- जागरूकता रैली, पोस्टर प्रतियोगिता और संगोष्ठी के माध्यम से किया गया जागरूक
- स्कूलों में छात्रों को मच्छर जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया गया जागरूक
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। फैमिली हेल्थ इण्डिया, गोदरेज एवं जिला स्वास्थ्य समिति के सहयोग से संचालित एम्बेड परियोजना अन्तर्गत अंतरराष्ट्रीय मच्छर दिवस का आयोजन किया गया।समाज में जागरूकता फैलाने के मकसद से स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के संयुक्त प्रयास से कम्पोजिट विद्यालय परिसर में मच्छरों से होने वाली बीमारिया की रोकथाम के लिए पोस्टर प्रतियोगिता, संगोष्ठी एवं जागरूकता रैली के माध्यम से मच्छर जनित बीमारियो से बचाव के तरीके बताये गए।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव ने बताया कि देश में मच्छरजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के मकसद से हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस का आयोजन किया जाता है।सभी की यह कोशिश होनी चाहिए कि समाज के हर कोने में मच्छर जनित रोगों के प्रति न केवल सतर्कता अपनाएं बल्कि इसके प्रति जागरूकता फैलाएं। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में मच्छर जनित स्थितियों को पहचान कर उन्हें नष्ट करने के साथ ही कहीं भी पानी के ऐसे स्रोत न बनने पाए कि उसमें मच्छर पैदा हो सकें।
एम्बेड रीजनल कोआर्डिनेटर धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि डेंगू को होने से रोका जा सकता है, यह स्वयं हमारे अपने हाथों में है। एक मच्छर की बाइट से आपको मलेरिया हो सकता है और आप मुसीबत में पड सकते है। उन्होने बताया कि मानसून का मौसम मच्छरों को पैदा करने के मौसम के रूप में जाना जाता है। इसी वजह से बारिश के मौसम में हर साल मच्छर से होने वाली बीमारियों के सबसे अधिक मामले सामने आते है।
उन्होने बताया कि दुनियां का कोई भी नर मच्छर आदमी या पशु को नहीं काटता है, वो फल-फूल के रस पर जीवित रहता है। काटने की आदत या जरूरत मादा मच्छर की होती है। वही मलेरिया, डेंगू और फाइलेरिया बुखार का कारण बनती है मादा प्रोटीन के खातिर खून चूसती है, मादा मच्छर मनुष्य या पशु का खून केवल इसलिए चूसती है कि ताकि वो अपने पीढ़ी को आगे बढा सके। मेडिकल साइंस के अनुसार मादा को रक्त से प्रोटीन की पूर्ति होती है जिससे उसे गर्भ धारण के बाद अपने अण्डों को विकसित करने में मदद मिलती है।
उन्होने बताया कि मादा मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 1000 तक लार्वा पैदा करती है जो मच्छर बनते है। हमे इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है। उन्होेने ‘‘प्रत्येक रविवार मच्छरों पर वार‘‘ एवं बुखार पर देरी पड़ेगी भारी जैसे संदेशों के माध्यम से मच्छरों की ब्रीडिंग स्थलों को नष्ट करने एवं किसी भी प्रकार के बुखार आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रो पर जांच कराये जाने के संदेशों को जन सामान्य तक पहुचायं जाने का आह्वान किया।
मलेरिया निरीक्षक अविनास चंद्रा ने इस दिवस के आयोजन प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिवस इसलिए मनाया जाता है कि हम उन लोगों को सम्मान दे सकें जो कि मच्छरों से होने वाली बीमारियों से रोकने के लिए कार्यरत है। उन्होने कहा कि आई.ई.सी. के माध्यम से मच्छरों से होने वाली सभी बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया, चिकिनगुनिया, जापानी इन्सेफलाइटिस आदि को कम करने के लिए जागरूकता फैलाना है यह सभी सन्देश दूर-दूर तक पहुँच सके और समाज मच्छर जनित बीमारियों से बच सके। हम सभी के संयुक्त प्रयास से इन बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
प्रधानाध्यापिका मीना रावत ने बताया कि मच्छर पानी में पैदा होता है, इसलिए कहीं भी एक सप्ताह तक एक चम्मच तक भी पानी जमा नहीं होना चाहिए। घरों में जमा हुए पानी को सप्ताह में एक बार जरूर खाली करके पात्र को रगड़ कर पोंछना चाहिए ताकि मच्छर के अंडे भी न रहे।
इस मौके पर एम्बेड बीसीसीएफ शालिनी ने विद्यालय के बच्चों द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता, क्या करें क्या ना करें विषयक सांप-सीढी का लूडो गेम खिलाया एवं एक जागरूकता रैली का आयोजन कराया। इस अवसर पर क्षेत्रीय आशा शिखा, कल्पना पाण्डेय, आंगनबड़ी सहायिका विद्या मिश्रा, कम्युनिटी वालिंटियर राहुल कनौजिया, मोनी, नगरीय मलेरिया टीम एवं समस्त शिक्षक गण उपस्थित रहे।