लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। परीक्षा के दौरान बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया, हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा आर्थिक बाधाएं आई, लेकिन परिजनों व टीचर्स ने हौसला बढ़ाया और सफलता ने कदम चूमे। कुछ ऐसी ही कहानी है रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल स्कूल के मेधावियों की।
मंगलवार को घोषित हुए CBSE की 10वीं व 12वीं के परीक्षा परिणामों में RLB के मेधावियों ने साबित कर दिया कि यदि हौसले बुलंद हो तो सफलता की राह में आर्थिक तंगी और बीमारी कभी आड़े नहीं आती है। लेकिन इसके लिए लगन और कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है। मेहनत और लगन से हम सफलता की बुलंदियों को छू सकते हैं। RLB के संस्थापक जयपाल सिंह व डायरेक्टर निर्मल टंडन ने भी ऐसे मेधावियों का हौसला बढ़ाते हुए कहाकि खुद को कभी भी कमजोर न समझें, नकारात्मक सोच से बचें और सकारात्मक सोंच के साथ आगे बढ़े, सफलता अवश्य मिलेगी।
आईसीयू में भर्ती के दौरान की पढ़ाई, व्हील चेयर पर बैठकर दी परीक्षा
12वीं की परीक्षा में 91.4 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता हासिल करने वाली सी ब्लॉक इंदिरा नगर शाखा की छात्रा माधुरी उपाध्याय प्रैक्टिकल के एक दिन पहले बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया। पिता महेंद्र उपाध्याय के मुताबिक माधुरी ने किसी तरह प्रेक्टिकल दिया, इस दौरान तेज बुखार होने के कारण वह स्कूल से घर पहुंची और बेहोश हो गई। आनन फानन उसे हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उसे आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। परिजनों के मुताबिक माधुरी को न्यूरो का अटैक पड़ा था, जिसके चलते दाएं पैर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया।

करीब 10 दिन माधुरी आईसीयू में भर्ती रही, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। माधुरी उपाध्याय बताती हैं कि आईसीयू में भर्ती होने के दौरान टीचर्स और सहपाठी नोट्स भेजते रहे। इस दौरान वह ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी करती रही। यदि कोई दिक्कत आती थी तो वह टीचर्स से फोन पर बात कर लेती थी। 10 फरवरी को माधुरी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुई और उसकी परीक्षाएं शुरू होने में चंद दिन रह गए थे। चिकित्सक ने पैदल चलने से मना किया था, फिर भी उसके हौसले बुलंद थे।
माधुरी ने बताया कि वह कार से विद्यालय आती थी और गेट से परीक्षा कक्ष तक उसे व्हील चेयर पर ले जाया जाता था। जहां वह व्हील चेयर पर बैठकर परीक्षा देती थी। इस दौरान टीचर्स के साथ ही स्कूल स्टाफ भी माधुरी का पूरा सहयोग करते थे। माधुरी की तमन्ना कार्डियोलॉजिस्ट बनकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की है। माधुरी के पिता महेंद्र उपाध्याय ADRA INDIA में परियोजना अधिकारी हैं और मां बीनू उपाध्याय गृहणी है।
अचानक बीमारी ने जकड़ा, हॉस्पिटल से आकर दी परीक्षा
वहीं 10वीं की परीक्षा में 96.6 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली RLB सर्वोदय नगर शाखा की छात्रा अनामिका द्विवेदी की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। अनामिका पेट दर्द से पीड़ित थी, 15 फरवरी को पहले दिन उसने किसी तरह अंग्रेजी की परीक्षा दी। लेकिन लीवर में इन्फेक्शन होने के कारण परीक्षा के तुरंत बाद उसे हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। बीमारी के कारण पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। लेकिन परिजनों व टीचर्स ने उसका हौसला बढ़ाया। हॉस्पिटल में भर्ती रहने के दौरान उसने किसी तरह परीक्षा की तैयारी की।

यही नहीं हॉस्पिटल में भर्ती रहने के दौरान 20 फरवरी को चिकित्सकों से अनुमति लेकर उसने विज्ञान की परीक्षा दी। परीक्षा के बाद वह पुनः हॉस्पिटल पहुंची। स्वास्थ्य में कुछ सुधार होने पर 21 फरवरी को उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अनामिका चिकित्सक बनकर सभी को बेहतर चिकित्सा मुहैया कराने के साथ ही देश की तरक्की में अपना योगदान देना चाहती है। अनामिका के पिता शरद कुमार द्विवेदी निजी जॉब करते हैं और मां ममता द्विवेदी सरकारी चिकित्सालय में स्टाफ नर्स हैं।
पढ़ाई में आई आर्थिक बाधा तो टीचर्स ने किया सहयोग

12वीं की परीक्षा में 89.2 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता हासिल करने वाली सी ब्लॉक इंदिरा नगर शाखा की छात्रा नैना मिश्रा की पढ़ाई में कई बार आर्थिक बाधा आई। लेकिन परिजनों के साथ ही टीचर्स ने उसकी पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आने दी। नैना बताती हैं कि कई बार विद्यालय की डायरेक्टर निर्मल टंडन और टीचर्स ने उसकी स्कूल फीस जमा की।
इंजीनियर बनने की तमन्ना रखने वाली नैना को कंप्यूटर साइंस में 100 अंक मिले है। नैना के पिता भगवत मिश्रा बिजनेस करते हैं और मां चम्पा मिश्रा गृहणी हैं।
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