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महाकुम्भ में सनातनी आभा से अभिभूत दिखे बौद्ध भिक्षु, लगेगी सम्राट हर्षवर्धन की विशाल प्रतिमा

महाकुम्भ में लिया गया बौद्ध व सनातनी एक थे, एक हैं, एक रहेंगे का संकल्प


महाकुम्भनगर (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रयागराज महाकुम्भ मेला क्षेत्र में सम्राट हर्षवर्धन की विशाल प्रतिमा लगवायी जाएगी। विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने बौद्ध महाकुम्भ यात्रा के समापन अवसर पर बौद्ध भिक्षुओं के समक्ष यह बात कही।
इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सम्राट हर्षवर्धन महा दानवीर थे। वह प्रत्येक कुंभ में आकर अन्नदान, वस्त्रदान करते थे। सम्राट हर्षवर्धन हिन्दू थे। विश्व को करुणा एवं मैत्री का संदेश देने के लिए उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था। सम्पूर्ण समाज उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखता है। इसलिए प्रयागराज में उनकी भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि प्रयागराज संगम के नजदीक हर्षवर्धन चौराहे पर सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा लगी थी। महाकुम्भ के शुरू होने से पहले हर्षवर्धन की प्रतिमा को प्रशासन ने हटा दिया था। बाद में काफी विरोध होने के बाद प्रशासन ने हर्षवर्धन की मूर्ति को सीएमपी डिग्री कॉलेज के सामने चौराहे पर स्थापित कराई। बौद्ध महाकुम्भ यात्रा के दौरान जब कई देशों के बौद्ध भिक्षु बड़ी संख्या में प्रयाराज पहुंचे तो हर्षवर्धन की प्रतिमा लगाने की मांग की। इस पर विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार और इन्द्रेश कुमार ने आश्वासन दिया कि नगर निगम एवं शासन प्रशासन से बात करके प्रयागराज में सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा लगवाई जाएगी।

आस्था के महापर्व, महाकुम्भ में दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु पवित्र संगम में आस्था का स्नान करने प्रयागराज आ रहे हैं। वहीं पहली बार दुनिया के 11 देशों के बौद्ध भिक्षु, भंते व लामा बड़ी संख्या में प्रयागराज महाकुम्भ पहुँचकर संगम में डुबकी लगाई। 04 फरवरी को जब बौद्ध भिक्षु प्रयागराज महाकुम्भ पहुंचे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं बौद्ध भिक्षुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत सम्मान किया और उपहार दिया।

दूसरे दिन संघम शरण गच्छामि, बुद्धं शरणम गच्छामि को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बौद्ध भिक्षुओं ने महाकुंभ क्षेत्र में शोभा यात्रा निकाली। वहीं 06 फरवरी को बुद्ध शरणं गच्छामि धम्मं शरणम् गच्छा​मि का उद्घोष करते हुए बौद्ध भिक्षुओं का दल संगम घाट पहुंचा और गंगा यमुना सरस्वती की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर सनातन बौद्ध एकता का संदेश दिया। इस दौरान संगम तट भगवान बुद्ध की करूणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें के नारे से गूंज उठा। संगम में डुबकी लगाने के बाद बौद्ध भिक्षुओं सनातन के प्रति गर्व की अनुभूति कर रहे थे। बांग्लादेश पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद हो, तिब्बत स्वतंत्र हो और सनातन व बौद्ध की एकता को लेकर प्रस्ताव पास किया गया। प्रत्येक कुंभ में मिलने का संकल्प लेकर बौद्ध भिक्षु अपने—अपने स्थान के लिए रवाना हुए। चार दिवसीए बौद्ध महाकुंभ यात्रा में बौद्ध व सनातनी एक थे, एक हैं,एक रहेंगे। हम सनातन के अंश थे,सनातन के अंश हैं और सनातन के अंश रहेंगे का संकल्प लिया गया।

बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में आये बौद्ध भिक्षु की यहां की व्यवस्था, स्वागत और बौद्ध सनातन के दिव्य भव्य आयोजन को देखकर अभिभूत दिखे।

निर्वासित तिब्बत की रक्षामंत्री गैरी डोलमा ने कहाकि प्रयागराज की पावन धरती पर हम सब एक साथ आये हैं। महाकुम्भ में हम बौद्ध व सनातनी एक साथ आए हैं और कदम मिलाकर चल रहे हैं। यह बहुत अच्छा लगा। 

म्यांमार से आये भदंत नाग वंशा ने कहा कि मैं पहली बार महाकुम्भ में आया हूं। हम बौद्ध व सनातन में बहुत ही समानता है। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। हम भारत और यहां के लोगों को खुश देखना चाहते हैं। भारत सरकार बौद्ध धर्म का काम करने में सहयोग करती है। हम लोग मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का आभार जताते हैं।

म्यांमार से आए जोड़ा डोलो ने कहा कि बौद्ध व सनातन की एकता से हम पूरे विश्व को करुणा व मैत्री सिखाएंगे। लाओस से आये भंते वेन वत्थान दामोंग ने कहा कि हम एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे और दुनिया को अच्छाई का मार्ग दिखा सकेंगे।

वियतनाम से आये न्युगेन थी सुगुमाई सत्य प्रेम व करूणा का दर्शन पूरे विश्व को समाधान देगा। यह कार्यक्रम बौद्ध एवं सनातन के बीच आपसी समन्वय, समता, सद्दभाव एवं करुणा मैत्री का भाव विकसित करने में सहायक होगा।

भिक्षु आर्यवंश महाथेरो ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपसी भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है। इस आयोजन से दुनिया भर में सुख शांति और समृद्धि का संदेश दुनिया में जायेगा।

सारनाथ से आयी बौद्ध भिक्षु षमा ने कहा कि महाकुम्भ में आकर हम अत्यंत ह​र्षित हैं। यहां हर जाति धर्म व पंथ के लोग संगम में डुबकी लगाकर भाईचारे का संदेश देते हैं। बौद्ध भिक्षु देवानंद वर्धन ने कहा कि ​महाकुम्भ में इस प्रकार का बौद्ध भिक्षुओं का समागम पहली बार हुआ है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा कि हम सब एक थे एक हैं एक रहेंगे। बुद्ध की विचारधारा ही सनातन है। बुद्ध भी सनातनी है। भारत कभी विचलित नहीं होता। भारत ​फिर से अखण्ड होगा और जगद्गुरू भारत बनेगा।

बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में भारत के अलावा नेपाल, भूटान, म्यामांर, श्रीलंका, तिब्बत, जापान, कोरिया, कंबोडिया, लाओस व वियतनाम समेत कई देशों के बौद्ध भिक्षु शामिल रहे।