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सीएसआईआर प्रयोगशालाओं ने संयुक्त रूप से मनाया 82वां स्थापना दिवस

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर प्रयोगशालाओं (सीएसआईआर-सीडीआरआई, सीएसआईआर-एनबीआरआई, सीएसआईआर-सीमैप, तथा सीएसआईआर-आईआईटीआर) ने संयुक्त रूप से अटल बिहारी वाजपेयी वैज्ञानिक कन्वेंशन सेंटर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में 82वां सीएसआईआर स्थापना दिवस मनाया। इस कार्यक्रम ने सीएसआईआर लैब्स के निदेशकों, वैज्ञानिकों और अनुसंधान विद्वानों को एक साथ लाया, जिससे सहयोग और नवाचार का माहौल तैयार किया जा सके। 

इस अवसर पर सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने अपने वीडियो संदेश के माध्यम से इस आयोजन के प्रति उत्साह व्यक्त करते हुए कहाकि यह कार्यक्रम वैज्ञानिक समुदाय में नई ऊर्जा लाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने इन प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों को नई परियोजनाओं, मिशनों और सामाजिक अनुप्रयोगों को जन्म देने की क्षमता के साथ जुड़ने, विचार साझा करने एवं एक-दूसरे के कौशल को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में सीएसआईआर एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजीत शासनी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और इस संयुक्त उत्सव के पीछे के विचार की उत्पत्ति यानी कनेक्ट, कन्वर्ज एवं कोलेबोरेट पर चर्चा की। सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने सभी चार प्रयोगशालाओं की उपलब्धियों का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने उपलब्धियों के विभिन्न उदाहरण दिखाए, जो दर्शाते हैं कि कैसे सहयोगात्मक प्रयास सफलता की कहानियों में परिवर्तित हुए तथा नए प्रतिमान स्तहपीत किए।

सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के इस संयुक्त कार्यक्रम पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद और मुख्य अतिथि विज्ञान मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की पूर्व सचिव डॉ. रेनू स्वरूप का परिचय कराया।

डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहाकि लखनऊ ज्ञान-विज्ञान का शहर है और सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए अद्वितीय वातावरण प्रदान करता है। सतत विकास के लिए अकादमिक-शैक्षणिक सहयोग के साथ-साथ अकादमिक-उद्योग सहयोग समय की मांग है एवं इस अमृतकाल में हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक भी है।

डॉ. रेनू स्वरूप ने “समाज को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं को संबोधित करने वाले तकनीकी नवाचार” विषय पर एक आकर्षक स्थापना दिवस उद्बोधन दिया। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने आगामी वर्ष के लिए भारत की योजनाओं पर चर्चा की। जिसमें नए टीके डिजाइन करने, नए एंटीबायोटिक्स विकसित करना, पशु चिकित्सा टीके विकसित करना, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने और उनके लिए एक मंच तैयार करना आदि बहुत कुछ शामिल है। उन्होंने प्रौद्योगिकी नवाचार पर चर्चा की जो कैंसर, कार्डियो तथा मस्तिष्क विकार, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और आनुवंशिक विकार के इलाज जैसे पूर्वानुमानित निदान में किफायती स्वास्थ्य देखभाल को प्रभावित करती है। डॉ. स्वरूप ने इस बात पर जोर दिया कि वैज्ञानिक शक्ति और उद्यमिता कौशल के संयोजन में देश की अर्थव्यवस्था को बदलने एवं आधुनिक समाज को आकार देने की क्षमता है।

कार्यक्रम का समापन सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण द्वारा इस कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित सामूहिक प्रयासों एवं वैज्ञानिक प्रगति के लिए सभी की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

सीएसआईआर स्थापना दिवस का यह संयुक्त उत्सव वैज्ञानिक उत्कृष्टता की खोज में नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की प्रतिबद्धता का उदाहरण देता है। इस कार्यक्रम ने समाज के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैज्ञानिक समुदाय के समर्पण को प्रदर्शित किया और भारत और दुनिया की भलाई के लिए वैज्ञानिक शक्ति और उद्यमिता के दोहन के महत्व को रेखांकित किया।