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नई दिल्ली में प्रो. सुखवीर सिंघल के वॉश चित्रों की प्रदर्शनी 6 नवंबर से

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। वॉश कला के जनक भारतीय चित्रकला को समृद्ध बनाने में अहम योगदान देने वाले स्वर्गीय प्रो. सुखवीर सिंघल के वॉश चित्रों की सात दिवसीय प्रदर्शनी 6 नवंबर से लगाई जाएगी। ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में Museum on the Wheels शीर्षक संग 12 नवम्बर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 45 कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाएंगी। प्रदर्शनी का उद्घाटन 6 नवम्बर 2025 को शाम 6 बजे डॉ. संजीव किशोर गौतम (महानिदेशक, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट), डॉ. नंदलाल ठाकुर (उपाध्यक्ष, ललित कला अकादमी), डॉ. अलका पांडे (कला इतिहासकार एवं म्यूज़ियम क्यूरेटर), तथा प्रशांत भूषण (वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट एवं कला प्रेमी) द्वारा किया जाएगा।

Museum on the Wheels के रूप में यात्रा कर रही एक अनमोल कला-संपदा जो स्थान-स्थान पर घूमते हुए उस स्थायी लक्ष्य की तलाश में है, जहां यह शोभायमान हो सके। लगभग सौ वर्ष पुरानी यह कला विरासत भारतीय संस्कृति, परंपराओं, दर्शन और अध्यात्म की गहराई को गर्वपूर्वक अभिव्यक्त करती है। यह प्रदर्शनी प्रो. सुखवीर सिंघल की नातिन प्रियम चंद्रा द्वारा संयोजित की गई है। जो इस अमूल्य धरोहर को आज के दर्शकों तक पहुँचाने का प्रयास है।

इस प्रदर्शनी में उनकी प्रसिद्ध श्रृंखलाओं River of life, Phases of life, Marriage, Arjun as an ideal man, Indian life, Ramcharit और Kashmir landscape के अतिरिक्त उनके कुछ उत्कृष्ट Tapestries और अन्य चित्रकृतियाँ प्रदर्शित की जाएगी।

• River of life और Phases of life श्रृंखलाएँ दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को दर्शाती हैं।

• Marriage श्रृंखला भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मानव मनोविज्ञान की गहराइयों को उजागर करती है।

• Arjun as an ideal man और Ramcharit श्रृंखलाएँ पौराणिक कथाओं से प्रेरित हैं।

• Indian life श्रृंखला किसानों और आम जनजीवन के संघर्ष और जिजीविषा को प्रस्तुत करती है।

• Kashmir landscape श्रृंखला कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता को कैनवास पर सजीव करती है।

उनकी Tapestries — खादी के कपड़े पर कढ़ाई से सजी ललित कला की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं। प्रत्येक चित्र मानवीय भावनाओं और मनोभावों की अलग झलक प्रस्तुत करता है।

यद्यपि प्रो. सिंघल मुख्यतः अपने वॉश शैली के लिए प्रसिद्ध थे, उन्होंने जलरंग, रेशम, लकड़ी, खादी पर कढ़ाई, मूर्तिकला तथा चमड़े पर ललित कला जैसे विविध माध्यमों में भी प्रयोग किए।

14 जुलाई 1914 को मुज़फ्फरनगर में जन्मे प्रो. सिंघल बचपन से ही कला के प्रति गहरा अनुराग रखते थे। एक सच्चे देशभक्त के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और कई बार जेल गए। परिवार की सलाह पर वे लखनऊ आकर Government School of Art and Crafts, Lucknow में दाखिल हुए, जहाँ से उन्होंने औपचारिक कला शिक्षा प्राप्त की। किंतु उनकी रचनात्मक खोज कभी थमी नहीं।

