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एक राष्ट्र एक चुनाव जनतंत्र और राष्ट्र के लिए उपयोगी : ह्रदय नारायण दीक्षित

एक साथ चुनाव होने पर देश पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा : आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कल्याण सिंह सनातन सेवा समिति की ओर से सोमवार को गोमतीनगर स्थित सीएमएस के सभागार में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव क्यों’ विषय पर प्रबुद्ध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहा कि यह पूरा विषय सांस्कृतिक है। एक राष्ट्र एक चुनाव देशहित में है। एक साथ चुनाव होने पर देश पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा। पहले भी लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे किन्तु किसी कारणवश यह प्रक्रिया बाधित हुई। एक राष्ट्र एक चुनाव देश की आवश्यकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा।

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संरचना व भौगोलिक दृष्टि से भी भारत एक है। अपने संविधान, स्वभाव और प्रकृति से हम भारत के लोग लोकतांत्रिक हैं। हमारी विविधता के लिहाज से भी लोकतांत्रिक व्यवस्था ही हमारे ज्यादा अनुरूप है। अपने संविधान से हम भारत के लोग संप्रभु भी हैं।

मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष विधानसभा उत्तर प्रदेश हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि ’एक देश एक चुनाव’ जनतंत्र और राष्ट्र के लिए उपयोगी है। इसका विरोध करने वाले दल और लोग संवैधानिक भावना का सम्मान नहीं करते। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ संगोष्ठी में उन्होंने कहा यह केवल चुनाव का विषय नहीं है। यह राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता का भी विषय है। कुछ दल और नेता संवैधानिक ढांचे पर गलतबयानी कर रहे हैं। इससे राज्यों को क्षति नहीं होगी।

उन्होंने विद्वतजनों, अधिवक्ताओं व प्रबुद्धों से अपने-अपने ढंग से इस विषय को प्रसारित व प्रसारित करने की अपील की। श्री दीक्षित ने अमेरिकी संविधान और भारतीय संविधान में मूलभूत अंतर बताया। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्र राज्य का उदय पारस्परिक समझौते का परिणाम था, लेकिन यहां के राज्य राष्ट्र ने बनाए हैं। संसद उसमें संशोधन परिवर्तन कर सकती है।

कल्याण सिंह सनातन सेवा समिति के अध्यक्ष प्रशान्त भाटिया ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव के अनेक फायदे हैं। एक साथ चुनाव होने से पैसों की बचत होगी, क्योंकि एक साथ चुनाव होने से कई तरह की व्यय जिसे दुबारा करना पड़ता है उससे एक बार में ही निपटा जा सकता है। सरकार उस पैसे का जनहित के अन्य कार्य कर सकती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंगनाथ पाण्डेय ने की।
इस मौके पर ऋचा मिश्रा, आत्मप्रकाश मिश्रा, प्रो. संजय गुप्ता सहित कई सम्मानित जन मौजूद रहे। मंच का संचालन आत्मप्रकाश मिश्रा ने किया।