- हर साल भारत में 50,000 से ज़्यादा बच्चों को होता है कैंसर
- अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ में बाल कैंसर पर व्यावहारिक कार्यशाला, 200 से अधिक विशेषज्ञों ने लिया भाग
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत में हर साल 50,000 से अधिक बच्चों में कैंसर का पता चलता है, लेकिन सही समय पर पहचान और मानक के हिसाब से इलाज की व्यवस्था अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपोलो हॉस्पिटल्स, लखनऊ ने इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (लखनऊ चैप्टर) के सहयोग से प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी पर एकदिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम बी 2 ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 200 से अधिक पीडियाट्रिशियन और मेडिकल प्रोफेशनल्स ने भाग लिया।
कार्यशाला में उपकुलपति, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), प्रो. (डॉ.) सोनिया नित्यानंद मुख्य अतिथि रहीं। उन्होंने बच्चों में कैंसर की शुरुआती पहचान और समय से इलाज पर ज़ोर देते हुए कहा, “बच्चों के कैंसर में ज़्यादातर मामलों में इलाज संभव है, बशर्ते समय पर जांच हो और तय मानकों के अनुसार इलाज मिले। बाल रोग विशेषज्ञों को व्यावहारिक जानकारी देना इस दिशा में सबसे अहम कदम है।”
कार्यक्रम का उद्घाटन अपोलो हॉस्पिटल्स लखनऊ के सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने किया। उन्होंने पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी के लिए अपोलो की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, “हम मानते हैं कि सिर्फ देर से पहचान या इलाज की कमी के चलते किसी भी बच्चे को जान का ख़तरा नहीं होना चाहिए। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से डॉक्टरों को कैंसर के नए इलाज, सही जांच के तरीकों और बेहतर इलाज की जानकारी मिलती है, जिससे बच्चों का इलाज और भी बेहतर हो पाता है।”
दिनभर चली इस कार्यशाला में बच्चों में होने वाले कैंसर की सामान्य जानकारी, लिम्फेडेनोपैथी की जांच के प्रॉसेस, रेफर करने से पहले एमरजेंसी में देखभाल, ल्यूकीमिया और सॉलिड ट्यूमर से जुड़ी विशेष जानकारियों के साथ-साथ ऑन्कोलॉजिकल इमरजेंसी जैसे विषयों को विस्तार से समझाया गया।
इसके अलावा बच्चों में कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचानना, उनके परिवार की काउंसलिंग, लंबे समय तक चलने वाले इलाज से जुड़ी चुनौतियों, बोन मैरो ट्रांसप्लांट की भूमिका और रेफरल की सही प्रक्रिया जैसे व्यावहारिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने ब्लड प्रॉडक्ट मैनेजमेंट पर हैंड्स-ऑन सेशन में हिस्सा लिया और अस्पताल के ब्लड बैंक का दौरा भी किया।
यह प्रशिक्षण नेशनल ट्रेनिंग प्रोजेक्ट – प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी (एनटीपी-पीपीओ) का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य बच्चों में कैंसर के इलाज को और अधिक असरदार बनाते हुए, ज़मीनी स्तर के डॉक्टरों को इससे जुड़े व्यावहारिक ज्ञान को पहुंचाना है।