1938 में उन्होंने प्रयागराज में कला भारती की स्थापना की। एक संस्थान जो ललित कला, शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य को समर्पित था। उनके मार्गदर्शन में यह संस्थान फला-फूला और अनेक प्रतिष्ठित विद्यार्थियों को आकर्षित किया। जिनमें भारत के दो पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह भी शामिल थे। अपने गुरुजनों ए. के. हालदर और अवनिंद्रनाथ टैगोर के प्रोत्साहन से उन्होंने बाद में लखनऊ के Government School of Art and Crafts में अध्यापन आरंभ किया, जहाँ वे प्रधानाचार्य के पद तक पहुँचे और 1973 तक सेवा की।

बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के प्रमुख चित्रकारों में से एक, प्रो. सिंघल ने रस सिद्धांत पर आधारित भारतीयकृत वॉश पेंटिंग तकनीक विकसित की, जिसने उनके कार्यों को कालजयी बना दिया। उनकी चित्रकृतियाँ मानवीय भावनाओं और मनोविज्ञान की गहराइयों में उतरती हैं, जहाँ प्रतीकात्मक रंग विभिन्न भावनाओं का संप्रेषण करते हैं। वॉश पेंटिंग्स के अतिरिक्त उन्होंने लैकसिट पेंटिंग्स, रेशमी चित्र, टेपेस्ट्रीज़, लैंडस्केप्स, तेल चित्र, पोर्ट्रेट और मूर्तियाँ भी बनाईं।

1985 में उन्होंने भारतीय चित्रकला पद्धति नामक ग्रंथ प्रकाशित किया, जिसमें उनके शिक्षण पद्धति, दर्शन और भारतीय कला के सौंदर्यशास्त्र का विस्तृत विवेचन है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के कला सलाहकार के रूप में उन्होंने इवोल्यूशन ऑफ आर्ट एंड आर्टिस्ट नामक तीन खंडों में विस्तृत ग्रंथ लिखा, जिसे पूरा करने में उन्हें 12 वर्ष लगे। इसका प्रथम खंड 7 सितम्बर 2025 को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पित किया गया। खंड 2 और खंड 3 शीघ्र प्रकाशित होने वाले हैं।

प्रो. सिंघल को ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी, बॉम्बे आर्ट सोसाइटी और अकादमी ऑफ फाइन आर्ट्स (कोलकाता) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में अनेक पुरस्कार मिले। उनकी प्रसिद्ध पेंटिंग Thou Art Dust, to Dust Returnest ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम द्वारा रॉयल कलेक्शन के लिए अधिगृहीत की गई। 1942 में उन्होंने पंडित नेहरू के अनुरोध पर इंदिरा गांधी का विवाह निमंत्रण-पत्र डिजाइन किया, जिसकी देश-विदेश में अत्यधिक सराहना हुई।

1992 में उन्होंने ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में एकल प्रदर्शनी आयोजित की और सेवानिवृत्ति के बाद भी लखनऊ में अपने घर से कला शिक्षण जारी रखा। वे शास्त्रीय संगीत के ज्ञाता थे और पंडित भोला भट्ट के शिष्य रहे। साथ ही, उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा, योग और नैसर्गिक उपचार का गहन ज्ञान था, जिसे वे स्वयं और समाज के हित में प्रयोग करते थे।

प्रो. सिंघल ने सादगीपूर्ण और एकांतप्रिय जीवन व्यतीत किया तथा 29 नवम्बर 2006 को उनका निधन हुआ। उनकी स्मृति में राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश ने मार्च 2022 में एक पुनरावलोकन प्रदर्शनी आयोजित की, जिसके बाद अप्रैल 2022 में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में उनकी कृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई। उनके 108वें जन्मदिन पर राष्ट्रीय कला मंच और कला भारती ट्रस्ट द्वारा गोयल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, लखनऊ में वॉश पेंटिंग कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, तथा 109वें जन्मदिन पर लखनऊ मेट्रो में भी इसी तरह का आयोजन किया गया।

उनकी विरासत के सम्मान में लखनऊ नगर निगम ने 2022 में कैसरबाग स्थित उनके आवास के सामने की मुख्य सड़क को प्रो. सुखवीर सिंघल मार्ग नाम दिया। उनकी कला आज भी हमारे जीवन में अर्थ और संवेदना का संचार करती है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।