(विकास मिश्र) ‘शिव और शक्ति’ ये दो नाम मात्र प्रतीक हैं उस अनादि, अनन्त, अपौरुषेय तत्त्व के, जो स्वयं में पूर्ण है और जिसकी महिमा से समस्त सृष्टि का प्रारंभ, संचालन और संहार होता है। ‘शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुं’ यह श्लोक शृंगारलहरी का प्रथम श्लोक है, इसका …
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