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धानुका समूह : किसानों को नई तकनीकी के प्रति जागरूक करेगी ऑडियो-विजुअल मोबाइल वैन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या से 10 जागरूकता मोबाइल वैन को करेंगे रवाना

– ऑडियो-विजुअल मोबाइल वैन ज्यादा फसल पैदावार के लिए गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट के प्रति पैदा करेंगी जागरूकता 

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। किसानों को कृषि की नई तकनीकी से रूबरू कराने के उद्देश्य से धानुका ग्रुप की ऑडियो-विजुअल मोबाइल वैन गांव गांव जाएगी। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में रविवार को होने वाले कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ धानुका समूह द्वारा तैयार 10 ऑडियो-विजुअल मोबाइल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। जिसका उद्देश्य किसानों के मध्य फसल पैदावार में वृद्धि के लिए गुणवत्तापूर्ण असली कृषि इनपुटों के महत्व पर जागरूकता पैदा करना है। इस मौके पर तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु श्री रामभद्राचार्यजी महाराज और युवराज श्री रामचरणदास जी भी मौजूद रहेंगे। यह जानकारी धानुका समूह के चेयरमैन डॉ. आरजी अग्रवाल ने दी।

शनिवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि किसानों को असली कृषि इनपुट इस्तेमाल करने और पक्के बिल लेने के महत्व पर जागरूक करने के लिए धानुका समूह ने देशव्यापी अभियान शुरू किया है। इन बिलों से तय होता है कि किसान ने कृषि रसायन सहित प्रमाणिक कृषि इनपुट लिए हैं। ये वैन मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्व-निर्धारित रूट पर आगे बढ़ते हुए किसानों में जागरूकता उत्पन्न करेंगी। जिसमें धानुका समूह की टीमें केवीके, कृषि विभाग और डीलरों सहित अन्य हितधारकों के सहयोग से किसानों को आमंत्रित कर फसल के लिए बीमा का काम करने वाले कीटनाशकों के सहित अनुशंसित कृषि-इनपुट के प्रयोग के लाभ और फसल पैदावार बढ़ाने के अन्य उपायों पर ट्रेनिंग दी जायेगी। ये कीटनाशक पौधों के लिए ठीक वैसे ही दवा का काम करते हैं, जैसे मानव स्वास्थ्य के लिए फार्मास्युटिकल्स दवाएं। ये वैनें अयोध्या, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर और बस्ती समेत मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के अनेक हिस्सों में जाएंगे।      

उन्होंने बताया कि अपने उत्पादों को नक्कालों से अलग दिखाने के लिए सभी अच्छी कंपनियों ने अपने उत्पादों पर क्यूआर कोड छापने शुरू कर दिए हैं। जिन्हें मोबाइल फोन के कैमरा से स्कैन करके उनके असलियत की जांच की जा सकती है। जहाँ तक धानुका के उत्पादों की बात है, तो स्कैन उनको कंपनी की वेबसाइट पर ले जाएगा, जहाँ वे न केवल उस उत्पाद की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उस फसल विशेष के सम्बन्ध में सभी कृषि उपायों की भी जानकारी ले सकते हैं।       

उन्होंने कहाकि पिछले साल 4 सितम्बर के दिन लखनऊ में गन्ना किसानों के लिए आयोजित हुई ‘सीआईआई शुगरटेक 2023’ नामक एक कार्यक्रम में गन्ना एवं मिल मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने उदाहरण देते हुए बताया था कि कैसे उत्तर प्रदेश के एक गन्ना किसान ने नई टेक्नोलॉजी के बीज, संस्तुत उचित कीटनाशक से बीज का ट्रीटमेंट, मिट्टी की विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक के इस्तेमाल और सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक और मिट्टी की नमी को समाप्त करने वाले खरपतवार के प्रबंधन से औसत 83 टन प्रति हेक्टेयर के उत्पादन के मुकाबले बहुत अधिक 283 टन प्रति हेक्टेयर गन्ना उगाया था। उस किसान ने प्रतिष्ठित कंपनियों के अधिकृत स्रोत से असली कीटनाशक खरीदकर उससे समय रहते विभिन्न बीमारियों और कीट-पतंगों से फसल की सुरक्षा सुनिश्चित की थी, जिससे सभी चीजें उसके नियंत्रण में रहीं।               

