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100 सफल ऑर्गन ट्रांसप्लांट पूरे कर अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल ने हासिल की महत्वपूर्ण उपलब्धि

• जागरूकता के अभाव में प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों में से 5 फीसदी से भी कम को मिल पाते हैं आवश्यक अंग

• अंगदान के विषय में जागरूकता बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के अल्ट्रामॉडर्न मेडिकल फैसिलिटी से इलाज उपलब्ध कराने में अग्रणी, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल्स लखनऊ ने 100 सफल ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल द्वारा उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल इस क्षेत्र का एकमात्र ऐसा प्रतिष्ठित निजी अस्पताल है, जहां कैडवेरिक (मृत शरीर से मिलने वाले) लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है।

इस अवसर पर गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपोलो अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर पेडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने अस्पताल की उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया, “अपोलो ट्रांसप्लांट प्रोग्राम अल्ट्रा मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी के माध्यम से सेवाएं उपलब्ध कराने वाला दुनिया के सबसे बड़े ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम्स में से एक है। अपोलो के ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के तहत वर्ष 2012 से सालाना 1200 से अधिक आर्गन ट्रांसप्लांट हो रहे हैं रहे हैं, जब इस प्रोग्राम के तहत एक कैलेंडर वर्ष में 1000 से अधिक प्रत्यारोपण के महत्वपूर्ण आंकड़े को हासिल किया गया था। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि वर्ष 2020 में जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी तो उस चुनौतीपूर्ण वर्ष में इस कार्यक्रम के तहत 814 सफल प्रत्यारोपण किए गए। वहीं वर्ष 2022 में असाधारण परिणामों के साथ 1641 प्रत्यारोपण पूरे किए गए। जो अपोलो द्वारा उच्चतम गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने में विश्वास और अपोलो के ट्रांसप्लांट प्रोग्राम की विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है। हालांकि, देश में अंग दान को बढ़ावा देने और इसकी संख्या में सुधार करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। फिर भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की डिमांड और सीमित संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए अंगों का मिलना एक बड़ी चिंता का कारण है। भारत में अंगदान की दर बेहद कम है, देश में प्रति दस लाख लोगों पर केवल 0.08 अंगदान होते हैं।  यह क्रोएशिया जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है, जहां प्रति दस लाख लोगों पर अंगदान की दर 36.5 है।  2021 में भारत में 552 अंग दाता ही उपलब्ध थे, जो लास्ट स्टेज के ऑर्गन फेलियर से पीड़ित 1519 रोगियों की जान बचाने में सहायक सिद्ध हुए।”

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ के एमडी और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने इस बात को प्रमुखता से रखा कि अपोलोमेडिक्स अस्पताल ऑर्गन ट्रांसप्लांट में निरंतर अपनी उत्कृष्टता साबित कर रहा है। भारत में अंग प्रत्यारोपण के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सोमानी ने कहा, “कोविड के बाद अंग प्रत्यारोपण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। पहली बार, देश में एक वर्ष में ही 12,000 से अधिक प्रत्यारोपण का लक्ष्य हासिल किया है। अपोलोमेडिक्स अस्पताल ने उत्कृष्ट परिणामों के साथ सफलतापूर्वक 94 किडनी और 13 लीवर प्रत्यारोपण किए, जिनमें 4 कैडवेरिक प्रत्यारोपण (मृत व्यक्तियों के अंग) शामिल हैं। हालाँकि, जीवित दाताओं के दान की तुलना में कैडेवर ऑर्गन डोनेशन की संख्या अभी भी काफी कम है। अपोलोमेडिक्स उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्र में एकमात्र निजी अस्पताल हैं, जो लगातार सफल कैडवेरिक लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। जिससे अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों को नई उम्मीद की किरण आशा मिली है। इसके अलावा, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ को अब हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए लाइसेंस भी प्राप्त हो चुका है, जिससे उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा में काफी सुधार होने और राज्य में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद बढ़ी है।”

