जयपुर (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बहुप्रतीक्षित आर्टिसन अवॉर्ड्स 2025 भव्य अंदाज में आयोजित किया गया। जिसमें जयपुर की राजकुमारी गौरवी कुमारी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कला और संस्कृति की संरक्षक के रूप में पहचानी जाने वाली राजकुमारी गौरवी कुमारी ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए और भारतीय शिल्पकला व डिजाइन को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।
8वें आर्टिसन अवॉर्ड्स का आयोजन रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) द्वारा GIA इंडिया के सहयोग से और वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के साथ साझेदारी में किया गया। राजकुमारी गौरवी कुमारी की उपस्थिति ने इस आयोजन को एक शाही भव्यता प्रदान की। जिससे यह कलाकारों, उद्योग के दिग्गजों और गणमान्य व्यक्तियों के लिए एक यादगार रात बन गई।
इस वर्ष के आर्टिसन ज्वेलरी डिजाइन अवॉर्ड्स ने भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता को उजागर किया और इसका समापन रचनात्मकता, भव्यता और शाही संरक्षण के नए मानक के साथ हुआ। राजकुमारी गौरवी कुमारी के साथ विपुल शाह (अध्यक्ष, GJEPC), किरीट भंसाली (उपाध्यक्ष, GJEPC), श्रीराम नटराजन (प्रबंध निदेशक, GIA इंडिया), सचिन जैन (क्षेत्रीय सीईओ, इंडिया, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल), मिलन चोकशी (संयोजक, प्रचार एवं विपणन, GJEPC), सब्यसाची किरीट (कार्यकारी निदेशक, GJEPC) भी मौजूद रहे। इस वर्ष के पुरस्कारों की थीम “भारतीय शिल्पकला पुनः कल्पित” थी। जिसमें 630 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं।
राजकुमारी गौरवी कुमारी ने कहा, “GJEPC के आर्टिसन अवॉर्ड्स में प्रस्तुत सभी विजेता आभूषण डिजाइन पारंपरिक कला और शिल्प को नवाचार के साथ जोड़ते हैं। मुझे विश्वास है कि पारंपरिक शिल्पकला तब तक प्रासंगिक रहेगी जब तक डिजाइनर इसे नई दृष्टि और आधुनिक शैली के साथ प्रस्तुत करते रहेंगे। आज का युवा उपभोक्ता फास्ट फैशन से स्लो लग्जरी की ओर बढ़ रहा है। यदि हम ब्रांड और उत्पाद की कहानी से हटकर कारीगर (शिल्पकार) की रचनात्मक दृष्टि और व्याख्या की कहानी पर ध्यान केंद्रित करें, तो यह अधिक प्रभावशाली होगी।”
आभूषण निर्माण को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित विरासत बताते हुए उन्होंने आगे कहा, “दुनिया के कला प्रेमी यह समझते हैं कि भारतीय शिल्प तकनीकों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित किया गया है, ठीक वैसे ही जैसे यूरोप के विरासत ब्रांड्स में होता है। कुछ बेहतरीन वैश्विक डिजाइनरों ने भारतीय शिल्पकला को सीखा और फिर अपने रचनात्मक दृष्टिकोण से इसमें नवीनता और प्रासंगिकता लाई। मेरे परदादा, महाराजा मानसिंह द्वितीय, जयपुर को डिजाइन, कला और शिल्प का वैश्विक केंद्र बनते देखना चाहते थे। मैं इस विरासत को आगे बढ़ाना चाहती हूँ और उन शिल्पकारों को सशक्त बनाना चाहती हूँ, जो चुनौतियों का सामना कर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ रचनात्मकता को बनाए रखते हैं।”
GJEPC के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा, “आर्टिसन अवॉर्ड्स का उद्देश्य भारत की अद्वितीय आभूषण शिल्पकला को वैश्विक मंच पर लाना है। इस वर्ष की थीम, ‘भारतीय शिल्पकला पुनः कल्पित’ ने प्रतिभागियों को पारंपरिक शिल्प का समकालीन दृष्टिकोण से पुनर्निर्माण करने के लिए प्रेरित किया, जिससे ऐसी कृतियाँ सामने आईं जो सांस्कृतिक सीमाओं से परे जाकर वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करें।”
उन्होंने यह भी कहा कि डिजाइनिंग उद्योग में सबसे अधिक मांग वाली कौशल है और यह मूल्य संवर्धन का एक महत्वपूर्ण घटक है। GJEPC प्रतिभाओं को निखारने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में निवेश कर रहा है, ताकि उद्योग का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सचिन जैन ने कहा, “GJEPC के आर्टिसन अवॉर्ड्स रचनात्मकता और डिजाइन की राजधानी को उजागर करने का एक सच्चा प्रमाण हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल, GJEPC के साथ मिलकर भारत को विश्व के आभूषण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए काम कर रहा है। अब समय आ गया है कि हम भारतीय रचनात्मकता और डिजाइन को वैश्विक स्तर पर ले जाएँ।”