफिसर अरविंद भारद्वाज ने आमजन हेतु स्वास्थ्य के अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की। 

“सर्वे भवन्तु सुखिनाए सर्वे भवन्तु निरामया” इस सोच के साथ राज्य कीट विज्ञानी डॉ. सुदेश कुमार ने मच्छरों के जलीय जीवनचक्र के बारे में बताया। मलेरिया का एनाफिलीज मच्छर गन्दें पानी में एवं डेंगू का एडीज मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पनपता है। उन्होंने बताया कि मच्छर का जीवन चक्र सात दिनों तक पानी में एवं इसके बाद अगले 21 से 30 दिनों तक हवा में रहता है। इनको जलीय अवस्था में समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। 

उन्होंने बताया कि नर मच्छर का जीवन सात से दस दिनों तक होता है। नर मच्छर अपना पोषण फूल पत्तियों से करता है, वहीं मादा मच्छर अपना पोषण खून चूस कर करती है। क्योंकि उसको अपने अंडो के पोषण के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि मच्छर बहुत तेजी से पनपते है, एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में 3से 4 बार अण्डे देती है तथा एक बार में 200 से 250 अण्डे देती है।

मण्डलीय कीट विज्ञानी डॉ. अलका चौधरी ने मच्छर जनित बीमारी डेंगू एवं मलेरिया के लिए जिम्मेदार मच्छरों एवं इनसे बचने के उपाय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि एडीज मच्छरों के प्रजनन के लिए पुराने टायर, नारियल के खोल, गमले की नीचे लगे हुए ट्रे, पानी से भरे हुए खुले पात्रों एवं फ्रिज के पीछे कंप्रेशर के ऊपर लगे ट्रे उनका पसंदीदा स्थल है। उन्होंने इन ब्रीडिंग सोर्सेज को तुरन्त नष्ट करने को कहा।  

यूनिसेफ से एसबीसी विशेषज्ञ डॉ. दानिश खान ने बताया कि हमें समुदाय में अपनी बात को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय मुद्दों पर आधारित संवाद एवं भाषा का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने छः ना के विभिन्न स्तरों के माध्यम से अपनी बात कही, जिस पर बीसीसीएफ ने रोल प्ले के माध्यम से आईपीसी के इन विभिन्न चरणों का अभ्यास किया।

मेडिटेक इंस्टिट्यूट के सीएमडी डा. अरुण भरारी ने टाइम प्रबंधन एंव बेहतर संचार पर चर्चा किया। इस अवसर पर मच्छरों से बचाव हेतु विभिन्न साधनों पर वुडेन आईईसी के माध्यम से इन साधनों का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया गया।