जो किसान कम पैदावार से जूझ रहे हैं, वे भी उस किसान के दिखाए रास्ते यानि नई तकनीक का बीज, उर्वरक, और सबसे ज्यादा जरूरी फसल के लिए सुरक्षा का काम करने वाले कीटनाशक का सही इस्तेमाल करके फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं। उनकी कम पैदावार का सबसे बड़ा कारण नकली, जाली और स्मगल किए हुए कीटनाशक होते हैं, जो फसल पर सही नियंत्रण नहीं कर पाते, जिसके कारण प्रगतिशील किसानों की तुलना में उनकी फसल की पैदावार बहुत कम रह जाती है।

समूह चेयरमैन डॉ. आरजी अग्रवाल ने एक जिद्दी खर-पतवार ‘मोथा’ (साइपैरस रोटुंडुस) का उदाहरण साझा करते हुए बताया कि इस पर कोई नियंत्रण नहीं था, लेकिन सेम्प्रा (SEMPRA) के लांच से काफी अच्छे उत्साहित करने वाले परिणाम आये हैं। क्योंकि साइपैरस रोटुंडुस राइजोम के जरिए मिट्टी में दबे डंठलों से  फैलता है और मैन्युअल वीडिंग के बाद भी वे फिर से पैदा हो जाते हैं, और ये प्रोडक्ट खर-पतवार (वीड) को डंठल से नियंत्रित करके काफी बेहतर परिणाम देता है। गन्ना और मक्का के मामले में किसानों की पैदावार 15-20 प्रतिशत बढ़ी है, जोकि सिर्फ एक नवाचार से देश और किसानों के लिए बड़ी उपलब्धि है।      

फरवरी, 2024 में कंपनी जापानी साझेदार के साथ एक नया शाकनाशक (हर्बीसाइड्स) लांच करने जा रही है। इस शाकनाशक को गन्ना खेती में कई प्रकार के खर-पतवार को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे किसान खर-पतवार की वृद्धि को प्रभावी रूप में नियंत्रित कर पैदावार में काफी वृद्धि कर सकेंगे। एक हालिया बैठक में उत्तर प्रदेश में 90% गन्ना फसल के लिए जिम्मेदार बेहद प्रशंसित सीओ238 किस्म को ईजाद करने वाले एक प्रख्यात गन्ना वैज्ञानिक ने भी लाल सड़ांध के प्रभावी नियंत्रण के लिए धानुका के ‘गोड़ीवा सुपर’ (Godiwa Super) की अनुशंसा की थी।     

डॉ. अग्रवाल ने रेखांकित किया कि इस पहल के लिए मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता से संदेश गया है कि कृषि के क्षेत्र में प्रगति जागरूकता और ज्ञान से ही आ सकती है, इन ऑडियो-विजुअल वैनों के माध्यम से इसी संदेश को जन-जन तक पहुँचाया जायेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री न सिर्फ कृषि के क्षेत्र में प्रदेश में हो रही उन्नति की प्रेरक शक्ति हैं, बल्कि वे विभिन्न सेक्टरों का कायाकल्प कर बहुत बड़ी मात्रा में निवेश भी आकर्षित कर रहे हैं, जिस पर हालिया उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मलेन (यूपी इन्वेस्टर्स समिट) में उपस्थित इंडस्ट्री लीडर्स ने भी मुहर लगाई। विशेषज्ञों द्वारा संस्तुत कीटनाशक ज्ञान को सीधे किसानों के दरवाजे तक पहुंचाने वाली ये मोबाइल वैन एक शक्तिशाली शुरूआत की वाहक हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस पहल से किसानों को फसल की पैदावार को उसके अधिकतम स्तर तक ले जाकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने करने के लिए उन्हें सशक्त करेगी, जिससे कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