अंगदान के लिए जागरूकता जरूरी

अपोलोमेडिक्स अस्पताल लखनऊ के नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट के एचओडी डॉ. अमित गुप्ता ने प्रत्यारोपण के लिए पर्याप्त अंग उपलब्ध न होने की समस्या को हल करने के लिए अंग दान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या और उपलब्ध अंगों की संख्या के बीच एक बड़ा अंतर है। हाल के आँकड़े बताते हैं कि प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक 5 प्रतिशत से भी कम अंग उपलब्ध हैं। भारत में, लगभग 220,000 रोगियों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन हर साल केवल 9,500 किडनी प्रत्यारोपण हो पाते हैं। इनमें से कई मरीजों की उपयुक्त किडनी डोनर की प्रतीक्षा में मृत्यु हो जाती है। ब्रेन डेथ के बारे में जागरूकता की कमी, धार्मिक अंधविश्वास और प्रत्यारोपण केंद्रों की कमी जैसे कई कारक देश में अंग दान कार्यक्रम पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। अंगों की कमी को दूर करने और प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों को आशा देने के लिए कैडवेरिक ट्रांसप्लांट एक महत्वपूर्ण कदम है।”

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के लीवर प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. नीरव गोयल ने बताया “अपोलो हॉस्पिटल में सर्वाधिक कुशल सर्जन और डॉक्टर्स उपलब्ध हैं। दुनिया भर में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा के बराबर उत्कृष्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगियों को अपोलो पर पूरा भरोसा है। हमने 50 विभिन्न देशों के मरीजों का सफलतापूर्वक लिवर प्रत्यारोपण किया है। भारत में लिवर की बीमारियाँ एक बड़ी समस्या हैं, 2021 में पूरे विश्व में होने वाली मौतों में लिवर रोग 18.3 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार है। फिलहाल, देश में प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है, लेकिन केवल 3,500 लीवर प्रत्यारोपण ही किए जा रहे हैं।

लिवर ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जन डॉ. आशीष मिश्रा ने बताया, “अपोलो ट्रांसप्लांट कार्यक्रम ठोस नींव पर आधारित कार्यक्रम है। जिसमें अल्ट्रा मॉडर्न तकनीक और आधुनिक मशीनों से सुसज्जित सुविधाएं, विश्व स्तर पर अपने चिकित्सकीय कार्य के लिए सम्मानित ट्रांसप्लांट सर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, पेडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, पेडियात्ट्रीशियन सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, इंटेंसिविस्ट आदि की एक टीम द्वारा प्रदान की है। समय के साथ अपोलो ट्रांसप्लांट कार्यक्रम ने भरोसेमंद सेवाएं देकर प्रतिष्ठा अर्जित की है और बेहद चुनौतीपूर्ण मामलों में भी अपनी क्षमता साबित की है।”

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अजय कुमार ने बताया, “एक ट्रांसप्लांट प्रोग्राम कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। सबसे महत्वपूर्ण है, ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में शामिल मेडिकल प्रोफेशनल्स, जैसे सर्जन, डॉक्टर, नर्स और विशेष कर्मचारियों का कौशल और अनुभव है। उनका अनुभव और ज्ञान ही सुनिश्चित करता है कि प्रत्यारोपण सावधानीपूर्वक से पूरा हो जाए। टेक्नोलॉजी भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभाती है। यह सर्जरी के बाद रोगियों के डायग्नोसिस, उनकी स्थिति के मूल्यांकन और देखभाल करने में मदद करती है। आधुनिक उपकरण सर्जरी के बाद के परिणामों में सुधार करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि एक अच्छा अस्पताल सेटअप होना आवश्यक है। आधुनिक सुविधाएं जैसे ऑपरेशन थियेटर, आईसीयू और स्पेशलाइज्ड ट्रांसप्लांट यूनिट्स यह सुनिश्चित करती हैं कि मरीजों को प्रत्यारोपण के दौरान सर्वोत्तम देखभाल मिले। अपोलोमेडिक्स में, यह सभी सुविधाएं विशेषज्ञता, तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर  सुचारू रूप से उपलब्ध है। इससे मरीजों के लिए बेहतर परिणाम और प्रत्यारोपण के लिए उच्च सफलता दर प्राप्त होती है और वे प्रत्यारोपण के बाद जीवन का बेहतर गुणवत्ता के साथ आनंद उठाते हैं।”

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल लखनऊ 100 सफल अंग प्रत्यारोपण सर्जरी करने की एक बड़ी उपलब्धि के साथ लोगों को अंग दान के बारे में जागरूक रहा है। अस्पताल मृत्यु के बाद अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास कर रहा हैं। इससे अंग प्रत्यारोपण के जरूरतमंद लोगों की बहुत मदद होगी और यह उन्हें अपने नई जीवन की शुरुआत की उम्मीद देगा।”