लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बाल दिवस के अवसर पर लुलु मॉल में “डॉल्स ऑफ इंडिया” का आयोजन किया गया। यह एक अनोखा सांस्कृतिक कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य भारत की पारंपरिक गुड़िया-निर्माण कला, शिल्प विरासत और सतत् हस्तकला को सम्मान देना था। इस पहल में सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल्स ने सहयोगी साझेदार के रूप में भाग लिया, जिससे कार्यक्रम में शिक्षा और रचनात्मकता का सुंदर समावेश हुआ।
14 से 16 नवंबर 2025 तक चले इस तीन दिवसीय कार्यक्रम ने मॉल को एक जीवंत सांस्कृतिक स्थल में बदल दिया, जहाँ कला, कहानी और हस्त गतिविधियों के माध्यम से भारत की विविधता का उत्सव मनाया गया।
कार्यक्रम में देशभर की 25 पारंपरिक गुड़ियों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिनमें हर गुड़िया अपनी विशेष कला शैली और कहानी को दर्शाती थी। बिहार की मंजूषा गुड़िया, झारखंड के छोऊ मुखौटे, राजस्थान और तेलंगाना की कठपुतलियाँ और अंडमान-निकोबार की जनजातीय गुड़ियाँ, सभी ने भारत की सदीयों पुरानी कला-संस्कृति को उजागर किया।
प्रदर्शनी का विशेष आकर्षण उत्तर प्रदेश की मूनज घास से बनी मूनज डॉल्स रहा। प्राकृतिक और पर्यावरण–अनुकूल मूनज घास से बनने वाली ये गुड़िया ग्रामीण जीवन, टिकाऊ शिल्पकारी और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। लुलु मॉल ने स्थानीय कारीगरों को मंच देकर इस विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
तीन दिनों के दौरान बच्चों और परिवारों को कई रचनात्मक, शिक्षाप्रद और मज़ेदार गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला।
• 14 नवंबर: डॉल–मेकिंग वर्कशॉप – बच्चों ने अपनी गुड़िया खुद बनाकर पारंपरिक तकनीकें सीखीं।
• 15 नवंबर: क्ले आर्ट वर्कशॉप – मिट्टी से कला बनाने का पर्यावरण–अनुकूल और कल्पनाशील अनुभव।
• 16 नवंबर: ग्रैंड पपेट शो – हंसी, संगीत और लोककथाओं से भरा लखनऊ के किसी भी मॉल में होने वाला पहला कठपुतली शो।
इसके अलावा लाइव पॉटरी डेमोंस्ट्रेशन, कपड़े की गुड़िया बनाने की गतिविधि और ओरिगामी कलाकार की लाइव वर्कशॉप ने कार्यक्रम को और भी जीवंत बनाया। इन कला प्रस्तुतियों ने दर्शकों को परंपरागत शिल्प को करीब से देखने और सीखने का अवसर दिया। लुलु मॉल ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया, जिन्होंने हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का उद्घाटन डीएम विशाक जी अय्यर ने किया। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम बच्चों में सांस्कृतिक जागरूकता और स्थिरता के महत्व को बढ़ावा देता है। उद्घाटन के दौरान आलोक शुक्ला (डायरेक्टर एवं स्टेट हेड, CII, सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल), शहीद पथ के वाइस प्रिंसिपल पंकज राठौर और मोनिका तनेहा मनकताला सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
इस अवसर पर समीर वर्मा (रीजनल मैनेजर, लुलु मॉल) ने कहा, “हमें ‘डॉल्स ऑफ इंडिया’ को मिली शानदार प्रतिक्रिया से बेहद खुशी है। बच्चों और परिवारों को एक साथ भारत की कला–संस्कृति का उत्सव मनाते देखना बहुत सुखद रहा। यह कार्यक्रम वास्तव में बाल दिवस के भाव को दर्शाता है — जहाँ खुशी, सीख और परंपरा एक साथ आती हैं।”
पंकज राठौर ने कहा, “लुलु मॉल के साथ इस पहल में जुड़ना हमारे इस विश्वास को दिखाता है कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं है। पारंपरिक कला से बच्चों को जोड़ना उनकी रचनात्मकता, पर्यावरण–जागरूकता और संस्कृति के प्रति सम्मान को बढ़ाता है।”
“डॉल्स ऑफ इंडिया” भारत के कारीगरों को समर्पित एक सुंदर प्रयास रहा और इसने यह संदेश दिया कि कला और सतत् विकास एक साथ चल सकते हैं। कार्यक्रम रचनात्मकता, मुस्कानों और सांस्कृतिक गर्व के साथ समाप्त हुआ — यह बताते हुए कि परंपरा जब मन से मनाई जाए, तो वह सदाबहार बन जाती है।
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