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मध्य प्रदेश में लागू हुई ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था, अमित शाह ने किया उद्घाटन

भोपाल : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार काे मध्य प्रदेश में ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था का उद्घाटन किया। इस मध्य प्रदेश दिल्ली के बाद ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है।ग्वालियर में आयोजित अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि देश में साइबर अपराध से निपटने के लिए ऐतिहासिक और तकनीक-आधारित कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाए जाने की परंपरा के अनुरूप मध्य प्रदेश पुलिस प्रशासनिक सुशासन को सुदृढ़ कर रही है। इसी के तहत आज नवीन अभिनव पहल के रूप में ई-जीरो एफआईआर व्‍यवस्‍था शुरू की गई है।इस अवसर पर ई-जीरो एफआईआर की पहली प्रति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को सौंपी गई। इसके साथ ही मध्य प्रदेश दिल्ली के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है, जहाँ ई-जीरो एफआईआर प्रणाली को लागू किया गया है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, मंत्रीगण तुलसीराम सिलावट तथा मंत्री सूक्ष्म, चेतन्य काश्यप की विशिष्ट उपस्थिति रही।पुलिस मुख्यालय के अनुसार ई-जीरो एफआईआर’ एक लाख रुपये से अधिक की साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में लागू की गई है। यह व्यवस्था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सायबर सुरक्षित भारत’ विज़न के अनुरूप है, जिसका उल्लेख उन्होंने अक्टूबर 2024 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में किया था। मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा ई-जीरो एफआईआर प्रणाली के क्रियान्वयन से यह स्पष्ट होता है कि तकनीक के माध्यम से न्याय प्रक्रिया को तेज और आम नागरिकों के लिए अधिक सरल, सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में लागू यह प्रणाली पुलिस को अपराधियों से एक कदम आगे रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।पुलिस मुख्यालय ने बताया कि प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तकनीक के दुरुपयोग से जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाले अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री का मानना है कि जिस प्रकार स्वच्छता को हमने अपनी संस्कृति बनाया है, उसी प्रकार सायबर स्वच्छता को भी जन-आंदोलन बनाना होगा। प्रदेश में ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था का संचालन पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए. साई मनोहर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इस व्यवस्था का उद्देश्य पुलिस को अधिक तेज, तकनीक-सक्षम और नागरिक-केंद्रित बनाना है।साइबर वित्तीय धोखाधड़ी पर प्रभावी प्रहारसाइबर वित्तीय धोखाधड़ी आज पुलिस के समक्ष एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। कई बार पीड़ित की जीवनभर की कमाई कुछ ही क्षणों में अपराधियों के हाथों में चली जाती है, जिससे वह स्वयं को असहाय महसूस करता है। इसी पीड़ा को समझते हुए गृह मंत्रालय द्वारा ‘ई-जीरो एफआईआर’ की अवधारणा लागू की गई है, ताकि तकनीक को अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी हथियार बनाया जा सके।कानूनी आधार : बीएनएसएस और डिजिटल परिवर्तनजुलाई 2024 से लागू हुए नए आपराधिक कानून ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (बीएनएसएस) नागरिक-केंद्रित हैं। इनका मूल उद्देश्य ‘दंड नहीं, बल्कि न्याय’ पर फोकस रहना है। बीएनएसएस की धारा 173 के अंतर्गत ‘जीरो एफआईआर’ को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है, जिससे नागरिक देश में कहीं से भी, किसी भी क्षेत्राधिकार में घटित अपराध के लिए, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं।ई-जीरो एफआईआर: एक क्रांतिकारी व्यवस्था‘ई-जीरो एफआईआर’ साइबर वित्तीय धोखाधड़ी—विशेषकर एक लाख से अधिक की हानि के मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को अत्यंत तेज बनाती है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाओं को समाप्त कर जांच प्रक्रिया को तत्काल प्रारंभ करना है। यह प्रणाली तीन प्रमुख डिजिटल मंचों का एकीकरण करती है। नेशनल सायबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी), I4सी (भारतीय सायबर अपराध समन्वय केंद्र) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस)।ई-जीरो एफआईआर पंजीकरण की 5-चरणीय प्रक्रियाशिकायत दर्ज करना– पीड़ित 1930 हेल्पलाइन या एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत करता है। ₹1 लाख से अधिक की धोखाधड़ी होने पर डेटा सीधे भोपाल स्थित केंद्रीय साइबर पुलिस हब को भेजा जाता है।ऑटोमैटिक जनरेशन– सीसीटीएनएस सर्वर के माध्यम से शिकायत स्वतः ‘ई-जीरो एफआईआर’ में परिवर्तित हो जाती है। पीड़ित को तुरंत ‘ई-जीरो एफआईआर’ नंबर उपलब्ध कराया दिया जाता है।समीक्षा एवं हस्तांतरण– राज्य स्तरीय साइबर पुलिस स्टेशन द्वारा समीक्षा कर प्रकरण संबंधित क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है।नियमित एफआईआर में परिवर्तन–शिकायतकर्ता को 3 दिन के अंदर नजदीकी सायबर पुलिस स्टेशन में ‘ई-जीरो एफआईआर’ को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कराना होता है।साइबर अपराध में ‘गोल्डन ऑवर’ का महत्वसाइबर अपराध में धोखाधड़ी के बाद के पहले 2 घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ माना जाता है। यदि पीड़ित तुरंत 1930 पर संपर्क करता है, तो I4C एवं बैंकों के सहयोग से अपराधी के खाते में राशि पहुंचने से पहले ही उसे फ्रीज किया जा सकता है। ई-जीरो एफआईआर के माध्यम से आईपी लॉग, ट्रांजैक्शन आईडी जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य तत्काल और कानूनी रूप से सुरक्षित किए जाते हैं।‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था के प्रमुख लाभ‘ई-जीरो एफआईआर’ व्यवस्था देश में कहीं से भी कहीं भी हुई साइबर या वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत शिकायत दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराती है। इससे क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाओं से मुक्ति मिलती है, केस की स्थिति ऑनलाइन देखने की सुविधा मिलती है, शीघ्र एफआईआर से बैंकिंग चैनल सक्रिय, हो जाते हैं, राशि वापसी की संभावना अधिक हो जाती है साथ ही पोर्टल पर सीधे स्क्रीनशॉट और रसीदें अपलोड करने की सुविधा मिलने से आवश्यक दस्तावेज हमेशा उपलब्ध बने रहते हैं।____________