डॉ. अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि वैन पहल कीटनाशकों के संबंध में उचित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करके किसानों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने उन उत्पादों को प्राप्त करने के महत्व को भी रेखांकित किया, जो व्यापक जानकारी के साथ आते हैं, जिसमें बैच नंबर, समाप्ति तिथि, मैन्युफैक्चरिंग तिथि, पूर्ण पते के साथ निर्माता का नाम और ग्राहक सेवा विवरण शामिल हैं। विस्तृत जानकारी पर इस जोर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसान कीटनाशक खरीदते समय सोच-समझकर विकल्प चुनें, जिससे उनकी कृषि पद्धतियों की समग्र प्रभावशीलता और सुरक्षा में वृद्धि हो।

“फसल सुरक्षा रसायनों का पूरा लाभ उठाने के लिए सही समय पर सही खुराक में सही पानी की मात्रा के साथ कृषि-इनपुट का उपयोग करें और उन्हें सही स्प्रे तकनीक के साथ लागू करें। याद रखें कि प्रमाणीकरण के लिए हमेशा उचित बिल के साथ कीटनाशक खरीदें।” उन्होंने जोर दिया। किसानों को सावधान करते हुए डॉ. अग्रवाल ने उनसे आग्रह किया कि वे भ्रामक निर्माताओं और डीलरों से सावधान रहें, जो रासायनिक कीटनाशकों को “जैव” के रूप में बेचते हैं, जो न केवल फसलों बल्कि मानव, पशु, मिट्टी, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं।

उनके मुताबिक वर्ष 2021 में एक राज्य सरकार ने रिपोर्ट में बताया कि सरकारी प्रयोगशालाओं में तथाकथित जैव-कीटनाशकों और जैव-उत्तेजक पदार्थों के 250 नमूनों का विश्लेषण किया गया। उनमें से सभी में 10-12 रासायनिक कीटनाशकों के कॉकटेल पाए गए। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ नमूनों में ऐसे कीटनाशक थे, जो भारत में पंजीकृत भी नहीं हैं। इस मुद्दे का असर कृषि क्षेत्र पर स्पष्ट था, ब्लैक थ्रिप्स के हमले के कारण लगभग 9 लाख एकड़ मिर्च की फसल को नुकसान हुआ था, जिसे इन तथाकथित जैव-कीटनाशक या जैव-उत्तेजकों के उपयोग के कारण कीट-पतंगों में प्रतिरोध के विकास को देखते हुए नियंत्रित नहीं किया जा सका था।

उन्होंने कहा कि खरीद बिल/रसीद को अपने पास रखकर किसान खुद को संभावित धोखाधड़ी से बचा सकते हैं, और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि गुणवत्ता से संबंधित किसी भी मुद्दे की स्थिति में उनके पास सहारा हो। बिल के बिना किसान फसल सुरक्षा रसायनों में अपने निवेश के बावजूद खुद को असुरक्षित पा सकते हैं। 

वर्ष 2027 तक हमारे देश की कृषि आय को 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक ले जाने की अपार संभावनाएं हैं, जैसा कि पहले बताए गए गन्ने के उदाहरण से पता चलता है। यह प्रधानमंत्री द्वारा 2027 तक राष्ट्र को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिए निर्धारित विजन के अनुरूप भी है, जिसमें से कृषि क्षेत्र का योगदान एक ट्रिलियन होने की उम्मीद है। 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक योगदान करने की क्षमता वाला कृषि क्षेत्र उल्लखित चीनी किसान द्वारा हासिल की गई आय के बराबर प्रति हेक्टेयर आय तक पहुंचने पर निर्भर है। यह प्राप्ति नई टेक्नोलॉजी, उचित मूल्य निर्धारण, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट, समय पर वित्तीय सहायता और मजबूत बुनियादी ढांचे के प्रावधान से संभव है।