लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। गोमा तट स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत, पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन में चल रहे उत्तराखंड महोत्सव के पांचवें दिन शनिवार को कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कविताओं के माध्यम से सुंदर ढंग से आज की व्यवस्था, सामाजिक परिदृश्य पर कई सवाल खड़े किए।
मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सिंह कनवाल ने बताया कि उत्तराखण्ड के उत्पादों के साथ साथ उत्तराखंडी, ज्वैलरी तथा कश्मीरी शाल, ऊनी वस्त्र, कंबल आदि के स्टालों पर भीड़ रही। उत्तराखंडी व्यंजनों-आलू के गुटके, रायता, पकोड़ी, मडुवे की रोटी, झिंगोरे का भात, कड़ी (झोली), स्वीट डिस-झिंगोरे की खीर तथा नॉन वेज भोजन का भी लोग स्वाद ले रहे हैं।
दोपहर में एकल नृत्य प्रतियोगिता हरितिमा पंत, राजेश्वरी रावत, सुनीता कनवाल की देख-रेख में सम्पन्न हुई। 12 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें प्रथम आदित्य पाण्डेय, द्वितीय शुभि अग्रवाल, जीविका पाण्डेय, तृतीय ओजस्वी तथा चतुर्थ अभिश्री त्रिपाठी विजेता रहे। निर्णायक मंडल में कमला चुफाल, देवश्वरी पवार शामिल थे। विवान शर्मा ने काव्य पाठ किया। छोलिया नृत्य दल-उधान्चल कला केन्द्र अल्मोड़ा के कलाकारों ने महोत्सव स्थल पर घूम-घूम कर अपनी प्रस्तुति दी।
कवि सम्मेलन में आये कवियों ने अपने तरकष से एक से बढ़कर एक कविता पाठ कर, व्यंग बाण भी छोड़े। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता-वरिष्ठ कवि घनानन्द पाण्डेय मेघ ने तथा मंच का सुन्दर संचालन पूरन सिंह जीना ने किया।घनानन्द पाण्डेय मेघ ने सुरीली अवाज में सरस्वती माँ पर कविता ‘‘मुझ पर तेरी अनुकम्पा हो इसका भी माँ हो, अब निश्चय, खिल जाये मन मधुबन में, काव्य कला का कोई किसलय, माँ कुछ ऐसा ही कर देना, ऐसा ही मुझको वर देना’’ सुनाकर वन्दन किया।
प्रियंका बिष्ट, युवा कवि द्वारा कई दिन से पति के फोन न आने पर वियोग श्रृंगार की कविता “कई दिन से फोन न मिलाया न ही कोई मैसेज है, तुम्हें किसकी नज़र लग गई है जो हमको बेगाना बनाया। मैने ऐसा भी सोचा न था ऐसा भी वक्त आयेगा। एक दिन तुमको मिलना गवारा न होगा हमको बिछड़ना गवारा न होगा” वियोगमय प्रस्तुति दी।
गोकुल उप्रेती ने समसमयिक हास्य कविता, कुमाऊँ बरात-ब्या बरेतिन में मैंस कस करनी, मैं तुमकैं बतुनी, बिराऊक जस लरबराट करनी, बोतल पकडि बेर टैंटक पिछड़ि बै हिट दिनी सबुकै बुलूनी- बरात में शराबियों द्वारा शराब पीकर शरारत पर जबरदस्त कटाछ किया।गिरीश बहुगुणा उत्तरांचली ने धंस रहे जोशीमठ पर-मैने नहीं बनाया दरकते पहाड़ों पर आशियाना, मुझे मिला था पुश्तैनी मकान, पुश्तैनी ठिकाना, मैने हरे पेड़ काटे, सरकार से विकास मांगा, मैने कभी नहीं सोचा था कि विकास इतना भीषण होगा, जन्मभूमि ही कब्रगाह…… मनुष्य द्वारा किये जा रहे अदूरदर्शी निर्माण पर व्यंग कर झकझोर दिया।
मुख्य अतिथि मनीष थपलियाल (डीआरएम) का उत्तराखण्ड महापरिषद के पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।मंदाकिनी शास्त्री के नेतृत्व में हार्ट एण्ड सोल कल्चरल वेल्फेयर सोसायटी विकास नगर द्वारा समूह मटकी नृत्य, पुष्पा वैष्णव के नेतृत्व में उत्तराखण्ड महापरिषद के महिला स्वयं सहायता समूह की प्रस्तुति तथा अनुपमा श्रीवास्तव के नेतृत्व में नृत्यांगना डांस अकादमी द्वारा मछुवारा नृत्य एवं लावणी नृत्य प्रस्तुत किया। स्वरा त्रिपाठी की भक्तिमय प्रस्तुति ने खूब तालियाँ बटोरी।
वाइस ऑफ उत्तराखण्ड के द्वितीय राउण्ड के चार प्रतिभागियों-हरीश विश्वकर्मा, लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया, बलवन्त वाणगी तथा बबली भण्डारी ने अपने सुन्दर गायन से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर तालियाँ बटोरी।