लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश के विकास एवं प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की असीम संभावनायें हैं, जिसके लिए प्रदेश में उद्योगों का विकास तीव्र गति से होना आवश्यक है। इस विकास की गति में एक बाधक कारक प्रदेश के उद्योगों को सरकार द्वारा लीज पर दी गई भूमि है। औद्योगिक भूमि के लीज होल्ड होने से उद्यमियों को अपने उद्योग में छोटे से छोटे कार्य के लिए यूपीसीडा का अथवा उद्योग निदेशालय से अनुमति लेने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं। यह कहना है इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चेतन देव भल्ला का।
बुधवार को आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र यूपी के सभी जनपदों में जिलाधिकारी को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि यूपी में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी अहम भूमिका निभा रही है। लेकिन लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड न किए जाने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि लीज होल्ड से मुक्ति मिलती है तो उद्योग में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि आईआईए विगत काफी वर्षो से प्रदेश में लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने की मांग सरकार से उठाता आ रहा है।

इसका कारण यह है कि यूपीसीडा अथवा उद्योग निदेशालय द्वारा उद्यमियों को दी गयी लीज होल्ड भूमि पर यदि उद्यमी को अपने उद्योग में कोई नया उत्पाद बनाना है, बैंक लिमिट में बदलाव करना है, उम्र ढलने के बाद अपने खूनी रिश्ते में ही उद्योग को हस्तगत करना है, उद्योग की भूमि एवं भवन किराये पर देना हों अथवा भूमि का अमल्गमेशन या सपरेशन करना है तो इन सभी कार्यो को करने के लिए उद्यमी को यूपीसीडा उद्योग निदेशालय की अनुमती लेना अनिवार्य होता है। इस कार्य को कराने के लिए उद्यमियों को इन सरकारी दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते है और कुछ मामलो में उद्यमी भ्रष्टाचार का भी शिकार हो जाते है।
एसोसिएशन के सचिव वैभव अग्रवाल, एसोसिएशन के अयोध्या डिविजनल अध्यक्ष प्रमित कुमार सिंह कहा कि देश के अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम-बंगाल, छत्तीसगढ़ कर्नाटक और तमिलनाडु में लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड में बदलने की पालिसी लागू है। उसी तरह उत्तर प्रदेश में लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड इस शर्त के साथ कर दिया जाए कि इसका भू-उपयोग केवल औद्योगिक ही रहे व अन्य किसी प्रयोजन के लिए उपयोग न हो। जब तक सरकार का इस संबंध में कोई अन्य आदेश जारी ना हो तथा जो इकाइयाँ एक निश्चित समय से उत्पादन में हैं उनको ही फ्री होल्ड किया जाए।
लीज होल्ड भूमि आवंटन का कानून, अंग्रेजी शासन के समय से चला आ रहा है, जब अंग्रेजों का देश के निवासियों पर विश्वास नहीं था। आज़ादी के अमृत काल में केंद्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा गुलामी के प्रत्येक अंश से मुक्ति पाने का प्रण लिया है। अतः आज इस लीज होल्ड भूमि के कानून को बदलने की नितांत आवश्यकता है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के साथ अन्य औद्योगिक संगठनों (A-20) का मानना है कि लीज होल्ड औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने से कई लाभ होंगे। जिससे प्रशासनिक परेशानियाँ कम होने से उद्यमियों के समय की बचत होगी और प्रदेश में औद्योगिक विकास तीव्र होगा। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद और राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे सरकार का 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी शीघ्र पूरा होगा। फ्री होल्ड भूमि पर नए औद्योगिक निवेश के अवसर पैदा होंगे, जो सरकार की भी प्राथमिकता है। नए रोजगार सृजित होंगे, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार ढूँढने बाहर नहीं जाना पड़ेगा। लीज होल्ड भूमि को फ्री होल्ड करने पर जो राजस्व सरकार को मिलेगी, उससे सरकार नये औद्योगिक क्षेत्र सृजित कर सकेगी |
UPSIDA एवं उद्योग निदेशालय में कर्मचारी एवं अधिकारी अपना समय औद्योगिक विकास की अन्य गतिविधियों में लगा सकेंगे जिससे औद्योगीकरण बढ़ेगा।उत्तर प्रदेश की रैंकिंग “Ease of Doing Business” के साथ-साथ “Ease of Doing Manufacturing” में भी बढ़ेगी। जिससे लीज होल्ड के कारण “Tease of Doing Business”समाप्त होगी।
यह भी उल्लेखनीय है की औद्योगिक भूमि जब लीज होल्ड पर सरकार द्वारा उद्यमी को दी जाती है तो उस समय का ज़मीन का पूरा मूल्य, डेवलपमेंट चार्जेस एवं प्रीमियम उद्यमी से लिया जाता है। इस प्रकार जब सभी कॉस्ट उद्यमी द्वारा दी जा चुकी है और सरकार की मंशा के अनुसार उद्योग स्थापित कर चलाया जा रहा है तो उद्यमी को किरायेदारी से मालिकाना हक दिया जाना न्याय संगत होगा।