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Lucknow University : स्टूडेंट्स को भारत की भूगर्भीय धरोहर के संरक्षण के प्रति किया प्रेरित

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक प्रो. ओम नारायण भार्गव (पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) का प्रेरणादायक व्याख्यान एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव सेन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. भार्गव को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी जियोलॉजी डिपार्टमेंट एलुमनाई एसोसिएशन (LUGDAA) की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2024 प्रदान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सोनल शुक्ला ने किया। प्रो. भार्गव का परिचय विभाग के प्रो. मनोज कुमार यादव ने कराया, जिन्होंने उनके हिमालय क्षेत्र में चार दशकों से अधिक के विशिष्ट अनुसंधान कार्यों की चर्चा की। अपने व्याख्यान में प्रो. भार्गव ने हिमालय की संरचनात्मक विकास यात्रा और प्रीकैम्ब्रियन चट्टानों की जटिल भूवैज्ञानिक संरचनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवा विद्यार्थियों को क्षेत्रीय कार्य और अनुसंधान की महत्ता समझाई तथा भारत की भूगर्भीय धरोहर के संरक्षण के प्रति प्रेरित किया।

विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रो. भार्गव जैसे विद्वान हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने भूविज्ञान में उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका जीवन समर्पण, परिश्रम और शोध के प्रति निष्ठा का प्रतीक है।

विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. शीला मिश्रा ने कहा कि प्रो. भार्गव का कार्य युवा पीढ़ी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने विभाग की शैक्षणिक उपलब्धियों की भी सराहना की।

पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. डीडी अवस्थी ने एलुमनाई संघ की ओर से प्रो. भार्गव को सम्मानित करते हुए कहा कि विभाग को ऐसे महान वैज्ञानिक का सान्निध्य प्राप्त होना सौभाग्य की बात है। अपने उद्बोधन में उन्होंने बताया कि विभाग निरंतर अकादमिक और अनुसंधान उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर है।

कार्यक्रम में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एआर भट्टाचार्य और प्रो. विभूति राय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने प्रो. भार्गव के योगदान को ऐतिहासिक बताते हुए उनके शोध को भारतीय भूविज्ञान के विकास की आधारशिला कहा।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डीडी अवस्थी द्वारा किया गया। इस अवसर पर विभाग के बीएससी, एमएससी एवं पीएचडी के छात्र-छात्राएँ, संकाय सदस्य, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) और बीरबल साहनी पुराजीवविज्ञान संस्थान (BSIP) के वैज्ञानिक, पूर्व विभागाध्यक्षगण एवं सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षक उपस्थित रहे।