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राम वनवास का प्रसंग सुन भावुक हुए भक्त


श्रीराम कथा हमें मानव बनना सिखाती है – स्वामी सुधीरानन्दलखनऊ। 
भगवान राम का जीवन चरित्र और आदर्श अनुकरणीय हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने सर्वशक्तिमान होते हुए भी विधाता के नियम को गलत नहीं होने दिया। वनवास के दौरान श्रीराम ने सभी वनवासियों, आदिवासियों को संगठित कर जीवन जीने की शिक्षा दी। सभी ऋषियों और उनके आश्रमों को राक्षसों के आतंक से बचाया। अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम जी ने सभी वर्गों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। 

उक्त बातें कर्तव्या फाउंडेशन द्वारा अग्रवाल सभा छावनी के विशेष सहयोग से आयोजित श्रीराम कथा के छठे दिन शनिवार को कथावाचक स्वामी सुधीरानन्द जी महाराज ने कही। स्वामी जी ने अयोध्या में राम के राजतिलक की तैयारी, कैकेयी के कोप भवन में प्रवेश, राजा दशरथ की मनुहार में तीन वरदान देते हुए श्रीराम को वनवास की आज्ञा देना, सीता, लक्ष्मण सहित राम का वन गमन और चित्रकूट में भरत मिलाप के प्रसंग के माध्यम से रामायणकालीन पारिवारिक, सामाजिक व राजनीतिक मूल्यों को बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भ्रमण कर आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण था कि राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी  राम के साथ थे। उन्होंने जीवन में जीने के लिए ‘किसी के काम जो आये उसे इंसान कहतें है’ एवं ‘जिनके हृदय सियाराम बसे’ गीत के माध्यम प्रेरित किया।राक्षस संहार की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण वन में थे, तो उन्हें राक्षसी रावण की बहन सूर्पणखा द्वारा आक्रमण का सामना करना पड़ा। वास्तव में असुरों का संहार तथा सज्जनों की रक्षा के लिए ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अवतरित हुए थे। राम और केवट का हृदय स्पर्शी वर्णन भी हुआ।

कर्तव्या फाउंडेशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि कथा में आये दान के द्वारा गौ सेवा और वेद विद्यालय को सहयोग किया जाएगा। इस मौके पर कर्तव्या फाउंडेशन के महासचिव डॉ. हरनाम सिंह, आज के यजमान हर्षिता ग्रोवर, अखिल ग्रोवर, राम हौसला सिंह, विष्णु अग्रवाल, संजय वैश्य, राजेश सिंह, रमाकांत सिंह, उमाकांत सिंह, अग्रवाल सभा के सचिव श्रीमंदर अग्रवाल, सचिन अग्रवाल, दीपक जायसवाल, सिद्धार्थ, अतुल सिंह सहित क्षेत्र के सभी कथा प्रेमियों ने कथा श्रवण किया।